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Kamika Ekadashi Vrat Mahatva: दूसरे सोमवार के दिन कामिका एकादशी का संयोग, व्रत का मिलेगा दोगुना फल

Kamika Ekadashi Vrat Mahatva: इस बार सावन के दूसरे सोमवार के दिन यानी 21 जुलाई, 2025 को एक अद्भुत और अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है।

Kanchan Singh
Published on: 20 July 2025 1:16 PM IST
Sawan Somwar Kamika Ekadashi Vrat Puja
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Sawan Somwar Kamika Ekadashi Vrat Puja 

Kamika Ekadashi Vrat Mahatva: इस बार सावन के दूसरे सोमवार के दिन यानी 21 जुलाई, 2025 को एक अद्भुत और अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन कामिका एकादशी का व्रत भी है। यह संयोग भक्तों को भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की एक साथ कृपा प्राप्त करने का दुर्लभ अवसर देगा, जिससे व्रत का फल दोगुना हो जाएगा।

कामिका एकादशी का महत्व:-धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर साल श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही यह व्रत ब्रह्महत्या जैसे महापापों से भी मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इतना ही नहीं कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है तथा यह तिथि पितृ दोष शांत करने में भी सहायक मानी जाती है।*

सावन सोमवार का महत्व:-सावन का हर सोमवार भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिवजी का अभिषेक और पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। रोग, कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं। अखंड सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अद्भुत संयोग:-कामिका एकादशी और सावन सोमवार का दोहरा फल- 21 जुलाई 2025 को कामिका एकादशी और सावन का दूसरा सोमवार एक साथ पड़ने से इस दिन व्रत और पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन भगवान शिव यानी सोमवार के देवता और भगवान विष्णु जो कि एकादशी के देवता हैं, इन दोनों की एक साथ पूजा करने का अवसर मिलेगा। इसे हरिहर योग भी कहते हैं, जो जीवन में संतुलन, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करता है। इस दिन व्रत रखने से सभी कष्ट दूर होते हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

इस तरह से करें व्रत-उपवास, पढ़ें विधि:-

इस विशेष दिन पर आप एकादशी और सोमवार दोनों के नियमों का पालन करते हुए व्रत करे

1. स्नान और संकल्प

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

अपने पूजा स्थल को साफ करें।

हाथ में जल लेकर भगवान विष्णु और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। कहें कि आप निर्विघ्न रूप से इस व्रत को पूर्ण करेंगे।

2. भगवान विष्णु और शिव की पूजा

भगवान विष्णु की पूजा - भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। उन्हें पीला चंदन, पीले फूल, तुलसी दल, फल और पंचामृत यानी दूध, दही, घी, शहद, शकर का मिश्रण अर्पित करें। ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'* मंत्र का जाप करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ रहेगा।

भगवान शिव की पूजा - शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, चंदन और सफेद फूल चढ़ाएं। ‘ ॐ नमः शिवाय' मंत्र का निरंतर जाप करें। शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।

दोनों देवताओं को मोदक या सात्विक मिठाई का भोग लगाएं।

धूप, दीप जलाकर दोनों देवताओं की आरती करें।

शाम को प्रदोष काल में एक बार फिर भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें।

3. व्रत के दौरान खान-पान:-

आप अपनी क्षमता अनुसार निर्जला यानी बिना पानी के अथवा फलाहारी व्रत रख सकते हैं।

फलाहार में:-*फल, दूध, दही, छाछ, जूस और व्रत में खाई जाने वाली चीजें जैसे साबूदाना, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, आलू, शकरकंद, पनीर, मखाने आदि का सेवन कर सकते हैं।

नमक:- केवल सेंधा नमक का ही प्रयोग करें। सामान्य नमक वर्जित है।

व्रत के दौरान खान-पान में वर्जित चीजें:-चावल, अनाज, दालें, प्याज, लहसुन, मांस, अंडे और किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन बिल्कुल न खाएं।

4. कामिका एकादशी पारण 2025 व्रत और पारण समय:-

कामिका एकादशी सोमवार, 21 जुलाई 2025 को कामिका एकादशी तिथि प्रारम्भ-20 जुलाई 2025 को 12:12 पी एम से एकादशी तिथि समाप्त-

21 जुलाई; 2025 को 09:38 ए एम पर। पारण/ व्रत तोड़ने का समय-22 जुलाई को 06:12 ए एम से 07:05 ए एम तक पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय-07:05 ए एम पर एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है।

पारण के लिए सबसे पहले ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन तथा दान-दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना जाता है, अत: वह दें।

फिर स्वयं सात्विक भोजन ग्रहण करें।

इस प्रकार, इस दुर्लभ संयोग पर श्रद्धापूर्वक व्रत रखने से आपको भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा, जिससे आपके सभी संकट दूर होंगे और जीवन खुशहाल होगा।

कामिका एकादशी, व्रत कथा

संत राजा युधिष्ठिर महाराज ने कहा, "हे परमेश्वर, मैंने आपसे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली देवशयनी एकादशी के व्रत की महिमा सुनी है। अब मैं आपसे श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी की महिमा सुनना चाहता हूँ। हे गोविंददेव, कृपया मुझ पर कृपा करें और इसकी महिमा बताएँ। हे परमेश्वर वासुदेव, मैं आपको विनम्र प्रणाम करता हूँ।

