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बाल नहीं तो क्या हुआ, आत्मविश्वास तो है!- The Bald Brown Bride नीहर सचदेवा की अनसुनी कहानी
नीहर सचदेवा की प्रेरक कहानी, जिन्होंने एलोपेसिया जैसी बीमारी के बावजूद आत्मविश्वास से अपने असली रूप को अपनाया और बनीं ‘The Bald Brown Bride’। जानिए कैसे उन्होंने समाज के सौंदर्य मानकों को नई दिशा दी।
The Bald Brown Bride (Image Credit-Social Media)
The Bald Brown Bride: लड़कियों की खूबसूरती में उनके नाक नक्श और कद काठी के साथ उनके लंबे घने काले बालों का बड़ा महत्व होता है। खासतौर से भारतीय परम्पराओं और मान्यताओं में महिलाओं के लंबे बालों को खूबसूरती और शुभता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन यदि किसी भारतीय महिला के सर पर यदि बाल ही न हो तो? कभी सोचा है कि ऐसी महिलाएं इस समाज में किन- किन मानसिक प्रताड़नाओं के बीच रहकर अपना जीवन गुजार रहीं होंगी। अमेरिका में रहने वाली भारतीय मूल की नीहर सचदेवा इसी प्रताड़ना से गुजर कर आज एक सफल जीवन जी रहीं हैं। जिनसे एक दिन किसी ने ताने में कहा था कि, इस गंजी लड़की से कौन करेगा शादी?
लेकिन नीहर सचदेवा ने उस एक सवाल को अपने आत्मविश्वास से ऐसा जवाब दिया कि आज वही लड़की हजारों महिलाओं की प्रेरणा बन चुकी है। गंजे पन के तानों से बचने के लिए उन्होंने जिस विग को अपना सहारा बनाया था सबसे पहले उसे पहनना छोड़ दिया, सिर मुंडवाया और अपने असली रूप को गले लगाया। नीहर की यह कहानी सिर्फ बालों के झड़ने की नहीं, बल्कि आत्म सम्मान के साथ जीने के लिए खुद को स्वीकार करने की कहानी है। यह एक ऐसी सच्ची कहानी है जो हमें सिखाती है कि खूबसूरती का सच्चा अर्थ शरीर से नहीं, बल्कि एक खूबसूरत और पवित्र आत्मा से जुड़ा होता है। आइए जानते हैं The Bald Brown Bride नीहर सचदेवा की अनसुनी कहानी के बारे में -
नीहर सचदेवा के बचपन से ही शुरू हो चुकी थी जंग
नीहर का जन्म भारत में हुआ और बचपन अमेरिका में बीता। जब वह सिर्फ छह महीने की थीं, तब डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें एलोपेसिया एरीटा नाम की एक बीमारी है। इस बीमारी में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही बालों की जड़ों पर हमला करती है, जिससे बाल झड़ जाते हैं। जिसमें सिर से, भौंहों से, यहां तक कि पलकों से भी बाल पूरी तरह से गायब हो जाते हैं।
बचपन में वह नहीं समझ पाईं कि उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। लेकिन जैसे-जैसे बड़ी होती गईं, अपनों के ताने, लोगों की नजरें और समाज के बीच लोगों की बार-बार फुसफुसाहट उन्हें भीतर तक आहत करने लगी थी।
जब इस बीमारी को एक राज़ को बनाकर रखा गया
दक्षिण एशियाई संस्कृति में बालों को स्त्री-सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है। इसी सोच के कारण नीहर के परिवार ने उनकी बीमारी को एक राज़ बनाकर रखा। बाहर निकलते समय, स्कूल जाते वक्त हर बार उन्हें विग पहननी पड़ती थी।
नीहर सचदेवा ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'मेरे माता-पिता मुझे समाज के तानों से बचाना चाहते थे। वो डरते थे कि लोग क्या कहेंगे। उन्हें दोष नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उन्हें भी यही सिखाया गया था कि लड़की के बाल ही उसकी पहचान हैं।' लेकिन इसके साथ नीहर का कहना है की, विग के नीचे छिपी नीहर एक नकली रूप में खुद से धीरे-धीरे दूर होती जा रही थीं। यानी आत्म विश्वास डगमगाने लगा था।
नीहर के जीवन में खुद को स्वीकार करने का वो खास पल जिसने बदले जिंदगी के मायने
अक्सर विग के पीछे खुद को समाज की नजरों से छिपाए नीहर को खुद उसका आईना ही इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार करने के लिए मजबूर करता था। एक दिन आईने के सामने खड़ी नीहर ने खुद से सवाल किया कि, 'क्या मैं सच में खुद को प्यार करती हूं?' जवाब था 'नहीं।'
बस उसी दिन उन्होंने तय किया कि अब वो विग नहीं पहनेंगी। थोड़े बहुत बाल जो नीहर के सिर पर अब तक थे। अब उनसे भी मोह त्याग कर उन्होंने अपना सिर मुंडवाया और इस पल को डर की तरह नहीं, बल्कि एक जश्न की तरह मनाया।
उन्होंने एक पार्टी रखी, जिसमें उन सभी को बुलाया जिन्होंने कभी उनका मज़ाक उड़ाया था। नीहर ने अपने एक साक्षात्कार में बताया कि उस दिन पहली बार उन्होंने जब आईने में अपने असली चेहरे को देखा तो, खुद को बिना बालों के अब कहीं ज्यादा आत्मविश्वास से भरा हुआ महसूस किया।
उन्होंने कहा, कि उस पल मैंने यह अनुभव किया कि 'असली खूबसूरती बालों में नहीं, आज़ादी में है।'
