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Nutty Putty Cave Incident: जब रोमांच बना मौत का रास्ता, जानिए Nutty Putty Cave की दर्दनाक घटना की कहानी
Nutty Putty Cave की त्रासदी यह सिखाती है कि रोमांच की दौड़ में सुरक्षा की अनदेखी जानलेवा साबित हो सकती है।
Nutty Putty Cave Incident Story
Nutty Putty Cave Incident History: मनुष्य हमेशा से ही अनजाने और रहस्यमयी स्थलों की ओर आकर्षित होता आया है कभी रोमांच की तलाश में, तो कभी ज्ञान और खोज की जिज्ञासा में। कई बार जो स्थान बाहर से शांत और आकर्षक दिखते हैं, उनके भीतर अनदेखे खतरे छिपे होते हैं। अमेरिका की नटी पट्टी गुफा भी ऐसा ही एक रहस्य से भरा स्थान था। जो देखने में साधारण लगती थी लेकिन भीतर मौत की परछाइयाँ समेटे हुए थी। यह गुफा लंबे समय तक स्पेलंकिंग यानी गुफा अन्वेषण के शौकीनों के लिए आकर्षण का केंद्र रही। लेकिन वर्ष 2009 में घटित एक दर्दनाक हादसे ने इसे सदा के लिए बंद कर दिया।
Nutty Putty Cave कहाँ स्थित है?
Nutty Putty Cave अमेरिका के यूटा राज्य की यूटा काउंटी में यूटा झील के पश्चिमी तट पर स्थित एक प्रसिद्ध लेकिन खतरनाक गुफा है। यह प्राकृतिक गुफा भूगर्भीय गर्मी और दवाब की प्रक्रियाओं से बनी है। जिसमें चूना पत्थर की परतें और बेहद संकरी, पेचीदा सुरंगें मौजूद हैं जो इसे बेहद जोखिमभरा बनाती हैं। जो इसे बेहद चुनौतीपूर्ण और जोखिमभरा बनाते हैं। करीब 1,400 फीट लंबी इस गुफा की खोज 1960 के दशक में डेल ग्रीन और उनकी टीम ने की थी। इसका नाम 'Nutty Putty' वहां की गीली, चिकनी और चिपचिपी मिट्टी के कारण पड़ा, जो सिलिका (सिलिकॉन डाइऑक्साइड) के बेहद बारीक कणों से बनी थी और जगह-जगह फिसलन पैदा करती थी। यह गुफा रोमांच प्रेमियों, खासकर बॉय स्काउट्स और कॉलेज छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय थी। लेकिन इसकी जटिल बनावट के चलते इसमें फंसने और बचाव अभियानों की घटनाएं आम थीं। वर्ष 2009 में एक दुखद हादसे में 26 वर्षीय जॉन एडवर्ड जोन्स इसी गुफा में फंस गए और उनकी मौत हो गई। उनका शव बेहद कठिन स्थान पर फंसा होने के कारण बाहर नहीं निकाला जा सका और उसी स्थान पर हमेशा के लिए छोड़ दिया गया। इस दुखद घटना के बाद Nutty Putty Cave को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। अब यह गुफा एक सील की गई जगह है, जो जॉन एडवर्ड जोन्स की स्मृति में एक मौन स्मारक के रूप में मौजूद है।
घटना का दिन - 24 नवंबर 2009
जॉन एडवर्ड जोन्स(John Edward Jones) जो एक अनुभवी गुफा खोजकर्ता, मेडिकल छात्र और तीन बच्चों के पिता थे, नवंबर 2009 में थैंक्सगिविंग से ठीक पहले Nutty Putty Cave की यात्रा पर गए थे। गुफा में उन्होंने 'Birth Canal' नामक एक अत्यंत संकीर्ण मार्ग को चुना जहाँ केवल पेट के बल रेंगते हुए ही आगे बढ़ा जा सकता था। दुर्भाग्यवश जॉन गलती से एक ऐसे रास्ते में मुड़ गए जो एक Dead End था । यह स्थान न केवल बेहद गहरा था बल्कि इतना तंग भी कि वापस मुड़ना असंभव हो गया।
मौत की ओर एकतरफा सफर
Nutty Putty Cave की त्रासदी उस समय और गहरा गई जब जॉन एडवर्ड जोन्स, एक अनुभवी गुफा अन्वेषक गलती से 'Birth Canal' समझकर एक अज्ञात और अत्यंत संकीर्ण मार्ग में प्रवेश कर गए, जो बाद में एक 'unmapped dead-end chute' यानी नक्शे में दर्ज न होने वाला बंद रास्ता साबित हुआ। जैसे ही वे आगे बढ़ते गए उनका शरीर गुफा में लगभग 90 डिग्री नीचे की ओर फंस इस हादसे में जॉन ऐसी स्थिति में फंस गए , जहां उनका सिर नीचे और पैर ऊपर की दिशा में था। इस अजीब और खतरनाक स्थिति में जॉन का सीना और पेट गुफा की तंग दीवारों से इतने जोर से दब गए कि उन्हें ठीक से सांस लेना मुश्किल हो गया और शरीर में रक्त प्रवाह भी बाधित होने लगा । जो किसी भी गुफा हादसे में जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने खुद को निकालने की हरसंभव कोशिश की लेकिन रास्ता इतना तंग था कि वह अपनी जगह से थोड़े भी नहीं हिल सके। उनके साथ मौजूद छोटे भाई जोष जोन्स ने उन्हें बचाने की भरसक कोशिश की। लेकिन जब वह सफल नहीं हुए, तो बाहर जाकर आपातकालीन सेवाओं को बुलाया।
