GST कटौती की चर्चा से अटका ऑटो बाजार, ग्राहक ठहरे, डीलर्स उलझे, FADA ने सरकार से लगाई गुहार

Auto Market Stuck : इस बार त्योहारी सीजन पर ऑटोबाजार का माहौल काफी सुस्त नजर आ रहा है।

Jyotsna Singh
Published on: 29 Aug 2025 12:19 PM IST
Auto market slowdown India
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Auto market slowdown India (Image Credit-Social Media)

Auto Market Stuck: सामान्य तौर पर देखा जाता है कि जैसे ही त्योहारों का मौसम नजदीक आता है, ऑटोबाजार में ग्राहकों की चहल कदमी से रौनकें बढ़ जाती हैं वहीं सड़कों पर फूल माला संग चमचमाती हुई नई गाड़ियां नजर आने लग जाती हैं । लेकिन इस बार त्योहारी सीजन पर ऑटोबाजार का माहौल काफी सुस्त नजर आ रहा है। शो-रूम्स में नई गाड़ियां अपने ग्राहकों की बाट जोह रहीं हैं वहीं ग्राहक आते हैं पर अंतिम फैसला करने से पहले ही पता नहीं क्यों वापस चले जाते हैं। ये सिलसिला लगभग देश के हर ऑटो बाजार में कायम है। असल में ग्राहकों में वाहनों की खरीद को लेकर मनोस्थिति GST कटौती को लेकर बदली हुई है। वे GST कटौती की चर्चा को लेकर कन्फ्यूज्ड नजर आ रहें हैं। त्योहारी सीजन पर वाहनों को देखने और पसंद करने के बाद अंतिम फैसला लेते समय यह सोच रहें हैं कि 'अभी खरीदें या थोड़े दिन रुक जाएं?' मौजूदा समय में यह सवाल हर खरीदार के मन में बना हुआ है। सिर्फ ग्राहक ही नहीं यही दुविधा डीलर्स को भी बेचैन कर रही है। इस बीच ऑटोमोबाइल डीलर्स का संगठन FADA सरकार से कह रहा है कि 'जल्दी फैसला कीजिए, नहीं तो फेस्टिव सीजन हाथ से निकल जाएगा।

ग्राहकों का नजरिया 'इंतजार करने से सस्ती कीमत पर वाहन खरीद की उम्मीद'

मौजूदा समय में ऐसे हजारों ग्राहक हैं जिन्होंने कार या दो पहिया बुक करने का मन तो बना लिया, लेकिन अब कुछ समय के लिए रुक गए हैं। उनका कहना है कि 'अगर अगले महीने टैक्स घट गया और कीमतें कम हो गईं, तो अभी खरीदने का क्या फायदा?'


हालांकि कीमतें घटने की संभावना के बीच ग्राहकों की ऐसी सोच होना स्वाभाविक भी है। आज के दौर में हर कोई बाजार में खरीदारी करते समय अपने पैसों की बचत करना चाहता लेकिन यही अनिश्चितता बाजार को ठंडा कर रही है।

छलक रहा डीलर्स का दर्द- बढ़ा स्टॉक, थमी बिक्री

एक ओर जहां ग्राहक वाहन की कीमतों में कटौती की बाट जोह रहे हैं वहीं दूसरी तरफ डीलर्स सुस्त रिस्पॉन्स से हैरान हैं। हमेशा की ही तरह त्योहारी सीजन को देखते हुए उन्होंने पहले से ही नई गाड़ियां मंगा लीं। उम्मीद थी कि दशहरा और दीवाली तक सेल्स रिकॉर्ड तोड़ देंगी। लेकिन अब शोरूम में गाड़ियां खड़ी-खड़ी धूल खा रही हैं और खरीदार इंतजार में हैं। एक डीलर बताते हैं – 'ग्राहक रोज आते हैं, टेस्ट ड्राइव लेते हैं, सब पसंद करते हैं लेकिन अंत में पूछते हैं कि ‘अगले महीने दाम कम होंगे न?’ बस, यहीं पर बात अटक जाती है।'

इस स्थिति से उबरने के लिए FADA की सरकार से अपील

त्योहारी सीजन पर ऑटोबाजार में छाई सुस्ती और ग्राहकों की असमंजस की स्थिति को खत्म करने के लिए FADA ने सीधे सरकार को पत्र लिखा है। जिसमें स्पष्ट तौर पर उनके द्वारा कई मांगें की गई हैं-

* GST परिषद की बैठक जल्दी की जाए, ताकि त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले फैसला सामने आ सके।

* डीलर्स को थोड़ी राहत देने के लिए बैंकों और NBFCs की किश्त अवधि 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन की जाए।

* उपकर (सेस) क्रेडिट पर साफ नीति बने, ताकि आगे भ्रम न हो।

FADA का मानना है कि सरकार ने अगर समय रहते कदम उठाए तो इंडस्ट्री को ग्राहकों को राहत और बिक्री में बढ़ोतरी से दोहरा फायदा होना तय है।

बदली टैक्स संरचना से बढ़ रही EV बाजार की चमक

वर्तमान समय में गाड़ियों पर 28% GST लगता है और इसके ऊपर 1% से 22% तक का सेस नतीजा यह होता है कि छोटी पेट्रोल कार पर टैक्स बोझ लगभग 29% तक पहुंच जाता है। SUVs पर यह 50% तक चला जाता है।

अब सोचिए, जिस गाड़ी की फैक्ट्री कीमत 10 लाख है, वह टैक्स और सेस मिलाकर ग्राहक को 14 से 15 लाख तक पड़ती है। वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों पर सिर्फ 5% GST है। यही वजह है कि EV मार्केट धीरे-धीरे चमकने लगा है।

संभावित GST टैक्स कटौती से ये होगा लाभ


सरकार द्वारा GST कटौती के बाद यदि यह टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया तो ऐसे में गाड़ियों की कीमतें लाखों में कम हो सकती हैं। 12 लाख की SUV तुरंत करीब 1 लाख रुपये तक सस्ती हो जाएगी।

इससे ग्राहकों का इंतजार खत्म होगा और बुकिंग्स झटपट बढ़ेंगी। डीलर्स आसानी से स्टॉक निकाल पाएंगे। ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक नई ऊर्जा आएगी।

सरकार को शुरुआती समय में राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन ज्यादा बिक्री से वह घाटा जल्दी भर जाएगा। भारत में गाड़ियां सिर्फ जरूरत नहीं, एक सपना होती हैं। नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस और दीवाली पर लोग नई गाड़ियां खरीदना शुभ मानते हैं। डीलर्स की कुल सालाना बिक्री का लगभग एक-तिहाई हिस्सा इन्हीं महीनों में आता है।

अगर इस बार भी ग्राहक इंतजार में बैठे रहे और सरकार ने देर की, तो इंडस्ट्री को बड़ा झटका लग सकता है। पिछले साल 2024 में भी उम्मीद से कम बिक्री हुई थी, और अब 2025 पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

हालांकि सरकार के सामने भी मुश्किल आसान नहीं है। एक तरफ उद्योग और ग्राहक टैक्स में कटौती चाहते हैं, दूसरी तरफ राजस्व का संतुलन बनाए रखना जरूरी है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि लंबी अवधि में यह फैसला फायदे का सौदा साबित हो सकता है। बिक्री बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा और अंततः सरकार की कमाई भी।

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