तय किया ‘The Bald Brown Bride’ तक का शानदार सफर
नीहर का यह फैसला जल्द ही ऐसी ही समस्या से जूझ रहीं दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा की कहानी बन गया। प्रतिष्ठित Brown Girl Magazine ने उनसे संपर्क किया और उन्होंने मिलकर एक शानदार अभियान शुरू किया The Bald Brown Bride। इस फोटोशूट में नीहर पारंपरिक लाल जोड़े और ज्वेलरी में सजी थीं, मगर बालों के बिना। कैमरे के सामने वह आत्मविश्वास से मुस्कुरा रही थीं।
फोटोग्राफर नचिकेत शील द्वारा शूट की गई उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर छा गईं। लोगों ने पहली बार महसूस किया कि दुल्हन का आकर्षण उसके बालों में नहीं, बल्कि उसकी मुस्कान में है। नीहर ने लिखा, 'जब मैंने खुद को कैमरे में देखा, तो पहली बार महसूस किया कि अब मैं पर्याप्त हूं, मैं पूरी हूं।'
नीहर जो सोशल मीडिया पर बन चुकी हैं हज़ारों महिलाओं की आवाज़
आज नीहर इंस्टाग्राम और अन्य प्लेटफॉर्म पर आत्मस्वीकृति की प्रतीक बन चुकी हैं। उनकी हर पोस्ट एक संदेश देती है कि 'खुद से प्यार करना ही असली खूबसूरती है।' उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा, 'मैंने जब विग उतारी, तब मुझे समझ आया कि मैं अपने जीवन को किसी और की नज़र से देख रही थी। अब मैं अपने लिए जी रही हूं, जैसे मैं हमेशा जीना चाहती थी। यानी स्वतंत्रता और सच्चाई के साथ। उनकी पोस्ट्स अब हजारों महिलाओं के लिए साहस की मशाल बन चुकी हैं।
क्या है एलोपेसिया बीमारी -
एलोपेसिया एरीटा कोई दुर्लभ रोग नहीं है। यह एक ऑटोइम्यून डि एजसऑर्डर है। जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम बालों की जड़ों पर हमला कर देती है। इससे बाल पैचेस में झड़ते हैं। इस बीमारी में भी कई भिन्नताएं होती हैं। एलोपेसिया एरीटा (Alopecia Areata) में सिर के कुछ हिस्सों में बाल झड़ना। जबकि एलोपेसिया टोटालिस (Alopecia Totalis) एक ऐसी स्थिति (रोग) है जिसमें सिर के पूरे हिस्से से बाल पूरी तरह झड़ जाते हैं।यह एलोपेसिया एरीटा (Alopecia Areata) का ही एक गंभीर रूप है। इसमें न केवल बाल पैचेस में गिरते हैं, बल्कि धीरे-धीरे पूरा सिर बिल्कुल गंजा हो जाता है। एलोपेसिया यूनिवर्सलिस (Alopecia Universalis) एक दुर्लभ ऑटोइम्यून (Autoimmune) बीमारी है। एलोपेसिया यूनिवर्सलिस को एलोपेसिया एरियाटा (Alopecia Areata) का सबसे गंभीर रूप माना जाता है। जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) गलती से अपने ही बालों के फॉलिकल्स (Hair Follicles) पर हमला करने लगती है। इसका नतीजा यह होता है कि व्यक्ति के सिर के बाल ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर के बाल झड़ जाते हैं। जैसे भौंहें, पलकें, दाढ़ी, बगल और हाथ-पैरों के बाल तक।
हालांकि एलोपेसिया यूनिवर्सलिस का सही कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आनुवंशिक (Genetic) और प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी (Immune Dysfunction) से जुड़ी होती है।इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कई तरह की थेरेपी और दवाइयां हैं जो कुछ लोगों में असर दिखाती हैं।
अब समाज के सौंदर्य मानकों को दे रही नई दिशा
दक्षिण एशियाई समाज में अक्सर कहा जाता है कि औरत के लंबे बाल उसकी शान हैं। लेकिन नीहर ने इस सोच को पलट दिया। उन्होंने दिखाया कि अगर आत्मविश्वास साथ हो, तो गंजापन भी एक नया फैशन बन सकता है। उनकी यह कहानी न सिर्फ एलोपेसिया से जूझती महिलाओं के लिए बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो अपने शरीर या चेहरे को लेकर किसी न किसी वजह से हीन भावना में जीते हैं। उन्होंने साबित किया कि सुंदरता किसी आदर्श रूप में नहीं, बल्कि उस आत्मविश्वास में है जिससे हम खुद को अपनाते हैं।
आज नीहर कहती हैं कि 'दुनिया चाहे कुछ भी कहे, मैं अब अपनी परिभाषा खुद तय करती हूं। अगर किसी को लगता है कि मैं अधूरी हूं, तो उन्हें समझना होगा कि मेरी अधूरापन ही मेरी सच्चाई है और यही मुझे खूबसूरत बनाता है।' वह अब फैशन, मोटिवेशनल टॉक्स और सोशल अभियानों के माध्यम से महिलाओं को आत्मविश्वास से भरने का काम कर रही हैं।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल जागरूकता और प्रेरणा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी व्यक्ति की शारीरिक स्थिति या रूप-रंग पर टिप्पणी नहीं करती। एलोपेसिया एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसका उद्देश्य समझ और आत्मस्वीकृति बढ़ाना है, न कि निर्णय देना।
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