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Chitrakote Waterfall Tour Guide: भारत के नियाग्रा कहे जाने वाले चित्रकोट वॉटर फाल के बारे में कुछ रोचक जानकारी जानते हैं
Chitrakote Waterfall Tour Guide: चित्रकोट के पास ही राम और उनके भाई भरत की मुलाकात हुई थी जब भरत उन्हें अयोध्या वापस लाने आए थे।
Chitrakote Waterfall Tour Guide (Image Credit-Social Media)
Chitrakote Waterfall Tour Guide: चित्रकोट , जलप्रपात छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में इंद्रावती नदी पर स्थित है। इसकी ऊंचाई करीब 29 से 30 मीटर है और मानसून के दौरान इसकी चौड़ाई 300 मीटर तक पहुंच जाती है जो इसे भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात बनाती है। इसका घोड़े की नाल जैसा आकार इसे नियाग्रा जलप्रपात से जोड़ता है। स्थानीय हल्बी भाषा में चित्र का मतलब हिरण होता है और कहा जाता है कि पहले इस इलाके में हिरणों की बहुतायत थी जिसके कारण इसका नाम चित्रकोट पड़ा। यह जलप्रपात हर मौसम में अलग-अलग रंग दिखाता है। मानसून में इसका पानी लालिमा लिए होता है तो गर्मियों की चांदनी रात में यह दूध सा सफेद नजर आता है। सर्दियों में आसपास की चट्टानों पर बर्फ की परतें और बूंदें इसे और भी जादुई बनाती हैं।
इस जलप्रपात की खूबसूरती सिर्फ इसके पानी और चौड़ाई तक सीमित नहीं। इसके चारों ओर घने जंगल हैं जहां विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। बस्तर का यह इलाका जैव-विविधता का खजाना है। यहाँ बस्तर हिल मायना जैसे दुर्लभ पक्षी देखे जा सकते हैं। साथ ही हिरण, तेंदुआ और बंदर जैसे जानवर भी इस जंगल का हिस्सा हैं। पर्यटक यहाँ प्रकृति की गोद में सुकून पाते हैं और पक्षी-प्रेमी कैमरे में रंग-बिरंगे पक्षियों को कैद करने का लुत्फ उठाते हैं।
चित्रकोट का मानसून जादू
मानसून का मौसम यानी जुलाई से अक्टूबर तक चित्रकोट जलप्रपात को देखने का सबसे अच्छा समय है। इस दौरान इंद्रावती नदी पूरे उफान पर होती है और जलप्रपात अपनी पूरी चौड़ाई के साथ बहता है। पानी की तेज धाराएं चट्टानों से टकराकर एक गर्जना पैदा करती हैं जो दूर तक सुनाई देती है। इस दौरान जलप्रपात के नीचे धुंध का बादल बनता है और सूरज की किरणें उसमें से इंद्रधनुष रचती हैं। यह नजारा इतना मनमोहक होता है कि पर्यटक घंटों इसे निहारते रहते हैं। कई बार तो पानी की बौछारें इतनी तेज होती हैं कि पास खड़े पर्यटकों के कपड़े भीग जाते हैं।
हालांकि मानसून में जलप्रपात की रौनक चरम पर होती है लेकिन इस समय सावधानी भी जरूरी है। तेज बहाव के कारण तैराकी या नाव की सैर खतरनाक हो सकती है। स्थानीय प्रशासन भी इस दौरान नाव की सैर पर रोक लगा देता है। फिर भी जलप्रपात के आसपास की सीढ़ियों से नीचे उतरकर इसकी खूबसूरती को करीब से देखा जा सकता है।
सर्दी और गर्मी में चित्रकूट
सर्दियों में यानी नवंबर से फरवरी तक चित्रकोट का एक अलग ही रूप देखने को मिलता है। इस दौरान पानी का बहाव कम होता है और जलप्रपात तीन से सात अलग-अलग धाराओं में बंट जाता है। साफ मौसम और ठंडी हवाएं इस जगह को पिकनिक के लिए आदर्श बनाती हैं। पर्यटक यहाँ नाव की सैर का मजा ले सकते हैं और कुछ साहसी लोग जलप्रपात के नीचे बने प्राकृतिक ताल में तैराकी भी करते हैं। गर्मियों में यानी मार्च से जून तक जलप्रपात का पानी कम हो जाता है और कई बार यह सूखने की कगार पर पहुंच जाता है। इसकी वजह है ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर इंद्रावती नदी का पानी जौरा नाला में मोड़ दिया जाना। फिर भी गर्मियों की चांदनी रात में जलप्रपात का सफेद पानी चमकता है और एक अलग ही अनुभव देता है।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
