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भारत माता के प्रति कृतज्ञता और सेवा का संकल्प जरूरी
मुझे गर्व है भारत माँ की बेटी होने पर। क्या आपको भी है? क्या आप अपनी भारत माता के प्रति कृतज्ञता महसूस करते हैं?
Independence Day (image from Social Media)
मित्रों, मुझे गर्व है कि मैं भारत माता की संतान हूँ। क्यों न हो, माँ ने बहुत कुछ दिया है हमें। सम्पन्न प्राकृतिक संपदा, इतने सारे मौसम, इतनी उन्नत संस्कृति, और भी बहुत कुछ। मुझे गर्व है भारत माँ की बेटी होने पर। क्या आपको भी है? क्या आप अपनी भारत माता के प्रति कृतज्ञता महसूस करते हैं?
मुझे ऐसा महसूस हुआ है अक्सर कि कई सारे लोग इस मिट्टी में जन्म ले कर गर्व महसूस नहीं करते। निस्संदेह हमारे देश में बहुत सारी विपरीत परिस्थितियां हैं जिनके कारण जीवन कठिन प्रतीत होता है, जैसे - अधिक जनसंख्या, कम संसाधन, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, कुपोषण इत्यादि। लेकिन यदि गहराई में जा कर सोचें तो क्या ये हम भारतीयों के द्वारा ही उत्पन्न की हुई समस्याएं नहीं हैं? हम चाहें तो क्यों नहीं एकजुट हो कर इन समस्याओं से अपने देश को छुटकारा दिलवा सकते? लेकिन हम बहुत ही पलायनवादी सोच के लोग हैं। हम समस्याओं से लड़ने, उन पर जीत हासिल करने के बजाय दूसरों पर दोषारोपण करके किनारे हो लेना पसंद करते हैं।
कभी ये सोचा कि इस देश,हमारी भारत माता ने तो हमें बहुत कुछ दिया, हमने क्या दिया माँ को? हमने इस देश के सच्चे नागरिक होने का कौन सा फर्ज़ निभाया? जनसंख्या बढ़ाएं हम, कुछ कामों को हेय दृष्टि से देख कर बेरोजगार रहें हम, गंदगी फैलाएं हम, शिक्षा से विमुख रहें हम, जाति - धर्म इत्यादि के नाम पर लड़ कर अराजकता फैलाएं हम ...... और दोष दें देश को। कैसी मानसिकता है ये?
न जाने कितनी संतानें विदेशों में जा के बस गईं ये कहते हुए कि इस देश में है ही क्या। अक्सर संतानें अपने आप को दूर कर लेती हैं अपने दायित्वों से बचने के लिए। उन्हें विदेश उनकी महत्वाकांक्षा ले कर गई। उसमें देश का क्या दोष?
सोचिए ज़रा एपीजे अब्दुल कलाम आज़ाद ने भी ये सोच लिया होता, स्वार्थी हो गए होते। लेकिन उन्होंने ये नहीं देखा कि दूसरे क्या कर रहे हैं। उन्हें अपनी माँ की सेवा करनी थी, वो कर रहे हैं। कई सारे लोग माँ की सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण किए हुए हैं, खामोशी से। हम चाहें तो हम भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, विज्ञान आदि क्षेत्रों में अपनी योग्यता का उपयोग कर के देश के विकास में, लोगों के आर्थिक, मानसिक स्तर को सुधारने में अपनी सहभागिता दिखा सकते हैं। न जाने कितने बच्चे, युवा सही दिशानिर्देश के अभाव में गलत रास्तों पर निकल पड़ते हैं, उनका सही मार्गदर्शन करके समाज का स्तर सुधारने कर देश की सेवा कर सकते हैं। यह आवश्यक नहीं कि हर कोई भगत सिंह या चंद्रशेखर आजाद ही बने, हम सी वी रमन, रविंद्रनाथ टैगोर, सुंदरलाल बहुगुणा जैसे बन कर भी देश के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित कर सकते हैं।
हो सकता है देश की सेवा करने में हमें कम सुविधाएं मिलें, कम पैकेज मिले। लेकिन क्या ये सुकून काफी नहीं कि हमने अपनी माटी का कुछ तो कर्ज उतारा।
मित्रों, समय है कि हम अपनी भारत माता को मौका दें कि वो हम पर गर्व कर सके।
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