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Russia Earthquake: रूस में फिर भूकंप के तेज झटके: भूकंप क्यों आता है? जानिए इसके वैज्ञानिक कारण
Russia Earthquake: यह लेख भूकंप की प्रकृति, कारण, घटनाक्रम और इतिहास के सबसे विनाशकारी भूकंपों को विस्तार से प्रस्तुत करता है।
Russia Earthquake Incidents History
Russia Earthquake Incidents History: धरती की सतह पर जब अचानक तेज़ झटके महसूस होते हैं, इमारतें हिलने लगती हैं, सड़कों में दरारें आ जाती हैं और समुद्र की लहरें उफान पर आ जाती हैं, तब हमें समझ आता है कि इंसान प्रकृति के सामने कितना छोटा और असहाय है। आज यानि 13 सितंबर 2025, शनिवार को रूस में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने हमें फिर से इस खतरे की याद दिला दी। इस झटके के बाद अमेरिका और चीन जैसे देशों ने सुनामी का अलर्ट भी जारी कर दिया। ऐसे समय में यह समझना ज़रूरी हो जाता है कि भूकंप क्या होता है, यह क्यों आता है और इतिहास में कौन-कौन से भूकंप सबसे ज़्यादा डरावने और विनाशकारी रहे हैं।
हालिया घटना
रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पूर्वी तट के पास शनिवार यानि 13 सितंबर 2025 को एक शक्तिशाली भूकंप आया, जिसकी तीव्रता को अलग-अलग एजेंसियों ने अलग मापा। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस (GFZ) ने इसकी तीव्रता 7.1 और गहराई 10 किलोमीटर बताई, जबकि अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) ने इसे 7.4 तीव्रता और 39.5 किलोमीटर गहराई का भूकंप दर्ज किया। विशेषज्ञों के अनुसार यह गहरा और बेहद शक्तिशाली झटका था। पैसिफिक सुनामी वार्निंग सेंटर ने इस भूकंप के बाद सुनामी की आशंका जताते हुए क्षेत्र में खतरे की चेतावनी जारी की, हालांकि जापान में कोई अलर्ट नहीं जारी किया गया। वहीं, चीन के सुनामी वार्निंग सेंटर ने भी स्थानीय स्तर पर सुनामी की संभावना की जानकारी दी।
हाल की बड़ी घटनाएँ
जुलाई 2025 में भी रूस के उसी क्षेत्र (कामचटका और कुरिल द्वीप) में 8.8 और 6.5 तीव्रता के दो बड़े भूकंप आए। इन भूकंपों की वजह से कई जगह इमारतों को नुकसान पहुंचा, समुद्र तट पर सुनामी जैसी ऊँची लहरें उठीं और कुछ जगहों पर ज्वालामुखी भी फट पड़े। हालात को देखते हुए अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों ने अपने तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी थी ।
भूकंप क्या है?
भूकंप या भूचाल धरती की सतह के हिलने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह तब होता है जब धरती के भीतर अचानक बहुत सारी ऊर्जा निकलती है और कंपन पैदा करती है। ये कंपन भूकंपीय तरंगों के रूप में फैलती हैं जिससे हमें झटके महसूस होते हैं। भूकंप की शुरुआत जिस जगह से होती है, उसे हाइपो सेंटर कहते हैं और धरती की सतह पर इसका सबसे नजदीकी बिंदु एपिसेंटर कहलाता है। अगर यह एपिसेंटर समुद्र के नीचे होता है, तो सूनामी आने का खतरा बढ़ जाता है। भूकंप की ताकत मापने के लिए सीस्मोग्राफ नामक यंत्र का इस्तेमाल किया जाता है और इसे रिक्टर स्केल या मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल पर रिकॉर्ड किया जाता है।
भूकंप की तीव्रता और श्रेणियाँ
रिक्टर स्केल (Richter Scale) भूकंप की तीव्रता मापने के लिए प्रयोग होता है, इसकी गणना 1 से 10 के लगभग लघुगणकीय पैमाने पर होती है। आजकल वैज्ञानिक बड़े भूकंपों के लिए मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल (Moment Magnitude Scale) का भी अधिक उपयोग करते हैं।
0 से 3 - बहुत हल्के भूकंप, अक्सर महसूस नहीं होते।
4 से 5 - हल्के लेकिन महसूस होने वाले, सामान्यतः कम नुकसान।
6 से 7 - खतरनाक, इमारतों को काफी नुकसान पहुँचा सकते हैं।
7 से 8 - प्रमुख क्षति, भारी जान-माल नुकसान संभव।
8 से 10 - अत्यंत विनाशकारी, पूरे क्षेत्र में जान-माल का भारी नुकसान।
भूकंप क्यों आता है?
