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अर्चना तिवारी ने खुद रची अपने खिलाफ साजिश, भोपाल से नेपाल तक का बनाया मास्टर प्लान, SP ने किया बड़ा खुलासा
Archana Tiwari master plan: मध्य प्रदेश की अर्चना तिवारी गुमशुदगी का सच सामने आया, जिसमें उसने खुद अपनी गायब होने की योजना बनाई थी। पुलिस ने उसे लखीमपुर खीरी से बरामद किया और पूरे मास्टर प्लान का खुलासा किया।
Archana Tiwari master plan: मध्य प्रदेश में पिछले 12 दिनों से सनसनी फैलाए हुए अर्चना तिवारी की गुमशुदगी की गुत्थी आखिरकार सुलझ गई है, और इसका सच किसी भी फिल्मी कहानी से कम चौंकाने वाला नहीं है। भोपाल रेलवे एसपी राहुल कुमार लोढ़ा ने यह खुलासा करके सबको हैरत में डाल दिया है कि अर्चना ने अपनी गुमशुदगी का पूरा प्लान खुद बनाया था और वही इस मामले की मास्टरमाइंड थी। पुलिस ने उसे 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में नेपाल बॉर्डर के पास से सकुशल बरामद कर लिया है।
शादी के दबाव ने बनाया साजिशकर्ता
पुलिस जांच में सामने आया कि इस पूरी साजिश की जड़ अर्चना के परिवार द्वारा उस पर डाला जा रहा शादी का दबाव था। परिवार उसकी शादी एक पटवारी लड़के से कराना चाहता था, लेकिन अर्चना इससे खुश नहीं थी। उसे अपनी पढ़ाई छोड़कर शादी करने को कहा गया, जिससे वह बहुत परेशान थी। इसी दौरान, इंदौर में अपनी पढ़ाई के दौरान उसकी मुलाकात सारांश नाम के एक लड़के से हुई, और दोनों ने मिलकर इस गुमशुदगी का पूरा प्लान बनाया।
फिल्मी अंदाज में गायब होने का प्लान
अर्चना, जो खुद एक वकील थी, जानती थी कि रेलवे पुलिस (GRP) में मामला दर्ज होने पर गहन जांच की संभावना कम होगी। इसी का फायदा उठाते हुए उसने ट्रेन से गायब होने का नाटक किया। 6 अगस्त को बने प्लान के मुताबिक, सारांश और एक ड्राइवर तेजिंदर के साथ मिलकर यह योजना बनाई गई। तेजिंदर ट्रेन में इटारसी तक अर्चना के साथ गया और उसे अर्चना के कपड़े और मोबाइल दिए गए, ताकि वह इन्हें मिडघाट के जंगल में फेंककर पुलिस को गुमराह कर सके।
उधर, सारांश अपनी कार से इटारसी पहुंचा और अर्चना को वहां से ले गया। दोनों ने टोल टैक्स और सीसीटीवी कैमरों से बचने के लिए एक लंबा और घुमावदार रास्ता चुना। वे शुजालपुर से बुरहानपुर, फिर हैदराबाद, जोधपुर, दिल्ली होते हुए नेपाल पहुंचे। नेपाल में सारांश ने अर्चना को छोड़ दिया और खुद वापस लौट आया।
कानूनी जानकारी का किया इस्तेमाल, पुलिस को उलझाया
अर्चना ने अपनी कानूनी समझ का इस्तेमाल करते हुए इस योजना को इतनी बारीकी से अंजाम दिया कि पुलिस को गुमराह करने में वह कामयाब रही। उसने पिछले 10 दिनों तक अपने पुराने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया और न ही मध्य प्रदेश में कोई नया सिम खरीदा। यही नहीं, यात्रा के दौरान वह कार की सीट पर लेटी रही ताकि किसी भी सीसीटीवी कैमरे में उसकी फुटेज न आए।
पुलिस कांस्टेबल की भूमिका पर भी खुलासा
इस मामले में जांच के दौरान ग्वालियर के कांस्टेबल राम तोमर का नाम भी सामने आया था, जिसने अर्चना का टिकट बुक किया था। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि राम तोमर की इस गुमशुदगी में कोई भूमिका नहीं है। राम तोमर की अर्चना से पहचान जबलपुर में प्रैक्टिस के दौरान हुई थी और वह चाहता था कि अर्चना ग्वालियर में प्रैक्टिस करे। हालांकि, अर्चना उससे परेशान थी और उसने कभी भी ग्वालियर का सफर नहीं किया।
अर्चना की लोकेशन मिलने के बाद GRP ने उसे नेपाल-भारत सीमा पर बुलवाया और लखीमपुर खीरी से बरामद कर भोपाल लाया गया। अब पुलिस उससे पूछताछ कर रही है ताकि इस पूरी घटना के पीछे के सभी राज सामने आ सकें। यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि कभी-कभी जिंदगी की सच्चाई किसी फिक्शन से भी ज्यादा हैरान करने वाली हो सकती है।
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