रेस्क्यू ऑपरेशन
जॉन एडवर्ड जोन्स को बचाने के लिए शुरू किया गया रेस्क्यू ऑपरेशन यूटा काउंटी सर्च एंड रेस्क्यू टीम की तत्परता का एक जटिल और भावनात्मक उदाहरण बन गया। इस बचाव अभियान में लगभग 137 अनुभवी राहतकर्मियों को लगाया गया था। लेकिन गुफा की जटिल और बेहद तंग संरचना ने हर कोशिश को बेहद कठिन और थकाऊ बना दिया। जॉन जिस जगह फंसे थे वह इतना तंग था कि एक बार में केवल एक ही व्यक्ति वहां पहुँच सकता था और वह भी सीमित उपकरणों के साथ। बचाव दल ने रस्सियों, पुली सिस्टम और एंकर बिंदुओं की मदद से उन्हें बाहर निकालने का प्रयास किया। एक मौके पर वे थोड़े ऊपर खिंच भी पाए लेकिन जैसे-जैसे शरीर को खींचा गया, सिर नीचे होने के कारण उनके शरीर पर अत्यधिक दबाव पड़ा और हर प्रयास उनके लिए असहनीय दर्द और चीखों में बदल गया। गुफा की दीवारें कठोर चूना पत्थर से बनी थीं । इस कारण दीवारों को तोड़ने की कोशिश बहुत सीमित रखनी पड़ी क्योंकि इससे गुफा की स्थिरता पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता था। जॉन इतनी असहनीय तकलीफ में थे कि उनकी दर्द भरी आवाजें गुफा के मुहाने तक गूंजने लगी थीं।
आख़िरी पल जब उम्मीदें टूट गईं
जॉन एडवर्ड जोन्स करीब 25 से 27 घंटे तक Nutty Putty Cave की खतरनाक गहराई में फंसे रहे। 24 से 25 नवंबर 2009 की रात तक बचाव दल ने लगातार प्रयास किए। लेकिन हालात इतने पेचीदा थे कि जॉन को बाहर निकालना मुमकिन नहीं हो सका। वह लगभग 90 डिग्री की उलटी स्थिति में, सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर फंसे थे जिससे उनके शरीर का रक्त प्रवाह बुरी तरह बिगड़ गया और हालत और भी गंभीर हो गई। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में 'positional asphyxia' या 'inverted hypovolemic shock' कहा जाता है। जिसमें मस्तिष्क से रक्त वापसी मुश्किल हो जाती है, दिल पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और धीरे-धीरे अंगों का कार्य रुकने लगता जॉन की हालत तेजी से बिगड़ रही थी । उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, शरीर का निचला हिस्सा पूरी तरह सुन्न पड़ चुका था और अंततः 25 नवंबर 2009 को हृदय गति रुकने और अंगों के फेल होने से उनकी मौत हो गई। तब उनकी उम्र महज 26 साल थी। इस दर्दनाक परिस्थिति में उन्होंने अपनी पत्नी से आखिरी बार बात की थी और अपने आने वाले बच्चे के लिए एक नाम भी चुना था। उनकी आवाज में उम्मीद अब भी बाकी थी एक पिता, एक पति और एक इंसान की मार्मिक पुकार जो आज भी गूंजती है।
हमेशा के लिए बंद गुफा
जॉन एडवर्ड जोन्स की दुखद मौत के बाद, Utah School and Institutional Trust Lands Administration (SITLA) ने सार्वजनिक सुरक्षा, परिवार की भावनाओं और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के मद्देनज़र Nutty Putty Cave को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया। जॉन का शव जिस अत्यंत संकीर्ण और चट्टानी स्थान पर फंसा था वहां से निकालने के सभी प्रयास विफल रहे। क्योंकि हर कोशिश से गुफा की संरचना कमजोर होती जा रही थी जिससे बचावकर्मियों की जान को भी खतरा होने लगा। अंततः परिवार और अधिकारियों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि शव को उसी स्थान पर छोड़ दिया जाए।जिसके बाद उस हिस्से को सीमेंट और चट्टानों से हमेशा के लिए सील कर दिया गया।(यह प्रक्रिया 'entombment' कहलाती है जिसमें किसी को एक संरचना के भीतर स्थायी रूप से दफनाया जाता है) आज Nutty Putty Cave एक बंद स्मारक स्थल बन चुकी है जहां आम जनता के प्रवेश पर पूरी तरह रोक है। चेतावनी संकेत, गेट और सीमेंट प्लगिंग के माध्यम से इसे सुरक्षित और सील कर दिया गया है। भले ही यह पारंपरिक अर्थों में श्मशान न हो लेकिन प्रतीकात्मक रूप से यह स्थान अब एक 'श्मशान' बन चुका है। जहाँ एक व्यक्ति की अंतिम यात्रा वहीं समाप्त हुई और वह स्थान अब उनका शाश्वत विश्राम स्थल है।
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