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Balwant Baswant Wankhede Wikipedia: बिना राजनीतिक विरासत के संसद तक पहुंचे बलवंत बसवंत वानखड़े- अमरावती से दलित समाज की बुलंद आवाज
Balwant Baswant Wankhede Wikipedia: बलवंत बसवंत वानखड़े अमरावती 18वीं लोकसभा सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद हैं, आइये जानते हैं उनके राजनैतिक जीवन का सफर।
Balwant Baswant Wankhede (Image Credit-Social Media)
Balwant Baswant Wankhede Wikipedia: बलवंत बसवंत वानखड़े भारतीय राजनीति का वह नाम हैं जिन्होंने सरपंच से लेकर सांसद बनने तक का सफर बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के तय किया है। सामाजिक न्याय, दलित अधिकार और स्थानीय विकास के मुद्दों को लेकर सक्रिय रहे वानखड़े आज अमरावती 18वीं लोकसभा सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सांसद हैं। उनका जीवन संघर्षों, सेवा और संकल्पों की कहानी है। आइए उनके जन्मदिवस के मौके पर जानते हैं उनके राजनैतिक जीवन से जुड़े संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में -
जन्म, शिक्षा और पारिवारिक पृष्ठभूमि
बलवंत बसवंत वानखड़े का जन्म 2 जुलाई 1967 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले के दर्यापुर तालुका के लेहगांव गांव में हुआ था। वे एक साधारण दलित परिवार से आते हैं। उनका जीवन गरीबी, संघर्ष और सीमित संसाधनों में बीता, लेकिन शिक्षा और सामाजिक चेतना ने उन्हें नेतृत्व की ओर प्रेरित किया।
उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में पूरी की। स्नातक की पढ़ाई उन्होंने अमरावती विश्वविद्यालय से की। उनका झुकाव बचपन से ही सामाजिक कार्यों की ओर रहा, और दलित समाज के अधिकारों को लेकर उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत
बलवंत वानखड़े का राजनीतिक जीवन वर्ष 2005 से शुरू हुआ। उन्होंने ग्राम पंचायत सदस्य के रूप में राजनीति में पहला कदम रखा। वर्ष 2010 तक वे लेहगांव ग्राम पंचायत के सक्रिय सदस्य रहे। इसी दौरान उन्होंने सरपंच पद की जिम्मेदारी भी निभाई और ग्रामीण स्तर पर विकास कार्यों की नींव रखी।
आरपीआई (गवई) से जुड़ाव
राजनीतिक सफर के आरंभिक वर्षों में बलवंत वानखड़े रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) से जुड़े। इस पार्टी के वे सक्रिय नेता बने। आर. एस. गवई और डॉ. डी. जे. वॉकपंजर जैसे दिग्गज नेताओं के निकट सहयोगी बनकर उन्होंने सामाजिक न्याय और बहुजन हित की राजनीति में खुद को स्थापित किया।
जिला परिषद और अन्य जिम्मेदारियां
2012 में वानखड़े ने अमरावती जिला परिषद के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद उन्हें जिला परिषद के स्वास्थ्य और वित्त अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई, जहां उन्होंने ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और वित्तीय पारदर्शिता पर विशेष बल दिया। 2017 से 2019 तक वे अमरावती जिला परिषद के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान उन्होंने शिक्षा, सड़क, सिंचाई और महिला सशक्तिकरण से जुड़े कई योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करवाया।
कृषि क्षेत्र में योगदान
राजनीति के साथ-साथ बलवंत वानखड़े ने कृषि और सहकारिता क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2005 से 2020 तक वे दर्यापुर कृषि उपज बाजार समिति के निदेशक पद पर रहे। इसके अलावा, वे अमरावती जिला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक भी रहे। इस भूमिका में उन्होंने किसानों की ऋण पहुंच को सरल बनाया और स्थानीय सहकारी ढांचे को मजबूत किया है।
विधानसभा चुनावों में संघर्ष
बलवंत वानखड़े ने 2009 और 2014 में दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र (जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है) से चुनाव लड़ा। 2009 में वे आरपीआई (गवई) के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए, हालांकि वे दूसरे नंबर पर रहे। 2014 में फिर से चुनाव लड़ा लेकिन इस बार भी पराजय का सामना करना पड़ा। इन दोनों पराजयों ने उन्हें कमजोर नहीं किया बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण को और अधिक व्यावहारिक और स्पष्ट बनाया।
कांग्रेस में प्रवेश और 2019 की जीत
2019 में उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी (गवई) छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन थामा। कांग्रेस ने उन्हें दर्यापुर विधानसभा सीट से टिकट दिया और इस बार बलवंत वानखड़े ने शानदार जीत दर्ज की। उन्होंने लगभग 30,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की और पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा में पहुंचे।
2024 में सांसद बनने की कहानी
2024 के आम चुनाव में बलवंत वानखड़े को कांग्रेस ने अमरावती लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट से नवनीत राणा निर्दलीय सांसद रही थीं, जिन्हें 2019 में कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन प्राप्त था।
लेकिन नवनीत राणा ने भाजपा का समर्थन कर महा विकास अघाड़ी से खुद को दूर कर लिया था। ऐसे में MVA (महा विकास अघाड़ी) ने इस बार बलवंत वानखड़े को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने नवनीत कौर राणा को लगभग 20,000 वोटों के अंतर से हराकर लोकसभा पहुंचने का गौरव प्राप्त किया।
उन्होंने 24 जून 2024 को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ ली।
वर्तमान पद और भूमिका
बलवंत वानखड़े वर्तमान में 18वीं लोकसभा के सदस्य हैं और कांग्रेस पार्टी के दलित चेहरों में से एक हैं। वे संसद में अनुसूचित जातियों के मुद्दों को मजबूती से उठाते हैं। उनकी प्राथमिकताओं में निम्न मुद्दे शामिल हैं - दलित समाज के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों का विस्तार, अमरावती क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाएं, महिला सशक्तिकरण, युवाओं के लिए स्वरोजगार की योजनाएं, सहकारी बैंकों का डिजिटलीकरण और पारदर्शिता आदि।
जनता से जुड़े सामाजिक सरोकार और पहचान
बलवंत वानखड़े का जीवन हमेशा समाज के अंतिम व्यक्ति की चिंता से जुड़ा रहा है। उन्होंने ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर काम किया है। वे बौद्ध धर्म को मानते हैं और डॉ. आंबेडकर के विचारों से प्रेरित हैं। दलित महिलाओं के हक़, घरेलू हिंसा से पीड़ितों के लिए सहायता केंद्र और सरकारी योजनाओं की पहुंच जैसे विषयों पर उनका विशेष फोकस रहा है।
चुनौतियां और प्रेरणा
बलवंत वानखड़े के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि उन्होंने बिना किसी राजनीतिक परिवार या विरासत के यह मुकाम हासिल किया। गांव से शुरू हुआ उनका सफर, जनपद से विधानसभा और अब संसद तक पहुंचा है। उन्होंने कई बार हार का सामना किया लेकिन कभी अपने उद्देश्य से भटके नहीं।
बलवंत बसवंत वानखड़े आज के भारत के उन जनप्रतिनिधियों में से हैं जो दलित समाज की आवाज संसद में बनकर उभरे हैं। एक आम ग्रामीण युवा से लेकर लोकसभा सदस्य बनने तक की उनकी यात्रा प्रेरणादायक है। वे साबित करते हैं कि ईमानदारी, सेवा और जनसंपर्क की ताकत से बिना किसी वंशवाद के भी राजनीति में नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती हैं।
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