TRENDING TAGS :
मोदी सरकार: नारी शक्ति का उदयकाल
Modi Government: मोदी सरकार में नारी शक्ति का नया उदय काल, महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता में ऐतिहासिक सुधार।
Modi Government Women Empowerment (Image Credit-Social Media)
Women Empowerment: भारत की आधी आबादी, जिसे लंबे समय तक घर की चौखट और सामाजिक परंपराओं में सीमित माना जाता था, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रही है। बीते दशक में तस्वीर पूरी तरह बदली है—ऐसे कानून बने जिन्होंने महिलाओं को बराबरी और गरिमा का अधिकार दिया, और ऐसी योजनाएँ आईं जिन्होंने मातृत्व को सुरक्षित कर बेटियों के सपनों को पंख दिए। यही वजह है कि आज नारी शक्ति केवल वोट नहीं, अब राष्ट्र की आवाज़ है । इसी यात्रा में 2023 का ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ स्त्री प्रतिनिधित्व को नई ऊँचाई देने वाली ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में अंकित हो गया है। इसके तहत लोकसभा और विधानसभाओं की एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं। यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं बल्कि भारतीय लोकतंत्र की आत्मा में स्त्री शक्ति को प्रतिष्ठित करने का है।
मोदी सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए ‘मिशन शक्ति’ की शुरुआत की। इसके अंतर्गत वन स्टॉप सेंटर, 24×7 महिला हेल्पलाइन और डिजिटल शिकायत पोर्टल जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं। हिंसा झेलने वाली महिलाएँ अब कानूनी, चिकित्सीय और मानसिक सहयोग एक ही स्थान पर पा रही हैं, और यह भरोसा जगा है कि उनकी आवाज़ अब अनसुनी नहीं होगी। मुस्लिम महिलाओं को अन्यायपूर्ण परंपरा से मुक्त करने वाला ‘तीन तलाक’ विरोधी कानून इसी दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित हुआ। वहीं कामकाजी महिलाओं के लिए ‘मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017’ के अंतर्गत अवकाश 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया गया तथा बड़े संस्थानों में शिशु गृह (क्रेच) की सुविधा अनिवार्य की गई। इन पहलों ने महिलाओं को सुरक्षा और गरिमा के साथ कार्यक्षेत्र में सक्रिय योगदान का अवसर प्रदान किया।
मोदी सरकार की नीतियों में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ नारी सशक्तिकरण का मर्मस्थ स्रोत रहा है, और हाल के आँकड़े इसकी गवाही देते हैं। 2014-15 में जहाँ 1000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ थीं, 2023-24 में यह अनुपात बढ़कर 930 हुआ और माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों की नामांकन दर 75.51% से बढ़कर 78% पहुँची। मार्च 2022 में ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ से 1,00,786 बच्चियाँ स्कूल लौटीं। 2014-16 में मातृ मृत्यु दर 130 से घटकर 2018-20 में 97 रह गई और संस्थागत प्रसव 87% से बढ़कर 94% से अधिक हुआ—यह दर्शाता है कि सुरक्षित मातृत्व ही विकसित भारत की सच्ची पहचान है। राज्यों के अनुभव इस प्रगति को और भी सजीव बना देते हैं। उत्तर प्रदेश में गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की दर 51% से घटकर 45.9% रह गई और गंभीर एनीमिया 2.1% से घटकर 1.7% पर आ गया—यह आँकड़े मातृ स्वास्थ्य सुधार की गवाही देते हैं। इसी कड़ी में उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 10.33 करोड़ गैस कनेक्शन दिए गए, जिनमें से 8.34 करोड़ परिवार सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, जिससे माताओं और बच्चों को धुएँ से मुक्ति मिली। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने करोड़ों शौचालयों ने ग्रामीण महिलाओं को खुले में शौच की विवशता से उबारकर उनकी गरिमा और स्वास्थ्य दोनों को संबल दिया। यह सब मिलकर नारी जीवन में सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान की नई कहानी लिख रहे हैं।
