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International Nelson Mandela Day 2025: अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस 2025, एक प्रेरक जीवन की कहानी

International Nelson Mandela Day 2025: 18 जुलाई को दुनिया भर में हर साल अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस मनाया जाता है,आइये जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्त्व।

Akshita Pidiha
Published on: 18 July 2025 7:30 AM IST (Updated on: 18 July 2025 7:30 AM IST)
International Nelson Mandela Day 2025
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International Nelson Mandela Day 2025 (Image Credit-Social Media)

International Nelson Mandela Day 2025: हर साल 18 जुलाई को दुनिया भर में एक खास दिन मनाया जाता है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस के नाम से जाना जाता है। यह दिन दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति, शांति के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता और रंगभेद के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले नेल्सन मंडेला के जन्मदिन की याद में समर्पित है। मंडेला न केवल एक नेता थे, बल्कि वे एक प्रतीक थे - समानता, स्वतंत्रता और मानवता के लिए आशा का प्रतीक। उनकी जिंदगी की कहानी ऐसी है, जो हर दिल को छूती है और हमें यह सिखाती है कि एक व्यक्ति भी पूरी दुनिया में बदलाव ला सकता है।

नेल्सन मंडेला: एक साधारण शुरुआत से असाधारण सफर

18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसकी क्षेत्र के मवेजो गाँव में एक बच्चे का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया रोलीह्लाला मंडेला। स्थानीय भाषा में रोलीह्लाला का मतलब होता है शरारती, लेकिन यह बच्चा बड़ा होकर दुनिया के लिए मदीबा बन गया - एक ऐसा नाम, जो उनके कबीले के लोग उन्हें प्यार से बुलाते थे। मंडेला का बचपन साधारण था। उनके पिता एक कबीले के सरदार थे, लेकिन कम उम्र में ही उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद मंडेला को एक रीजेंट ने गोद लिया, जिन्होंने उनकी शिक्षा और परवरिश का जिम्मा उठाया।


मंडेला ने फोर्ट हरे विश्वविद्यालय में पढ़ाई शुरू की, लेकिन रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें निष्कासित कर दिया गया। यह वह समय था, जब दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति अपने चरम पर थी। गोरे और अश्वेत लोगों के बीच भेदभाव इतना गहरा था कि अश्वेत लोग अपने ही देश में दोयम दर्जे का जीवन जीने को मजबूर थे। मंडेला ने इस अन्याय को देखा और इसे बदलने का संकल्प लिया। वे जोहान्सबर्ग चले गए, जहाँ उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और 1952 में देश की पहली अश्वेत कानूनी फर्म की स्थापना की। यहाँ से उनकी जिंदगी का असली मकसद शुरू हुआ - रंगभेद के खिलाफ लड़ाई।

रंगभेद के खिलाफ संघर्ष: 27 साल की कैद

1944 में मंडेला अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) में शामिल हुए। यह संगठन रंगभेद के खिलाफ अहिंसक तरीके से लड़ रहा था, लेकिन समय के साथ मंडेला ने महसूस किया कि केवल अहिंसा से काम नहीं चलेगा। उन्होंने ANC की सशस्त्र शाखा उमखोंतो वे सिजवे की स्थापना की, जो सरकार के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाने लगा। मंडेला का मानना था कि जब तक सरकार हिंसा का रास्ता अपनाएगी, तब तक जवाब देना जरूरी है।

1962 में मंडेला को गिरफ्तार कर लिया गया और 1964 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। अगले 27 साल उन्होंने जेल में बिताए, जिनमें से ज्यादातर समय वे रॉबेन द्वीप की कुख्यात जेल में रहे। यहाँ उन्हें एक छोटे से 8x7 फीट के कमरे में रखा गया, जहाँ वे घास-फूस की चटाई पर सोते थे और कोयला खदानों में काम करते थे। लेकिन इन कठिन परिस्थितियों में भी मंडेला का हौसला नहीं टूटा। वे अपने साथी कैदियों को पढ़ाते, उनमें जोश भरते और रंगभेद के खिलाफ लड़ाई को जेल के भीतर से भी जीवित रखते थे।


जेल में रहते हुए मंडेला ने एक बार कहा था कि मुझे यकीन था कि मैं सबको माफ कर दूंगा और ऐसा हुआ भी। उनकी यह सोच उनकी महानता को दर्शाती है। वे नफरत को अपने दिल में जगह नहीं देना चाहते थे, क्योंकि उनका मानना था कि नफरत इंसान को कमजोर बनाती है।

रिहाई और राष्ट्रपति बनने का सफर

11 फरवरी 1990 को मंडेला जेल से रिहा हुए। यह वह पल था, जब दक्षिण अफ्रीका में एक नया युग शुरू हुआ। रिहाई के बाद मंडेला ने रंगभेद को खत्म करने के लिए श्वेत सरकार के साथ बातचीत शुरू की। उनकी कोशिश थी कि देश में हिंसा की जगह शांति और समझौता हो। 1994 में दक्षिण अफ्रीका में पहली बार रंगभेद रहित लोकतांत्रिक चुनाव हुए, जिसमें ANC को भारी जीत मिली। 10 मई 1994 को नेल्सन मंडेला देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसने न केवल दक्षिण अफ्रीका, बल्कि पूरी दुनिया को प्रेरित किया।

मंडेला का राष्ट्रपति कार्यकाल 1994 से 1999 तक रहा। इस दौरान उन्होंने देश में श्वेत और अश्वेत लोगों के बीच की खाई को पाटने की कोशिश की। उन्होंने सत्य और सुलह आयोग की स्थापना की, जिसका मकसद रंगभेद के दौरान हुए अत्याचारों की सच्चाई सामने लाना और पीड़ितों को न्याय दिलाना था। मंडेला का मानना था कि सुलह के बिना देश आगे नहीं बढ़ सकता।

अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस: शुरुआत और महत्व

नेल्सन मंडेला के योगदान को सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2009 में 18 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस घोषित किया। पहली बार यह दिन 18 जुलाई 2010 को मनाया गया, जब मंडेला 92 साल के थे। संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की मून ने कहा था कि मंडेला संयुक्त राष्ट्र के उच्च आदर्शों के प्रतीक हैं। यह दिन न केवल मंडेला की उपलब्धियों को याद करने का मौका देता है, बल्कि यह हमें उनके मूल्यों - शांति, समानता और मानवाधिकारों - को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।


इस दिन का एक खास संदेश है कि हर व्यक्ति में दुनिया को बेहतर बनाने की ताकत है। संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को 67 मिनट की चुनौती के साथ जोड़ा है, जो मंडेला के 67 साल के सार्वजनिक सेवा के जीवन को दर्शाता है। लोगों से अपील की जाती है कि वे इस दिन 67 मिनट किसी अच्छे काम के लिए समर्पित करें, जैसे जरूरतमंदों की मदद करना, स्कूलों में पढ़ाना या पर्यावरण की रक्षा के लिए काम करना।

2025 की थीम और संदेश

हर साल अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस की एक खास थीम होती है, जो सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है। 2023 में इसकी थीम थी यह आपके हाथ में है, जिसका मतलब था कि बदलाव की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की है। 2025 की थीम अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन यह उम्मीद है कि यह पर्यावरण, शिक्षा या सामाजिक समानता जैसे मुद्दों पर केंद्रित होगी। यह थीम हमें मंडेला के विचारों को अपने जीवन में उतारने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देगी।

मंडेला की विरासत: पुरस्कार और सम्मान

मंडेला को उनके काम के लिए दुनिया भर में कई सम्मान मिले। 1993 में उन्हें दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति एफ.डब्ल्यू. डी. क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1990 में भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से नवाजा, जो उन्हें पाने वाला पहला विदेशी नागरिक था। इसके अलावा, उन्हें 1988 में सखारोव पुरस्कार और 2002 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम जैसे कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले।

मंडेला की निजी जिंदगी: कुछ अनसुनी बातें

मंडेला की जिंदगी केवल संघर्ष और राजनीति तक सीमित नहीं थी। वे एक इंसान थे, जिनमें कई रंग थे। उन्हें बॉक्सिंग का शौक था और वे जवानी में रिंग में उतरते थे। उन्होंने 1992 की फिल्म मैल्कम एक्स में एक शिक्षक की छोटी सी भूमिका भी निभाई थी। मंडेला ने तीन शादियाँ कीं और उनकी छह संतानें थीं। उनकी तीसरी पत्नी ग्रेका मचेल से उन्होंने 80 साल की उम्र में शादी की, जो उनके जीवन का एक खूबसूरत पल था।

मंडेला ने AIDS के खिलाफ भी जागरूकता फैलाई। उन्होंने खुलकर बताया कि उनके बेटे की मृत्यु AIDS के कारण हुई थी, जो उस समय एक बड़ा कदम था, क्योंकि इस बीमारी को लेकर कई भ्रांतियाँ थीं।

मंडेला के विचार: प्रेरणा का स्रोत


मंडेला के कुछ विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने कहा था कि एक बड़ी पहाड़ी पर चढ़ने के बाद ही पता चलता है कि और भी बहुत सी पहाड़ियाँ चढ़नी बाकी हैं। यह विचार हमें सिखाता है कि जिंदगी में संघर्ष कभी खत्म नहीं होते, लेकिन हिम्मत बनाए रखना जरूरी है। एक और प्रेरक विचार था कि हमारे बच्चे वह चट्टान हैं, जिस पर हमारा भविष्य बनेगा। वे हमारे देश के नेता होंगे। यह हमें अगली पीढ़ी की शिक्षा और देखभाल के महत्व को समझाता है।

मंडेला दिवस 2025: कैसे मनाएँ

18 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस को मनाने के लिए आप कई तरह से योगदान दे सकते हैं। 67 मिनट की चुनौती को अपनाएँ और अपने आसपास के लोगों की मदद करें। आप किसी स्कूल में बच्चों को पढ़ा सकते हैं, किसी बस्ती में जरूरतमंदों को खाना बाँट सकते हैं या अपने क्षेत्र में पेड़ लगा सकते हैं। मंडेला का मानना था कि छोटे-छोटे कदम भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

इसके अलावा, मंडेला के विचारों को पढ़ें और दूसरों के साथ साझा करें। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में समानता और शांति के लिए काम करें। अगर आप दक्षिण अफ्रीका में हैं, तो रॉबेन द्वीप जेल या मंडेला के घर को देखने जा सकते हैं, जो अब एक संग्रहालय है।

नेल्सन मंडेला का जीवन हमें सिखाता है कि कोई भी मुश्किल कितनी भी बड़ी क्यों न हो, उसे हिम्मत, धैर्य और प्रेम से हराया जा सकता है। वे एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने 27 साल जेल में बिताए, फिर भी अपने दुश्मनों को माफ कर दिया। उनकी यह माफ करने की शक्ति उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस हमें याद दिलाता है कि हम सभी में बदलाव लाने की ताकत है।

18 जुलाई, 2025 को जब आप यह दिन मनाएँ, तो मंडेला के उस संदेश को याद करें कि यह आपके हाथ में है। चाहे वह छोटा सा कदम हो या बड़ा, हर प्रयास मायने रखता है। मंडेला की तरह, आइए हम भी अपने आसपास के लोगों के लिए आशा और प्रेरणा का स्रोत बनें।

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