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Onam 2025 Special Story: जानें राजा महाबली की कथा और 10 दिन के पर्व का महत्व
Onam 2025 Special Story: आज यानी 5 सितंबर 2025 को दक्षिण भारत के खासकर केरल में ओणम का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
History Of Onam: भारत की सांस्कृतिक विविधता विशाल है जिसमे हर एक राज्य की अपनी एक परंपरा और पर्व प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक पर्व है । ओणम, दक्षिण भारत विशेष रूप से केरल का सबसे प्रमुख और भव्य फसल पर्व है जो 10 दिनों तक मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इन 10 दिनों का धार्मिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक दृष्टि से गहरा महत्व है। और प्रत्येक दिन की अपनी अलग विशेषता मानी जाती है। हर साल श्रावण और भाद्रपद महीने के अंत में मनाया जाने वाला ओणम दस दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जो आदर्श रूप से भगवान वामन अवतार और राजा महाबली की कथा से जुड़ा हुआ है । ऐसे आइये जानते है की ओणम क्यों है खास और क्या है इसे मनाने की विधि?
ओणम का महत्व और पौराणिक कथा
राजा महाबली अपने समय के एक धर्मप्रिय, उदार और न्यायप्रिय शासक थे, जिनके राज्य में सभी लोग समानता और समृद्धि के साथ रहते थे। उनकी बढ़ती लोकप्रियता और दानशीलता से देवताओं को खतरा महसूस हुआ, इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने वामन नामक बौने ब्राह्मण का अवतार लिया और महाबली से केवल तीन पग भूमि की भिक्षा मांगी। वामन ने अपनी विशाल आकृति में पहले पग से पूरी पृथ्वी और दूसरे पग से आकाश नाप लिया। तीसरे पग के लिए जगह न होने पर महाबली ने अपना सिर वामन को दे दिया। वामन ने अपना तीसरा पग महाबली के सिर पर रखा और उन्हें पाताल लोक भेज दिया। लेकिन उन्हें यह वरदान दिया गया कि वे हर वर्ष अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आएंगे, जिसे केरल में ओणम त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
ओणम के 10 दिनों का महत्व
अथम (Atham) - पहला दिन घरों की सफाई, पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाना आरंभ, उत्सव की शुरुआत।
चिथिरा (Chithira) - पुक्कलम में और रंगों का समावेश, महिलाएँ पुष्प सजावट का विस्तार करती हैं।
चोडी (Chodi)/चोथी (Chothi) - नई चीज़ें ख़रीदने और पूकलम का विस्तार करने का दिन।
विशाकम (Vishakam) - कृषकों के लिए अच्छा दिन, अन्न का महत्व।
अनिजम् (Anizham) - इस दिन सांप नौका दौड़ की प्रतियोगिता होती है।
त्रिकेट्टा (Thriketta) - धार्मिक और सांस्कृतिक मेल जोल।
मूलम (Moolam) - मंदिरों में विशेष प्रसाद, त्योहार संबंधी पारंपरिक नृत्य।
पूरदम (Pooradam) - मिट्टी की मूर्ति सजाई जाती है।
उथ्राडम (Uthradom/Uthradam) - राजा महाबली के स्वागत की अंतिम तैयारी, इसे 'प्रथम ओणम' भी कहते हैं।
थिरुवोणम (Thiruvonam) - यह मुख्य दिन होता है, इस राजा महाबली का प्रतीकात्मक स्वागत, ओणम साध्या (भव्य दावत), पारंपरिक खेल व नृत्य किया जाता है ।
ओणम के प्रमुख उत्सव और रिवाज
पुन्नल (Pookalam) - ओणम पर फूलों से बनाई गई रंगोली को पुक्कलम (Pookalam) कहा जाता है। यह शब्द मलयालम भाषा से लिया गया है, जिसमें ‘पू’ का मतलब फूल और ‘कोलम’ का मतलब रंगोली होता है। ओणम के हर दिन घर और मंदिर के द्वार पर पुक्कलम सजाई जाती है। जो समृद्धि, शुभकामना और भगवान के स्वागत का प्रतीक मानी जाती है।
ओणम सैप्टिक (Onam Sadya) - ओणम पर पारंपरिक भोज जिसे ओणम साद्या कहा जाता है, कई तरह के शाकाहारी व्यंजनों से बनाया जाता है। इसमें केले के पत्ते पर चावल, सांभर, रस्सम, अवियल, थोरन, अचार, पापड़ और मिठाई (पायलम) शामिल होते हैं। यह साद्या ओणम का सबसे खास हिस्सा माना जाता है।
केरल नृत्य - ओणम पर केरल के पारंपरिक नृत्य जैसे कथकली, थिरुवाथिरा और पुलिकली प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके अलावा पारंपरिक मार्शल आर्ट कल्लियारिपयट्टू और कई लोकनृत्य भी देखे जा सकते हैं। ये नृत्य केरल की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक भावनाओं का सुंदर प्रदर्शन हैं।
नाव रेस और खेल - ओणम के खास आयोजनों में नौका दौड़ (Snake Boat Race), तीरंदाजी, कुश्ती और रस्साकशी जैसी खेल प्रतियोगिताएँ होती हैं।
ओणम की पूजा विधि
ओणम के दिन प्रातः स्नान के बाद नए वस्त्र पहनना और घर के पूजा स्थल को फूलों और पुक्कलम (फूलों की रंगोली) से सजाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
पूजा में भगवान वामन (विष्णु) या त्रिक्ककारा अप्पन और राजा महाबली की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
इस दौरान फल, फूल, नारियल, मिठाई और खासतौर पर पायसम (खीर) का भोग लगाया जाता है। लोग धूप-दीप जलाते हैं, विष्णु सहस्रनाम या ओणम की स्तुति का पाठ करते हैं, मंत्र जाप करते हैं और सामूहिक आरती या प्रार्थना में शामिल होते हैं।
पूजा के बाद 'साध्या' (Onam Sadya) का आयोजन होता है जो एक विशेष शुद्ध शाकाहारी भोज होता है। इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है और आमतौर पर इसमें 24 से 28 अलग-अलग व्यंजन जैसे दाल, सब्जियां, अचार और पायसम शामिल होते हैं।
ओणम का महत्व
ओणम का पर्व फसल कटाई, समृद्धि, भाईचारा और परिवार की एकता का प्रतीक है। इसकी कथा राजा महाबली की लोकप्रियता, उनका पातालगमन और वर्ष में एक दिन धरती पर लौटने की पौराणिक मान्यता से जुड़ी हुई है। इस त्योहार में सांस्कृतिक कार्यक्रम, नौका दौड़, फूलों की रंगोली और पारंपरिक खेल शामिल होते हैं। ओणम का हर दिन जीवन में खुशहाली, प्रेम और सामंजस्य का संदेश लेकर आता है।
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