परमेश्वर श्री कृष्ण ने उत्तर दिया, "हे राजन, कृपया ध्यानपूर्वक सुनें क्योंकि मैं इस पवित्र व्रत के शुभ प्रभाव का वर्णन कर रहा हूँ, जो सभी पापों को दूर करता है। नारद मुनि ने एक बार भगवान ब्रह्मा से इसी विषय पर पूछा था। 'हे समस्त प्राणियों के अधिपति,' नारदजी ने कहा, 'हे जल से उत्पन्न कमल सिंहासन पर विराजमान,मुझे पवित्र श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का नाम बताइए। मुझे यह भी बताइए कि उस पवित्र दिन किस देवता की पूजा की जानी चाहिए, उसे करने की विधि क्या है और उससे कितना पुण्य प्राप्त होता है।'

भगवान ब्रह्मा ने उत्तर दिया, 'हे मेरे प्रिय पुत्र नारद, समस्त मानवजाति के कल्याण के लिए मैं तुम्हें वह सब कुछ बताने में प्रसन्नता महसूस करूँगा जो तुम जानना चाहते हो, क्योंकि कामिका एकादशी की महिमा सुनने मात्र से अश्वमेध यज्ञ करने वाले के समान पुण्य प्राप्त होता है। निश्चय ही, जो व्यक्ति चतुर्भुज भगवान गदाधर की पूजा करता है और उनके चरणकमलों का ध्यान करता है, जो अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण करते हैं और जिन्हें श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन भी कहा जाता है, उन्हें महान पुण्य प्राप्त होता है। और ऐसे व्यक्ति/भक्त को, जो अनन्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा करता है, जो पुण्य प्राप्त होता है, काशी (वाराणसी), नैमिषारण्य के वन में, या पुष्कर में गंगा में पवित्र स्नान करने वाले से कहीं अधिक है, जो इस ग्रह पर एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ मेरी औपचारिक पूजा की जाती है। लेकिन जो इस कामिका एकादशी का व्रत करता है और भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा करता है, उसे हिमालय में भगवान केदारनाथ के दर्शन करने वाले, सूर्य ग्रहण के दौरान कुरुक्षेत्र में स्नान करने वाले, या वनों और समुद्रों सहित संपूर्ण पृथ्वी का दान करने वाले, या गंडकी नदी (जहाँ पवित्र शालिग्राम पाए जाते हैं) या गोदावरी नदी में उस पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है, जो सोमवार को पड़ती है जब सिंह और बृहस्पति संयुक्त होते हैं।

कामिका एकादशी का व्रत करने से दूध देने वाली गाय और उसके शुभ बछड़े को उनके चारे सहित दान करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। इस शुभ दिन पर, जो कोई भी भगवान श्री श्रीधर-देव, विष्णु की पूजा करता है, वह सभी देवताओं, गंधर्वों, पन्नगों और नागों द्वारा महिमावान होता है। 'जो लोग अपने पिछले पापों से डरते हैं और पूरी तरह से पापमय भौतिकवादी जीवन में डूबे हुए हैं, उन्हें कम से कम अपनी क्षमता के अनुसार इस सर्वश्रेष्ठ एकादशी का पालन करना चाहिए और इस प्रकार मोक्ष प्राप्त करना चाहिए। यह एकादशी सभी दिनों में सबसे पवित्र है और जातक के पापों को दूर करने के लिए सबसे शक्तिशाली है। हे नारद जी, भगवान श्री हरि ने स्वयं एक बार इस एकादशी के बारे में कहा था, "जो कोई कामिका एकादशी का व्रत करता है, वह सभी आध्यात्मिक साहित्य का अध्ययन करने वाले की तुलना में बहुत अधिक पुण्य प्राप्त करता है।" 'जो कोई भी इस विशेष दिन उपवास करता है वह रात भर जागता रहता है, उसे कभी भी मृत्यु के राजा, यमराज के क्रोध का अनुभव नहीं होता है। यह देखा गया है कि जो कोई भी कामिका एकादशी का पालन करता है उसे भविष्य के जन्मों को नहीं भुगतना पड़ता है, और अतीत में भी, इस दिन उपवास करने वाले कई भक्ति योगी आध्यात्मिक दुनिया में चले गए।*

श्रावण मास में शिव पूजन और शिव स्मरण करते हुए यह भी जानें कि भगवान शिव अपनी जटाओं में माँ गंगा को क्यों धारण करते हैं। आपके पास उच्च विचारों की, आदर्श विचारों की, पवित्र विचारों की एवं ज्ञान की गंगा होगी तो संसार की विषम परिस्थितियाँ आपको प्रभावित नहीं कर पायेगी। इस दुनिया में आगे बढ़ने के लिए और शांति पाने के लिए आवश्यक है, कि अपने आप को सकारात्मक, ज्ञानमय व आदर्शमय विचारों से सम्पन्न रखा जाए।

छोटी-छोटी बातों से खिन्न हो जाना, उदास हो जाना, निराश हो जाना, यह दुःख को आमंत्रण देने जैसा है। दुःख का बहुत ज्यादा स्मरण रखने से कई बार मन में दुःख इस तरह प्रवेश कर जाता है, कि फिर जीवन भी दुःखमय ही लगने लगता है। शिवजी की तरह ज्ञान की गंगा में, भगवद् चिन्तन की गंगा में, भगवद् भजन की गंगा में नहाओ, ताकि आपका संपूर्ण जीवन आनंदमय बन सके।

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