स्वर्ग से धरती पर उतरा ये पेड़, अप्सरा को ही था इसे छूने का अधिकार, आखिर क्या है इस रहस्यमयी वृक्ष की कहानी?

Parijat Tree Benefits: पारिजात वृक्ष एक दिव्य और औषधीय पेड़ है, जो पौराणिक कथाओं और आयुर्वेद में अपनी विशेष महत्ता रखता है।

Akriti Pandey
Published on: 19 Oct 2025 1:52 PM IST (Updated on: 19 Oct 2025 1:52 PM IST)
Parijat Tree Benefits
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Parijat Tree Benefits

Parijat Tree Benefits: पारिजात वृक्ष, जिसे हरसिंगार या नाइट जैस्मिन के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं और आयुर्वेद में विशेष महत्व रखता है। इसका नाम सुनते ही मन में एक सुंदर, सुगंधित और रहस्यमय पेड़ की छवि उभर आती है। यह वृक्ष न केवल अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक कथाएँ भी जुड़ी हुई हैं।

पौराणिक महत्व और समुद्र मंथन की कथा

पारिजात का उल्लेख समुद्र मंथन की प्राचीन कथा में भी मिलता है। समुद्र मंथन के दौरान जो चौदह रत्न निकले थे, उनमें से एक पारिजात भी था। कहा जाता है कि इसे स्वर्ग के इंद्र के बगीचे में लगाया गया था। इस वृक्ष को छूने का अधिकार केवल अप्सरा उर्वशी को था, जो इसे अपनी सुंदरता और खुशबू के लिए बहुत मानती थीं। पारिजात वृक्ष की यह पौराणिक कथा इसे दिव्य और अलौकिक बनाती है।

पारिजात के अनोखे गुण: रात में खिलता है, सुबह गिरता है

पारिजात की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि इसके फूल केवल रात के समय खिलते हैं और सुबह होते ही ये फूल जमीन पर गिर जाते हैं। इसके फूलों की खुशबू इतनी मनमोहक होती है कि पूरा वातावरण महक उठता है। इसके सफेद फूल और केसरिया रंग का डंठल इसे अन्य फूलों से अलग पहचान देते हैं। इसी वजह से पारिजात को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है, जो मन की इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।

श्रीकृष्ण और पारिजात वृक्ष की कथा

पारिजात वृक्ष से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि देवर्षि नारद ने पारिजात के फूल भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी सत्यभामा को भेंट किए। सत्यभामा इस उपहार से इतनी खुश हुईं कि उन्होंने श्रीकृष्ण से आग्रह किया कि यह वृक्ष उनकी वाटिका में लाया जाए। इंद्र ने इस मांग को ठुकरा दिया, लेकिन श्रीकृष्ण ने गरुड़ पर सवार होकर स्वर्ग से पारिजात वृक्ष को लाकर सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया। दिलचस्प बात यह है कि इसके फूल रुक्मिणी की वाटिका में गिरते थे। इस कथा ने पारिजात वृक्ष को एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दिया।

पारिजात की संरचना और जीवनकाल

पारिजात वृक्ष लगभग 10 से 15 फीट ऊंचा होता है और हजारों साल तक जीवित रह सकता है। इसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसके फूल तोड़ने की मनाही है; केवल वे फूल उपयोग में लाए जाते हैं जो अपने आप गिर जाते हैं। यह वृक्ष न केवल अपने फूलों की खुशबू से वातावरण को महकाता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है।

आयुर्वेद में पारिजात का औषधीय महत्व

पारिजात को आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय वृक्ष माना गया है। यह विशेष रूप से साइटिका, यानी कमर से लेकर पैरों तक होने वाले दर्द में बेहद प्रभावशाली है। इसके 10-15 ताजे पत्तों को पानी में उबालकर तैयार किया गया काढ़ा सुबह-शाम पीने से दर्द में तुरंत राहत मिलती है। इसके अलावा, यह काढ़ा जोड़ों के दर्द, बुखार और शरीर की थकान को भी कम करता है। पारिजात के औषधीय गुणों के कारण इसे आयुर्वेदिक उपचारों में प्रमुखता दी गई है।

Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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