Premanand Ji Maharaj: जहां बालक प्रेमानंद ने साधना की, वहीं विराजेंगी अब राधारानी, कानपुर के गांव में बनेगा भव्य मंदिर

Premanand Ji Maharaj: श्री प्रेमानंद महाराज आज देश-दुनिया में राधा भक्ति और आध्यात्मिक चेतना के लिए विख्यात हैं। लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत एक ग्रामीण मंदिर से हुई थी

Jyotsna Singh
Published on: 26 July 2025 1:52 PM IST
Premanand Ji Maharaj Connection Kanpur Village Built Beautiful Radha Krishna Mandir
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Premanand Ji Maharaj Connection Kanpur Village Built Beautiful Radha Krishna Mandir

Premanand Ji Maharaj: प्रेम जब बचपन में ही ईश्वर से जुड़ जाए, तो वह भक्ति नहीं समर्पण बन जाता है। वृंदावन के श्री हित राधा केलिकुंज आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज ने राधारानी के प्रति जिस निश्छल प्रेम और निर्मल भक्ति का भाव बाल्यकाल में साधा था, वही अब वर्षों बाद एक मंदिर के रूप में मूर्त रूप लेने जा रहा है। कानपुर देहात के सरसौल ब्लॉक स्थित सैंमसी गांव की वह साधना भूमि, जहां एक किशोर ब्रह्मचारी के रूप में महाराज जी ने चार वर्ष तक तप किया था। अब श्रीराधारानी के भव्य मंदिर के रूप में विकसित की जा रही है। मंदिर निर्माण की सूचना ने पूरे क्षेत्र को भक्ति-भाव और गर्व से भर दिया है। गांव के लोग कह रहे हैं कि 'जहां कभी बालक प्रेमानंद ने राधारानी को पुकारा था, अब वहां राधारानी स्वयं विराजेंगी।'

प्रेमानंद महाराज का सैंमसी गांव से भावनात्मक जुड़ाव

श्री प्रेमानंद महाराज आज देश-दुनिया में राधा भक्ति और आध्यात्मिक चेतना के लिए विख्यात हैं। लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत एक ग्रामीण मंदिर से हुई थी, जो अब धर्मस्थली बनने की ओर अग्रसर है। करीब 13 वर्ष की उम्र में वे कानपुर देहात के नरवल तहसील स्थित अखरी गांव से निकलकर सैंमसी गांव पहुंचे थे। यहां स्थित देवरा माता मंदिर में उन्होंने अपने प्रारंभिक साधना के चार वर्ष बिताए। देवरा माता मंदिर में महाराज जी को उस समय के प्रमुख संत महंत गणेशानंद स्वामी का मार्गदर्शन मिला। ग्रामीणों ने भी उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानकर स्नेह और सेवा प्रदान की। यही कारण है कि साधना की यह भूमि उनके हृदय में रच-बस गई।

चार वर्षों की तपस्या और फिर राधाभाव का विस्तार

सैंमसी में चार वर्ष तक गहन साधना के बाद वे ब्रज भूमि की ओर रवाना हुए और आगे चलकर वृंदावन में श्री हित राधा केलिकुंज आश्रम की स्थापना हुई। लेकिन उनकी आत्मा का एक टुकड़ा उस गांव की मिट्टी में ही छूट गया था, जहां से यह राधाभक्ति यात्रा प्रारंभ हुई थी। 1 जुलाई 2025 को सैंमसी गांव के पूर्व प्रधान विष्णुदत्त अवस्थी उर्फ मुन्ना भैया के पास वृंदावन स्थित आश्रम से प्रेमानंद महाराज का फोन आया। उन्होंने बाल्यकाल की उसी साधना भूमि पर श्री राधारानी का भव्य मंदिर बनवाने की इच्छा प्रकट की। 2 जुलाई को पूर्व प्रधान समेत गांव के 20 लोग वृंदावन पहुंचे और महाराज जी से भेंट की। वहां एकांत वार्ता में मंदिर निर्माण का निर्णय लिया गया।

देवरा माता मंदिर ट्रस्ट का गठन और भूमि रजिस्ट्री

महाराज जी की प्रेरणा से देवरा माता मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया। इसके अंतर्गत सवा बीघा जमीन की ट्रस्ट के नाम पर विधिवत रजिस्ट्री भी की गई। यह न केवल आध्यात्मिक, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी मंदिर निर्माण की ठोस आधारशिला है, प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर का स्वरूप पारंपरिक ब्रजशैली में होगा। जिसमें राधारानी की प्रतिमा के साथ कथा सभागार, भक्त निवास, साधना कक्ष और सेवा केंद्र की व्यवस्था भी प्रस्तावित है। यह मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं होगा, बल्कि प्रेम, समर्पण और सेवा के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम भी बनेगा।

गांव में भक्तिभाव की लहर और मिल रहा जनसहयोग

मंदिर निर्माण की घोषणा के बाद सैंमसी गांव में उत्सव का माहौल है। ग्रामीणों ने बढ़-चढ़कर सहयोग देने का संकल्प लिया है। गांव की महिलाएं भजन मंडलियों में जुट गई हैं, युवक श्रमदान की योजना बना रहे हैं और बुजुर्ग इस ऐतिहासिक क्षण को जीने में मग्न हैं।

राधा प्रेम की शिक्षा और विस्तार

राधा रानी के प्रति अपनी अटूट भक्ति के चलते लोकप्रिय हो चुके प्रेमानंद महाराज अपने प्रवचनों में सदैव यह कहते हैं कि, 'राधा नाम ही प्रेम का सार है।' यह मंदिर उसी प्रेम को समाज के कोने-कोने में फैलाने का केंद्र बनेगा। यहां बालकों को भक्ति सिखाई जाएगी, युवाओं को सेवा और बड़ों को ध्यान का मार्ग मिलेगा।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संत समाज ने इस पहल को स्वागत योग्य बताया है। उनका मानना है कि यह मंदिर धार्मिक पर्यटन, स्थानीय विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का केंद्र बन सकता है। प्रेमानंद महाराज की बाल्यकालीन तपोस्थली अब सिद्ध भूमि बनने जा रही है। यह मंदिर न केवल उनकी साधना का स्मारक होगा, बल्कि यह उन सभी के लिए प्रेरणा बनेगा जो सच्चे प्रेम और भक्ति की राह पर चलना चाहते हैं।

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