आर्थिक स्वतंत्रता भी अब महिलाओं की शक्ति का दूसरा नाम बन चुकी है। मोदी सरकार के प्रयासों से ‘स्टैंड अप इंडिया’ और ‘मुद्रा योजना’ ने लाखों महिला उद्यमियों को कारोबार के लिए वित्तीय सहारा दिया, जबकि ‘लाखपति दीदी’ और ‘ड्रोन दीदी’ योजना ने ग्रामीण महिलाओं को तकनीक और स्वरोज़गार से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी भारत की नई पहचान बना दिया है। मुद्रा योजना में महिलाओं की हिस्सेदारी 68% है और 2016 से 2025 के बीच प्रति महिला औसत ऋण ₹62,679 तक पहुँचा। स्टैंड-अप इंडिया में 80% से अधिक ऋण महिलाओं को मिले। उत्तर प्रदेश में मनरेगा में उनकी भागीदारी 35% से बढ़कर 45.05% और श्रम-बल में 14% से बढ़कर 36% हुई। वाराणसी की 1.38 लाख ग्रामीण महिलाएँ स्व-सहायता समूहों से आत्मनिर्भर बनीं, जिनमें कई ड्रोन पायलटिंग, कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। यह दर्शाता है कि महिलाएँ अब केवल योजनाओं की भागीदार नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की सशक्त धुरी बन रही हैं।
डिजिटल इंडिया ने महिलाओं के जीवन में ऐतिहासिक बदलाव लाया है। शहरी भारत की महिलाएँ स्मार्टफोन और इंटरनेट के सहारे बैंकिंग, ई-कॉमर्स और डिजिटल भुगतान को सहज बना रही हैं, तो ग्रामीण भारत की 76% महिलाएँ मोबाइल का उपयोग कर रही हैं और आधी से अधिक अपने निजी फोन की स्वामिनी बन चुकी हैं। यही तकनीकी पहुँच उन्हें डिजिटल विपणन, पैकेजिंग और ई-कॉमर्स से जोड़कर आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर कर रही है। साथ ही, महिला हेल्पलाइन 181, एनसीडब्ल्यू 24×7 और पावर लाइन-1090 सुरक्षा और न्याय की त्वरित पहुँच देकर उनके आत्मविश्वास को और गहरा कर रही हैं। मोदी सरकार का यह डिजिटल सशक्तिकरण महिलाओं को समय और दूरी की सीमाओं से आज़ाद कर अवसरों की नई दुनिया थमा रहा है और उन्हें नवोन्मेषी बना रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में महिलाओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा की अग्रिम पंक्ति में नया इतिहास रचा। अग्निपथ योजना के तहत 153 महिला अग्निवीरों ने बेलगावी से प्रशिक्षण पूरा किया और नौसेना ने लगभग 20% पद महिलाओं के लिए खोले। जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में सात महिला बीएसएफ कर्मियों ने 72 घंटे तक मोर्चा सँभालकर साहस का अद्वितीय उदाहरण पेश किया। प्रधानमंत्री ने इस अभियान को हर माँ और बहन को समर्पित किया। साथ ही सेना का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक सांस्कृतिक प्रतीक बना—जहाँ राष्ट्र रक्षा के साथ महिलाओं के सम्मान और गरिमा की रक्षा का संदेश भी प्रतिध्वनित हुआ। सचमुच, अग्निवीर बेटियाँ अब सीमाओं पर देश की ढाल हैं और ‘सिंदूर’ वीरता का प्रतीक है।
बेशक चुनौतियाँ अब भी हैं और सामाजिक पूर्वाग्रह भी कायम हैं, पर अब नींव इतनी मजबूत है कि बदलाव अटल है। मोदी युग में महिलाओं की आवाज़ अब निर्णय और दिशा गढ़ती है; नारी केवल लाभार्थी नहीं, परिवर्तन की शिल्पकार और राष्ट्र निर्माण की धुरी बन चुकी है। यदि यही रफ्तार कायम रही, तो 2047 का विकसित भारत सचमुच नारी-निर्मित भारत होगा—जहाँ हर क्षेत्र में स्त्री शक्ति समानता, समृद्धि और नई संभावनाओं की मिसाल बनेगी।
(लेखिका दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पीएच.डी. हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।)
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!