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Premanand Ji Maharaj Motivation: प्रेमानंद महाराज ने बचपन में बढ़ रहे नशे पर जताई चिंता

Premanand Ji Maharaj Motivation Gyan: प्रेमानंद जी महाराज ने बढ़ती नशे की लत और बच्चे‑किशोरों के जीवन में छाई समग्र अशांति पर गहरी चिंता जताई...

Jyotsna Singh
Published on: 2 July 2025 1:43 PM IST
Premanand Ji Maharaj Motivation Gyan
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Premanand Ji Maharaj Motivation Gyan (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj Motivation Gyan: वृंदावन के लोकप्रिय संत प्रेमानंद महाराज ने सार्वजनिक सत्संग में एक बार फिर समाज को महत्वपूर्ण संदेश दिए। बढ़ती नशे की लत और बच्चे‑किशोरों के जीवन में छाई समग्र अशांति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, महाराज जी ने समस्याओं के मूल में प्यार, संवाद और पारिवारिक अपनापन को बताया। उनका यह प्रवचन स्नेह और समझ पर आधारित सामूहिक जागरूकता का मार्ग प्रस्तुत करता है। उन्होंने इस चुनौती से निपटने के लिए प्रेम रस में पगे कई सरल उपाय बताए।

नशा–एक सामाजिक संकट

इस प्रवचन में महाराज जी ने मुखर रूप से कहा कि आज नशे की प्रवृत्ति केवल युवा नहीं, बल्कि अब छोटे बच्चों तक पहुंच चुकी है। उन्होंने इस समस्या को अत्यंत गम्भीर बताते हुए कहा कि बच्चों द्वारा पेट्रोल और सॉल्यूशन सूंघकर नशा करना अब आम हो गया है। यह हम सबके लिए चेतावनी की घंटी है ।


डांटने की जगह निभाएं मित्र की भूमिका

इस सत्संग में सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाला असरदार संदेश था कि, बच्चों को रिश्तों में अपनापन चाहिए। महाराज जी ने अभिभावकों को सलाह दी कि किसी गलती पर उन्हें डांटने की जगह मित्र की तरह उन्हें सुनो, समझो और प्यार से संभालो। उनके अनुसार इस समस्या से बचने के लिए

प्रथम आधार है अपनापन और संवाद। डांट और डराने के बजाए दोस्त बनें। क्रोध करने या दंड देने की जगह उनकी बातें सुनें और समझदारी से साथ दें। वरना बच्चे अपनेपन की तलाश में या घर से बाहर निकल जाते हैं या नशे की लत के आदी हो जाते हैं।

दूसरा आधार है प्यार की खेती। जब बच्चे घर में प्यार महसूस करते हैं, तब वे गलत राहों से दूर रहते हैं।

प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट किया कि नैतिक शिक्षा सबसे अधिक प्रभाव तब डालती है जब वह डर या कठोरता पर आधारित न होकर प्रेम, सहयोग और समझ से भरी हो। उनका कहना था कि 'अच्छा–बुरा बताने का सबसे प्रभावशाली तरीका है प्यार और संवाद'।

नशा मुक्ति अभियानों को सशक्त बनाने का आह्वान

महाराज जी ने समाज और नशा मुक्ति अभियानों को भी सशक्त बनाने का आह्वान किया। समाजसेवियों ने स्वीकार किया कि उनके मार्गदर्शन से यह अभियान नई दिशा पा सकता है ।


इन प्रेरक सामाजिक संदेशों के साथ, महाराज जी ने अपने सत्संग में मन की शांति और आत्म संबल पर भी जोर दिया। उन्होंने अपने श्रोताओं को मार्गदर्शन देते हुए समझाया कि, मन को शांत रखिए, सुखी जीवन के लिए ये बेहद जरूरी अभ्यास है। महाराज जी ने कहा कि, संतुलित आहार, नियमित प्राणायाम और शांति से भरा मन ही जीवन में सच्चा सुख ला सकता है। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि नामजप से मन की एकाग्रता और स्थिरता आती है, जो युवा और बड़ों दोनों को नशे और मानसिक अशांति से बचा सकती है।

वो व्यावहारिक उपाय- घर से शुरू हो समाधान

महाराज जी ने सत्संग में स्पष्ट रूप से कहा कि, बच्चों को प्रेम से सींचे। घर में अपनापन पैदा करें। डांट फटकार की जगह संवाद को प्राथमिकता दें। किसी अभियान और जागरूकता से जुड़ने के लिए बचपन से ही प्रेरित करें। अभिभावक पहले स्वयं नामजप, योग और संतुलित जीवनशैली अपनाएं।

सुधार के लिए बातें नहीं, बल्कि संवाद और विश्वास जरूरी है

आज जब लोगों में मानसिक स्वास्थ्य पर चिंताएं बढ़ी हैं। विशेषकर युवाओं में, महाराज जी द्वारा दिए गए संदेश यह बताते हैं कि, समस्या और समाधान दोनों घर की चारदीवारी से शुरू होते हैं। उनका कहना है कि, केवल सुधार के लिए विषय पर चर्चा नहीं, बल्कि समाधान तलाशने के लिए संवाद और भरोसा जरूरी है।


प्रेमानंद महाराज का यह प्रवचन सिर्फ चेतावनी भर नहीं, बल्कि प्रेम और संवाद से जुड़े समाधान का मार्गदर्शन भी था। यह संदेश स्पष्ट करता है कि बच्चे‑युवा जब माता‑पिता के साथ समझ और अपनापन महसूस करते हैं, तो वे आत्मिक एवं सामाजिक रूप से सुदृढ़ बनते हैं। साथ ही नामजप और जीवनशैली में संतुलन हमें नशे के प्रति लक्षित रक्षा तंत्र देता है।

उनके ये प्रेरक विचार सरल‑सीधी भाषा में व्यावहारिक समाधान सुझाते हैं। जो न केवल व्यक्तिगत परिवर्तनों की नींव रखते हैं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और अभिभावकीय गठजोड़ को भी मजबूत बनाते हैं।

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