धरती की सतह की ठोस परत कई टेक्टोनिक प्लेटों में बंटी होती है, जो लगातार बहुत धीमी गति से हिलती-खिसकती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, फँस जाती हैं या अचानक खिसक जाती हैं तो बड़ी मात्रा में जमा ऊर्जा एक झटके में बाहर निकलती है और भूकंप आ जाता है। यही भूकंप का सबसे बड़ा कारण है। ज्वालामुखी वाले इलाकों में लावा या गैस का दबाव भी धरती को हिला सकता है और भूकंप पैदा कर सकता है। इसके अलावा, बड़े बांध, खनन या परमाणु परीक्षण जैसी मानवनिर्मित गतिविधियां भी कभी-कभी धरती में तनाव पैदा कर भूकंप की वजह बन जाती हैं। ज़्यादातर भूकंप फॉल्ट लाइनों पर आते हैं, जहां ऊर्जा सबसे ज्यादा जमा होती है।
भूकंप का सबसे सक्रिय क्षेत्र
दुनिया के लगभग 90% भूकंप रिंग ऑफ फायर नामक क्षेत्र में आते हैं। यह क्षेत्र प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला हुआ है और घोड़े की नाल (horseshoe) जैसा आकार बनाता है। यहां करीब 75% सक्रिय ज्वालामुखी भी पाए जाते हैं। यह जगह टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने, टकराने और खिसकने के कारण बहुत ज्यादा सक्रिय रहती है। इसी वजह से यहां बार-बार भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं। यही कारण है कि इसे 'रिंग ऑफ फायर' यानी आग की अंगूठी कहा जाता है।
इतिहास के सबसे भयानक भूकंप
चीन (शान्शी, 1556) - इतिहास का सबसे विनाशकारी भूकंप 1556 में चीन के शान्शी प्रांत में आया था। उस समय रिक्टर स्केल नहीं था, लेकिन अनुमान है कि इसकी तीव्रता 8.0 से ज्यादा रही होगी। इस भूकंप में करीब 8,30,000 लोग मारे गए थे। यह आज भी मानव इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में गिना जाता है।
बिहार-नेपाल भूकंप (1934) - 1934 में बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्र में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था। इस विनाशकारी भूकंप में लगभग 10,000 लोगों की जान चली गई और पूरे इलाके में भारी तबाही मच गई। यह इस क्षेत्र के इतिहास का सबसे भयानक भूकंपों में से एक था।
चिली (वाल्डिविया, 1960) - 22 मई 1960 को चिली के वाल्डिविया में 9.5 तीव्रता का भूकंप आया, जो अब तक दर्ज सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है। इसने हज़ारों लोगों की जान ले ली और सुनामी की वजह से जापान और फिलिपींस जैसे देशों में भी तबाही मच गई।
जापान (2011) - 2011 में जापान में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके बाद सुनामी ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा में हज़ारों लोग मारे गए और लाखों को अपने घर छोड़ने पड़े। इस भूकंप का असर फुकुशिमा परमाणु संयंत्र पर भी पड़ा, जिससे विकिरण का खतरा पैदा हो गया।
रूस, कामचटका (1952 और 2025) - रूस के कामचटका क्षेत्र में 1952 में 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था। हाल ही में जुलाई 2025 में भी यहां 8.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे तटीय इलाकों में सुनामी का खतरा पैदा हो गया और कई जगह नुकसान हुआ।
नेपाल का गोरखा भूकंप (2015) - 2015 में नेपाल के गोरखा क्षेत्र में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया था । इस भूकंप में करीब 9,000 लोगों की जान गई। काठमांडू घाटी में भारी तबाही हुई, कई प्राचीन मंदिर और इमारतें खंडहर में बदल गए। 18वीं सदी की प्रसिद्ध धरहरा मीनार पूरी तरह गिर गई। इस भूकंप का असर एवरेस्ट पर्वत पर भी पड़ा, जहां हिमस्खलन से कई पर्वतारोहियों की मौत हो गई।
इंडोनेशिया (सुमात्रा, 2004) - दिसंबर 2004 में इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के पास 9.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने विशाल सूनामी को जन्म दिया। इस सूनामी में लगभग 2,30,000 लोग मारे गए और दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में भारी तबाही हुई।
भूकंप से कैसे बचाव करें
भूकंप से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सबसे जरूरी है कि इमारतें मजबूत और भूकंपरोधी बनाई जाएं। जिन इलाकों में भूकंप आने की संभावना ज्यादा होती है, वहां नियमित मॉक ड्रिल और अलर्ट सिस्टम होना चाहिए ताकि लोग आपात स्थिति में सही समय पर सुरक्षित जगह पहुंच सकें। भूकंप के दौरान कोशिश करें कि आप खुले स्थान पर जाएं और बिजली के तारों, ऊँची इमारतों या किसी भारी संरचना से दूर रहें। इससे चोट या हादसे का खतरा काफी कम हो जाता है।
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