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मोदी की अमरीका यात्रा, कृष्ण-सुदामा नहीं, अर्जुन-कृष्ण की इबारत
Narendra Modi Ka America Daura: एक समय था जब अमेरिका द्वारा उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को वीज़ा से वंचित कर दिया गया था वहीँ साल 2014 में जब भारत के प्रधानमंत्री के रूप में वो वाशिंगटन पहुँचे तो उनका भव्य स्वागत हुआ।
PM Modi's Visit to America (Image Credit-Social Media)
PM Modi Visit to America: अमेरिका द्वारा वीज़ा से वंचित किए गए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, 2014 में जब भारत के प्रधानमंत्री के रूप में वाशिंगटन पहुँचे, तो केवल एक प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि 21वीं सदी के भारत की नई पहचान के वाहक के रूप में पहुँचे थे।
जिन नरेंद्र मोदी को अमेरिका ने 2005 में वीज़ा देने से इनकार कर दिया था, उन्हीं मोदी का 2014 में रेड कार्पेट वेलकम हुआ। और यह स्वागत केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि वह अमेरिका की सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक नीतियों के परिवर्तन का प्रतीक बन गया।
प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव: भावनात्मक-सांस्कृतिक से आर्थिक रणनीति तक
मोदी ने अपनी यात्रा का पहला चरण प्रवासी भारतीयों को संबोधित कर शुरू किया — मैडिसन स्क्वायर गार्डन में 20,000 से अधिक लोगों की भीड़, “भारत माता की जय” और “मोदी-मोदी” के नारों से गूँज रही थी। मोदी ने वहाँ केवल अपनी लोकप्रियता का प्रदर्शन नहीं किया, बल्कि भारत की आर्थिक संभावनाओं को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
“भारत लोकतंत्र है, युवा देश है और मांग है — तीनों इसकी ताकत हैं।”
मोदी ने Make in India, Digital India और Clean India जैसी योजनाओं की झलक वहाँ दी और NRIs से निवेश और सहभागिता का आग्रह भी।
अमेरिका के साथ परिपक्वता की साझेदारी
ओबामा से मोदी की पहली द्विपक्षीय मुलाकात ने यह सिद्ध किया कि यह वार्ता याचक और दाता के बीच नहीं थी, बल्कि दो समान हैसियत वाले राष्ट्रप्रमुखों के बीच थी। मोदी ने आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति, जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर स्पष्ट रुख लिया।
इसी भेंट के दौरान इबोला महामारी के लिए भारत द्वारा 10 मिलियन डॉलर देने की घोषणा, भारत की मानवीय चिंताओं को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रतीक बनी।
नागरिकता, पर्यटन और निवेश: वैश्विक भारतीयों के लिए व्यवहारिक सुधार
मोदी ने PIO और OCI स्कीम को मिलाकर एक नई नीति की घोषणा की, आज (2025 में) वह Overseas Citizen of India (OCI) कार्ड के रूप में फलित हो चुकी है — जिससे लाखों प्रवासी भारतीयों को लंबी अवधि वीज़ा, संपत्ति क्रय, रोजगार और भारत में निवेश की सुविधा सहज हो गई।
इसी तरह अमेरिकी नागरिकों को दीर्घकालिक पर्यटक वीज़ा की सुविधा ने पर्यटन के क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को और मज़बूत किया।
सांस्कृतिक-सांकेतिक कूटनीति
मोदी ने राष्ट्रपति ओबामा को गीता, मार्टिन लूथर किंग की भारत यात्रा की तस्वीर, और भारत की प्रसिद्ध तीन चाय उपहार में दी। उपहारों में भी उन्होंने भारतीयता, विवेक और संवाद के प्रतीक गूंथ दिए।
उनकी हिंदी में दिए गए पूरे दौरे के भाषणों ने भारत की भाषा नीति और हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की राजकीय भाषा बनाने के प्रयास को नया बल दिया।
भारत की रक्षा और तकनीक नीति
मोदी और ओबामा ने रक्षा क्षेत्र में 10 वर्षों तक रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने की घोषणा की, जिसमें उन्नत रक्षा तकनीक के हस्तांतरण, संयुक्त रक्षा उत्पादन, और मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसी संभावनाएं शामिल हैं।
भारत-अमेरिका “डिफेंस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशिएटिव (DTTI)” आज इसका ही प्रतिफल है।
धार्मिक विश्वास और साम्प्रदायिक सौहार्द
मोदी ने भारत के मुस्लिम समुदाय पर भरोसा जताते हुए यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारतीय मुसलमान कभी आतंकवाद को पनपने नहीं देंगे। इस वक्तव्य का महत्व न केवल अमेरिका की इमिग्रेशन नीति के दृष्टिकोण से था, बल्कि यह भारतीय समाज में मोदी की धर्मनिरपेक्षता की पुनर्परिभाषा भी थी।
अंत में…
मोदी की अमेरिका यात्रा एक रणनीतिक पुनर्संयोजन की यात्रा थी — कृष्ण-सुदामा की नहीं, अर्जुन-कृष्ण की साझेदारी की। यह यात्रा सिर्फ भाषणों, बैठकों या सम्मेलनों की नहीं थी, बल्कि यह भारत की पुनर्स्थापना की यात्रा थी — जिसमें भारत अब पीछे चलने वाला नहीं, नीति, तकनीक और मानवीय दृष्टिकोण का नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बनकर उभरा।
( यह लेख मूल रुप से प्रकाशित: 5 अक्टूबर 2014, डेली न्यूजएक्टिविस्ट में प्रकाशित । अद्यतन संशोधित 16.7.2025)
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