चित्रकोट जलप्रपात सिर्फ एक प्राकृतिक अजूबा नहीं बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। स्थानीय आदिवासी समुदाय इसे पवित्र मानते हैं और इसे कई धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा बनाते हैं। जलप्रपात के बाएं किनारे पर भगवान शिव को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है और पास में पार्वती गुफाएं हैं जो प्राकृतिक रूप से बनी हैं। इन गुफाओं का नाम शिव की पत्नी पार्वती के नाम पर रखा गया है। जलप्रपात के नीचे छोटे-छोटे शिवलिंग भी देखे जा सकते हैं जो स्थानीय लोगों की आस्था का प्रतीक हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बस्तर क्षेत्र में भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान समय बिताया था। कहा जाता है कि चित्रकोट के पास ही राम और उनके भाई भरत की मुलाकात हुई थी जब भरत उन्हें अयोध्या वापस लाने आए थे। इस वजह से यहाँ भरत मिलाप मंदिर भी है जो धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करता है। मकर संक्रांति, रामनवमी और सोमवती अमावस्या जैसे त्योहारों पर यहाँ खास उत्सव मनाए जाते हैं।
कैसे पहुंचें चित्रकूट
चित्रकोट जलप्रपात तक पहुंचना ज्यादा मुश्किल नहीं। यह जगदलपुर से 38 किलोमीटर और रायपुर से 273 किलोमीटर दूर है। रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है और यहाँ से चित्रकोट तक का रास्ता सड़क मार्ग से 5 से 6 घंटे में तय किया जा सकता है।
रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा चित्रकोट का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यहाँ से दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और हैदराबाद जैसे शहरों के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। हवाई अड्डे से आप टैक्सी या बस लेकर जगदलपुर पहुंच सकते हैं और वहां से चित्रकूट के लिए स्थानीय टैक्सी या बस ले सकते हैं।
अगर आप ट्रेन से जाना चाहें तो जगदलपुर रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी है जो किरंदुल-विशाखापट्टनम लाइन पर है। यहाँ से दुर्ग जगदलपुर एक्सप्रेस, विशाखापट्टनम-किरंदुल एक्सप्रेस और हीराखंड एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें उपलब्ध हैं। जगदलपुर से चित्रकोट के लिए टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है।
सड़क मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और भिलाई से जगदलपुर के लिए नियमित बसें चलती हैं। जगदलपुर से चित्रकोट के लिए स्थानीय बसें और निजी टैक्सी उपलब्ध हैं। अगर आप अपनी गाड़ी से जा रहे हैं तो रास्ते में सावधानी बरतें क्योंकि कुछ हिस्सों में सड़कें संकरी और टूटी-फूटी हो सकती हैं। खासकर ओडिशा से आने वाले रास्तों में जयपुर के बाद का हिस्सा थोड़ा खराब हो सकता है।
क्या करें चित्रकोट में
चित्रकोट जलप्रपात सिर्फ देखने की जगह नहीं बल्कि कई गतिविधियों का केंद्र भी है। यहाँ की सबसे मशहूर गतिविधि है नाव की सैर। जलप्रपात के नीचे बने ताल में नाव से घूमना एक रोमांचक अनुभव है। नाव वाले आपको जलप्रपात के करीब ले जाते हैं जहां पानी की बौछारें आपके चेहरे पर छूटी हैं। यह सैर करीब 50 रुपये प्रति व्यक्ति के आसपास है और 10 मिनट तक चलती है।
प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए चित्रकोट किसी जन्नत से कम नहीं। जलप्रपात के नीचे की सीढ़ियों से उतरकर आप शानदार तस्वीरें खींच सकते हैं। अगर आप भाग्यशाली हुए तो मानसून में इंद्रधनुष देखने को मिल सकता है। यहाँ पिकनिक का भी खूब मजा है। आसपास की हरियाली और पानी की आवाज के बीच परिवार या दोस्तों के साथ समय बिताना यादगार हो सकता है।
