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Today Motivation Story: सासुएँ और जानकी का पुनर्मिलन
Today Motivation Story: रामचरितमानस का एक ऐसा प्रसंग जो आपको प्रेरित भी करेगा और आपको बेहद रोचक भी लगेगा, आइये विस्तार से जानते हैं।
nspirational Story of Ramcharitmanas (Image Credit-Social Media)
Today Motivation Story: रामचरितमानस से प्रेरक प्रसंग –स्रोत: रामचरितमानस (तुलसीदास)
चौपाई:
सासुन्ह सबनि मिली बैदेही ।
चरनन्हि लाग हरषु अति तेही।।
देहिं असीस बूझि कुसलाता।
होइ अचल तुम्हार अहिवाता॥
सब रघुपति मुख कमल बिलोकहिं।
मंगल जानि नयन जल रोकहिं॥
कनक थार आरती उतारहिं।
बार बार प्रभु गात निहारहिं॥
नाना भाँति निछावरि करहीं।
परमानंद हरष उर भरहीं॥
कौसल्या पुनि पुनि रघुबीरहि।
चितवति कृपासिंधु रनधीरहि॥
हृदयँ बिचारति बारहिं बारा।
कवन भाँति लंकापति मारा॥
अति सुकुमार जुगल मेरे बारे।
निसिचर सुभट महाबल भारे॥
दोहा:
लछिमन अरु सीता सहित प्रभुहि बिलोकति मातु।
परमानंद मगन मन पुनि पुनि पुलकित गातु॥
भावार्थ:
जानकी माता अपने सभी सासुओं से मिलती हैं, उनके चरणों में झुकती हैं और सब माताएँ उन्हें आशीर्वाद देती हैं कि तुम्हारा सुहाग अचल रहे। कौसल्या बार-बार राम को देखती हैं और आश्चर्य करती हैं कि ये दोनों सुकुमार बालक लंकेश रावण जैसे महाबली राक्षस को कैसे मार सके। माताएँ राम के दर्शन कर नेत्रों से आँसू रोकती हैं और आरती उतारती हैं।
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