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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी का संदेश, परमानंद का ध्यान ही निर्भय और सुखी जीवन का मार्ग
Premanand Ji Maharaj Sandesh: प्रेमानंद जी कहते हैं कि नाम जाप और सच्चे आचरण से मनुष्य हर भय से मुक्त होकर आनंदमय जीवन जी सकता है।
Premanand ji Maharaj (Image Credit-Social Media)
मौजूदा समय में आपा-धापी भरे जीवन में हर इंसान किसी न किसी रूप में डर के घेरे में जी रहा होता है। कोई अपने सुरक्षित भविष्य को लेकर चिंतित है, कोई सामाजिक प्रपंचों से घबराया रहता है तो कोई अपने ही किए गलत कर्मों की वजह से भीतर से भयग्रस्त है। मगर संत प्रेमानंद महाराज इस आशंकाओं और भयग्रस्त जीवन के असली कारण को बहुत सरलता से समझाते हैं। उनका कहना है कि भय कहीं बाहर से नहीं आता, यह हमारे भीतर से पैदा होता है। और इसका एक ही इलाज है वह है भगवान का चिंतन और नाम संकीर्तन।
क्या है इस भय का असली कारण
अक्सर लोगों ने यह समस्या देखी जाती है कि वे अपनी हर छोटी से छोटी बात को लेकर भयग्रस्त रहते हैं। प्रेमानंद जी इस विषय पर कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को डर तभी सताता है जब उसके आचरण में कुछ कमी या गलत हो। यदि इंसान छल-कपट करता है, या झूठ बोलने का आदी होता है या हमेशा दूसरों का अहित सोचता है, तो वह हर वक्त भयग्रस्त रहता है। लेकिन जो सच्चा है, ईमानदार है और अपने आचरण पर अडिग है, तो उसे दुनिया का कोई विरोध हिला नहीं सकता। सच्चाई ही ऐसा कवच है जो इंसान के भीतर आत्मबल को पुष्ट कर इंसान को निर्भयता प्रदान करती है।
भगवान का स्मरण ही है भय नाशक मंत्र
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जो इंसान अपने भीतर भगवान के नाम का जाप लगातार करता रहता है, उसका भय स्वतः नष्ट हो जाता है। नाम संकीर्तन से मन स्थिर होता है और आत्मा मजबूत बनती है। जब मनुष्य यह अनुभव करता है कि उसके साथ स्वयं भगवान खड़े हैं, तो उसे कोई डर सताने की हिम्मत नहीं करता।
कैसे करें सेवा और भजन के बीच संतुलन
महाराज के अनुसार भजन करना अच्छा है, लेकिन यदि हम अपने दैनिक कार्यकलापों, जिम्मेदारियों और सेवा छोड़कर केवल पूजा-पाठ में लगे रहें तो यह अधूरी साधना है। असली साधना वह है जिसमें मन भजन करता है और हाथ सेवा में लगे रहते हैं। प्रेमानंद जी कहते हैं कि सेवा का अर्थ केवल दान देना नहीं है, बल्कि दूसरों की पीड़ा को समझना और उनकी मदद करना भी है।
धनलोभ और प्रतिष्ठा की कामना से रखें दूरी
धन और प्रतिष्ठा की चाह इंसान को पतन की ओर धकेलती है। प्रेमानंद महाराज इसे घटिया सोच कहते हैं। उनका मानना है कि सच्ची शांति न तो दौलत से मिलती है और न ही नाम और शोहरत से, बल्कि ईश्वर के भजन से मिलती है। राधा वल्लभ का भजन करने से मन को वही शांति मिलती है, जिसकी तलाश हर इंसान करता है। जिसे अकूत धन वैभव पाकर भी हासिल नहीं किया जा सकता।
गलती को स्वीकारना और सुधार करने से मिलती है पापों से मुक्ति
इस संसार में ऐसा कोई नहीं जिसने कभी न कभी गलती न की हो। माया मोह से भरे इस संसार में यदि ईश्वर को साधकर नहीं चले तो फंसना तय है। लेकिन अपनी भूलों को स्वीकार करना और सुधारना ही इंसान की सबसे बड़ी ताकत है। महाराज कहते हैं कि यह सोच गलत है कि 'गलतियां होती ही रहेंगी।' अगर इंसान अपनी भूलों को सुधारकर ईश्वर के चरणों में समर्पित हो जाए तो पाप से मुक्ति पाना संभव है।
कर्म सुधार ही सुखी जीवन की कड़ी
हर इंसान अपने पिछले कर्मों का फल भोगने के लिए जन्म लेता है और अपने वर्तमान कर्मों से अगले जन्म की राह तैयार करता है। यही कारण है कि हर क्षण हमें सजग रहना चाहिए। यदि हम अच्छे कर्म करें, सत्य बोलें और ईश्वर का नाम जपें, तो इसका लाभ हमें न केवल इस जीवन में बल्कि अगले जन्म में भी मिलता है।
भय से आगे बढ़ने का मार्ग
घबराहट, चिंता और भय मुक्त जीवन जीना है तो सत्य का सहारा लें। जब इंसान सत्य पर चलता है, तो उसे किसी से डरने की ज़रूरत नहीं। सत्य की ताकत से आत्मा पुष्ट होती है। जीवन में भगवान का नाम जपें। नाम संकीर्तन मन को स्थिर और आत्मा को निर्भीक बनाता है। इसके लिए सेवाभाव और भजन को जोड़ें। क्योंकि केवल भजन ही नहीं, सेवा भाव भी जीवन का आधार होना चाहिए। सुखी जीवन और ईश्वर से जुड़ने के लिए लोभ और मोह को त्यागें। धन और प्रतिष्ठा के पीछे भागना अशांति को जन्म देता है। जीवन में जितना प्राप्त है उतना ही पर्याप्त है का भाव संतुष्टि लाता है। अपनी गलती छुपाने के बजाय उन्हें सुधारना ही सच्चा साहस है।
प्रेमानंद जी महाराज अपने प्रेरक संदेशों के माध्यम से ये समझाने का प्रयास करते हैं कि मनुष्य के जीवन में भय तब तक बना रहता है जब तक वह असत्य, लोभ और मोह में उलझा रहता है। लेकिन जैसे ही इंसान ईश्वर का चिंतन करने लगता है, अपने आचरण में सच्चाई, सेवा-भजन को साथ लेकर चलता है, उसके भीतर का डर गायब हो जाता है। प्रेमानंद महाराज का यही संदेश है कि नाम जाप और सच्चे आचरण से मनुष्य हर भय से मुक्त होकर आनंदमय जीवन जी सकता है।
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