Cherrapunji Famous Places: झरनों की धरती चेरापूंजी, जहां कुदरत करती है दिल खोलकर आपका स्वागत और हर बूंद बुनती है एक कहानी

Cherrapunji Famous Places: चेरापूंजी न सिर्फ भारत का दूसरा सबसे अधिक वर्षा वाला इलाका है बल्कि इसे एक जादुई धरती भी माना जाता है।

Jyotsna Singh
Published on: 25 July 2025 12:09 PM IST
Cherrapunji Famous Tourist Places
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Cherrapunji Famous Tourist Places 

Cherrapunji: जब भी मानसून की पहली फुहार धरती पर गिरती है, तो देशभर के सैर-सपाटे के शौकीनों की नजर चेरापूंजी की ओर मुड़ जाती है। धुंध से ढकी घाटियां, हरे-भरे जंगल और पहाड़ों से गिरते विशाल जलप्रपात… ये सब मिलकर चेरापूंजी को न सिर्फ भारत का दूसरा सबसे अधिक वर्षा वाला इलाका बनाते हैं, बल्कि इसे एक ऐसी जादुई धरती भी बना देते हैं, जहां हर मोड़ पर प्रकृति कोई नई कहानी सुनाती है।

खासी पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर बसा चेरापूंजी 1484 फीट की ऊंचाई से बांग्लादेश के मैदानों का दिलकश नजारा भी दिखाता है। यह स्थान न केवल अपने झरनों के लिए मशहूर है, बल्कि यहां आपको दुर्लभ लाल पांडा और दुनिया के चर्चित दो मंजिला जीवित जड़ों के पुल भी देखने को मिलेंगे।

आइए, इस मानसून अगर आप चेरापूंजी जाने की सोच रहे हैं, तो इन खास झरनों को देखने का मौका बिल्कुल न चूकें और साथ में जानिए उन कहानियों को, जिनसे इन झरनों की पहचान बनी है।

डैन्थलेन फॉल्स- अजगर की दास्तान वाला झरना


चेरापूंजी से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित डैन्थलेन फॉल्स सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि इसके साथ जुड़ी है एक दिलचस्प लोककथा। कहा जाता है कि पुराने समय में इस इलाके में एक विशाल अजगर (थलेन) का आतंक था। वह गांववालों की मवेशियों और बच्चों को निगल जाता था। एक दिन गांववालों ने साहस कर बहुत ही संघर्ष के बाक उसे मार गिराया और जहां यह घटना हुई, वहीं से यह झरना बहता है। झरने के पास मौजूद चट्टानों पर आज भी उसकी कहानी को दर्शाने वाले निशान दिखाई देते हैं।

यह झरना ऊंचाई से गिरता पानी, उसके किनारे फैले हरियाले मैदान और पास की घाटी का अद्भुत संगम पेश करता है। मानसून के दौरान इसका रूप और भी भव्य हो जाता है।

किनरेम फॉल्स – तीन परतों वाला झरना

चेरापूंजी से करीब 12 किलोमीटर दूर किनरेम फॉल्स का जिक्र आते ही आंखों के सामने उसका तीन स्तरों में बहता विशाल जलप्रपात उभर आता है। मेघालय के सबसे ऊंचे झरनों में शामिल यह फॉल्स मानसून के दौरान पूरे शबाब पर होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसका दृश्य नीचे से देखने पर तीनों स्तरों से गिरता पानी एक अलग ही दृश्य रचता है।

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह झरना उस समय बना जब इलाके के देवताओं ने इंसानों की प्यास बुझाने के लिए धरती को छेदा। इस झरने की गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है और बारिश के मौसम में यह इलाका सैलानियों से गुलजार हो जाता है।

नाओकलिका फॉल्स - दर्द भरी प्रेम कहानी का साक्षी


1100 फीट की ऊंचाई से गिरता यह झरना न केवल दुनिया के चौथे सबसे ऊंचे झरनों में गिना जाता है, बल्कि इसके साथ जुड़ी दर्दनाक कहानी भी इसे खास बनाती है। ‘नोह का लिकाई’ का अर्थ है, ‘लिकाई की छलांग’। इस नाम के पीछे एक ऐसी घटना है जो दिल दहला देती है। स्थानीय लोककथा के अनुसार, लिकाई नाम की एक विधवा महिला की दूसरी शादी हुई थी। उसके पहले पति से एक बेटी थी, जिससे उसका दूसरा पति नफरत करता था। एक दिन जब लिकाई घर से बाहर गई थी, उसके पति ने उसकी बेटी को मार डाला और उसके मांस से खाना बना दिया। जब लिकाई घर लौटी, तो भूख के कारण उसने खाना खा लिया। बाद में जब उसे सच्चाई का पता चला, तो वह सदमे में आकर इस झरने से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी। आज भी जब यह झरना पूरे वेग से बहता है, तो स्थानीय लोग इसे लिकाई की आंसुओं की धार मानते हैं।

सेवन सिस्टर्स फॉल्स-प्रकृति की सात सौगातें

चेरापूंजी का यह फॉल्स ‘नोहसिंगिथियांग फॉल्स’ के नाम से भी जाना जाता है। मानसून के समय यह झरना अपने सात धाराओं में बंट जाता है, जो दूर से देखने पर सात बहनों जैसी प्रतीत होती हैं। इसलिए इसे सेवन सिस्टर्स फॉल्स कहा जाता है। कहते हैं कि ये सात धाराएं पूर्वोत्तर भारत की सात बहनों (सात राज्यों) की प्रतीक हैं। झरने की ऊंचाई लगभग 1035 फीट है और इसकी धाराएं खासी पहाड़ियों की चट्टानों को चूमती हुई गिरती हैं।

दावकी फॉल्स-कांच जैसी नदी का अनोखा नजारा


भले ही दावकी झरना चेरापूंजी से थोड़ा दूर है, लेकिन इसका जिक्र किए बिना चेरापूंजी यात्रा अधूरी है। दावकी नदी की खासियत है इसका कांच जैसा साफ पानी, जिसमें नावें मानो हवा में तैरती हुई दिखती हैं। दावकी वाटरफॉल्स इसी नदी से जुड़ा है। हरे-भरे जंगलों के बीच संगीत की धुन के एहसास के साथ गिरता यह झरना और उसके पास बहती स्वच्छ नदी का मिलाप एक मनमोहक नजारा पेश करता है।

चेरापूंजी के झरने केवल पानी का बहाव नहीं, बल्कि समय के साथ जुड़ी भावनाओं और लोककथाओं के साक्षी भी हैं। हर झरना अपने साथ कोई कहानी लेकर आता है कभी बहादुरी की, कभी प्रेम की, तो कभी धोखे और दर्द की।

इस मानसून, अगर आप प्रकृति के बीच सुकून तलाशना चाहते हैं तो चेरापूंजी आइए। यहां की हर बूंद आपको एक नई कहानी सुनाएगी और हर झरना आपको जीवन की एक नई सीख देगा।

कैसे पहुंचें चेरापूंजी

- चेरापूंजी से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है शिलांग, वहां से सड़क मार्ग से चेरापूंजी पहुंच सकते हैं।

- गुवाहाटी से भी सड़क मार्ग से करीब 4 घंटे का रास्ता है। मानसून के समय यहां जाने का मजा ही कुछ और है, लेकिन बारिश से बचाव के पूरे इंतजाम जरूर करें।

साथ ही चेरापूंजी में स्थानीय लोगों और प्रकृति का सम्मान करना न भूलें।

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