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महाराज! लोग हमारा अहित क्यों करते हैं? संत प्रेमानंद बोलेः कोउ न काहू के सुख-दुख कर दाता...
Premanand Ji Maharaj: ऐसा ही एक भक्त प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम पहुंचा और उसने पूछा कि लोग हमारा अहित क्यों करते हैं? इस पर महाराज ने तुरंत कहा कि पहली बार तो यह जान लो विश्व में ऐसा कोई भी पैदा नहीं हुआ जो हमारा अहित कर सके।
Premanand Ji Maharaj
Premanand Ji Maharaj: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के वृंदावन के मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए देश-विदेश से भक्त उनके आश्रम पहुंचते हैं। वह अपनी सरल और साफ भाषा से भक्तों का मार्गदर्शन करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन में रहते हैं और राधा रानी के अनन्य भक्त हैं। उनके सत्संग को सुनने के लिए दूर-दराज से लोग आश्रम पहुंचते हैं।
यहीं नहीं जब प्रेमानंद जी महाराज परिक्रमा के लिए निकलते हैं तो भक्त उनकी चरणरज लेने के लिए आतुर नजर आते हैं। उनके आश्रम पहुंचने के बाद भक्त अपनी मन की सभी दुविधा को बेफिक्र होकर उनके समक्ष कह देते हैं। महाराज भी भक्तों की मन की शंका को धैर्यपूर्वक सुनते हैं और सद्मार्ग पर चलने का रास्ता बताते हैं।
भक्त के सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने दिखाया रास्ता
ऐसा ही एक भक्त प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम पहुंचा और उसने पूछा कि लोग हमारा अहित क्यों करते हैं? इस पर महाराज ने तुरंत कहा कि पहली बार तो यह जान लो विश्व में ऐसा कोई भी पैदा नहीं हुआ जो हमारा अहित कर सके। उन्होंने कहा कि कर्म ही हमारा अहित कराता है। चाहे वह व्यक्ति रूप में आए, घटना रूप में या फिर परिस्थिति रूप में आए। हमारा कर्म ही हमारे अहित की वजह होते हैं।
इसके अलावा विश्व में ऐसा कोई भी नहीं है जो हमारा अहित कर सके। उन्होंने उदाहरण देते हुए इस बात को समझाया और कहा कि हमारा कर्म ही किसी व्यक्ति के रूप में सामने आ सकता है और वह हमसे छल-कपट, मारपीट करेगा। हमारे लिए विपत्ति पैदा करेगा। वरना ऐसा कोई भी नहीं है जो हमारा थोड़ा सा भी अहित कर सके। हमारा कर्म ही होगा जो हमारे अहित की वजह बनेगा। उन्होंने कहा कि कोई न काहू के सुख-दुख कर दाता, निज कृत कर्म भोग सुन दाता।
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