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ISRO की बड़ी उपलब्धि - गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का सफल परीक्षण
ISRO's Big Achievement: गगनयान के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (Service Module Propulsion System - SMPS) का विकास सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
ISRO's Big Achievement (Image Credit-Social Media)
Gaganyaan Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गगनयान मिशन की दिशा में एक और बड़ी सफलता प्राप्त की है। इसरो ने घोषणा की है कि उसने गगनयान के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (Service Module Propulsion System - SMPS) का विकास सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह प्रणाली अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने, उसका नियंत्रण बनाए रखने, डी-बूस्टिंग और आपातकालीन स्थितियों में मिशन को रोकने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में उपयोगी होगी। इसका परीक्षण तमिलनाडु के महेन्द्रगिरी स्थित ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (IPRC) में किया गया, जहां इसे सभी तकनीकी और सुरक्षा मानकों पर सफल पाया गया। यह उपलब्धि भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की तैयारी को मजबूती देती है और ISRO की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रमाण भी है।
The: Gaganyaan Mission - भारत की पहली मानव उड़ान की तैयारी
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसे वर्ष 2025 तक लॉन्च करने की योजना है। इस मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में भेजना और सुरक्षित वापस लाना है। इस महत्वाकांक्षी मिशन के कई तकनीकी हिस्से हैं, जिनमें सबसे अहम सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS) है।
ISRO के अनुसार, SMPS एक ऐसा सिस्टम है जो दो तरह के ईंधन से चलता है। यह सिस्टम अंतरिक्ष यान को सही कक्षा में पहुंचाने, उड़ान के दौरान दिशा बनाए रखने, वापसी से पहले रफ्तार कम करने और अगर उड़ान के समय कोई खतरा हो तो मिशन को रोकने में मदद करता है। इसमें लिक्विड एपोजी मोटर (LAM) नाम के इंजन जोर देने का काम करते हैं, जबकि रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (RCS) नाम के छोटे इंजन यान की दिशा को ठीक से कंट्रोल करते हैं।
Propulsion System का परीक्षण - कैसे हुआ सफल?
ISRO ने बताया कि टेस्ट के लिए एक खास मॉडल तैयार किया गया जिसे सिस्टम डेमोंस्ट्रेशन मॉडल (SDM) कहा जाता है। यह मॉडल SMPS की तरह काम करता है। इसमें ईंधन रखने वाला टैंक, हीलियम गैस से दबाव बनाने वाला सिस्टम, उड़ान में काम आने वाले छोटे इंजन और कंट्रोल करने वाले हिस्से लगाए गए थे।
इस SDM पर 25 अलग-अलग परीक्षण किए गए, जिनमें सामान्य और आपातकालीन दोनों परिस्थितियों को शामिल किया गया। कुल मिलाकर 14,331 सेकंड तक इन परीक्षणों को चलाया गया ताकि मिशन के हर संभावित परिदृश्य में सिस्टम की विश्वसनीयता परखी जा सके।
ISRO ने यह भी बताया कि यह पूरी प्रणाली उसके लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित की गई है। इसके सभी परीक्षण ISRO प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स, महेन्द्रगिरी में सफलता पूर्वक संपन्न किए गए।
क्यों खास है यह उपलब्धि?
ISRO की सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि गगनयान मिशन पूरी तरह से सुरक्षित हो। इसी कारण SMPS का टेस्ट किया गया, ताकि यह पता चल सके कि यह सिस्टम अगर कोई गड़बड़ या मुश्किल हालात आएं, तब भी सही तरीके से काम कर सके। यह टेस्ट सफल रहा, जिससे मिशन को सुरक्षित बनाने में मदद मिली। इससे यह भी साबित होता है कि अब भारत अपनी तकनीक पर भरोसा कर सकता है और ज़रूरी चीजें खुद बना रहा है।
ISRO का यह कदम गगनयान मिशन की दिशा में एक ठोस उपलब्धि है और इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब मानव अंतरिक्ष उड़ान की तैयारी में पूरी तरह सक्षम है।
निष्कर्ष
गगनयान मिशन की यह तकनीकी सफलता भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और गौरवपूर्ण अध्याय जोड़ती है। ISRO का यह परीक्षण देश की वैज्ञानिक प्रगति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। आने वाले समय में जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री इस तकनीक के सहारे अंतरिक्ष में पहुंचेंगे, तब यह उपलब्धि एक मजबूत नींव के रूप में याद रखी जाएगी।
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