चित्रकोट के आसपास ट्रैकिंग और रॉक क्लाइंबिंग के लिए भी कई रास्ते हैं। घने जंगलों में छोटी-छोटी पगडंडियां आपको प्रकृति के और करीब ले जाती हैं। अगर आप पक्षी-प्रेमी हैं तो अपने कैमरे और बाइनोकुलर साथ लाएं क्योंकि यहाँ कई दुर्लभ पक्षी देखने को मिल सकते हैं।
आसपास की जगहें
चित्रकोट के आसपास कई और दर्शनीय स्थल हैं जो आपकी यात्रा को और रोचक बना सकते हैं। तीरथगढ़ जलप्रपात चित्रकोट से करीब 35 किलोमीटर दूर है और 91 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। यह एक बहु-स्तरीय जलप्रपात है और इसके नीचे 210 सीढ़ियों की मदद से पहुंचा जा सकता है। यहाँ की हरियाली और शांति इसे पिकनिक के लिए आदर्श बनाती है।
कुटुमसार गुफाएं चित्रकोट से एक घंटे की दूरी पर हैं। ये चूना पत्थर से बनी प्राकृतिक गुफाएं हैं जो 200 मीटर लंबी हैं। इनमें कई संकरी गलियां और प्राकृतिक संरचनाएं हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। मानसून में ये गुफाएं बाढ़ के कारण बंद रहती हैं लेकिन बाकी समय में खुली रहती हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान भी चित्रकोट के पास है। यह उद्यान अपनी जैव-विविधता, गुफाओं और जलप्रपातों के लिए मशहूर है। यहाँ जंगल सफारी के दौरान आप बाघ, तेंदुआ, हिरण और पायथन जैसे जानवर देख सकते हैं। कांगेर धारा जलप्रपात और डियर पार्क भी इस उद्यान के आकर्षण हैं।
रहने की व्यवस्था
चित्रकोट के पास छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग का दंदामी लक्जरी रिजॉर्ट है जो जलप्रपात के ठीक बगल में है। यहाँ 16 डबल बेड कॉटेज और 13 लक्जरी टेंट हैं। कॉटेज में एयर कंडीशनर, रेस्तरां और सैटेलाइट टीवी जैसी सुविधाएं हैं। कुछ कॉटेज की बालकनी से जलप्रपात का नजारा दिखता है। एक डबल बेड रूम की कीमत करीब 2000 रुपये प्रति रात है। बुकिंग के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन कॉल सेंटर (0771-4066415) पर संपर्क किया जा सकता है।
जगदलपुर में भी कई होटल और गेस्ट हाउस हैं जो बजट और मिड-रेंज यात्रियों के लिए उपयुक्त हैं। लेकिन चूंकि पर्यटन यहाँ अभी बढ़ रहा है इसलिए पहले से बुकिंग कर लेना बेहतर है।
कुछ सावधानियां
चित्रकोट जाते समय कुछ बातों का ध्यान रखें। यहाँ रेस्तरां और दुकानों की कमी है और कुछ दुकानों पर बासी खाना या एक्सपायर्ड सामान बिकने की शिकायतें मिली हैं। इसलिए अपना खाना और पानी साथ ले जाएं। मानसून में सीढ़ियां फिसलन भरी हो सकती हैं इसलिए अच्छे ग्रिप वाले जूते पहनें। सेल्फी लेते समय सावधानी बरतें क्योंकि तेज बहाव खतरनाक हो सकता है। अगर आप बस से जा रहे हैं तो शाम 5 बजे तक वापसी की बस ले लें क्योंकि उसके बाद बसें कम मिलती हैं।
रोचक तथ्य
चित्रकोट जलप्रपात को भारत के छह भू-विरासत स्थलों में से एक माना जाता है। यहाँ की भूगर्भीय संरचना में क्वार्टजाइट बलुआ पत्थर और प्राचीन ग्रेनाइट चट्टानें हैं। यह जलप्रपात पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आसपास का जंगल नदी के पानी को शुद्ध करता है। हाल के वर्षों में जलप्रपात के पानी में कमी की शिकायतें आई हैं क्योंकि ओडिशा सरकार ने इंद्रावती का पानी मोड़ दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद इसके संरक्षण के लिए प्रयास कर रहे हैं।
चित्रकोट जलप्रपात सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं बल्कि प्रकृति, संस्कृति और इतिहास का अनोखा संगम है। इसकी विशालता, इंद्रावती की गर्जना और आसपास की हरियाली हर यात्री को मंत्रमुग्ध कर देती है। चाहे आप प्रकृति प्रेमी हों, साहसिक यात्रा के शौकीन हों या धार्मिक स्थलों की तलाश में हों, चित्रकोट हर किसी के लिए कुछ खास लेकर आता है। अगर आप छत्तीसगढ़ की सैर का प्लान बना रहे हैं तो चित्रकूट को अपनी सूची में जरूर शामिल करें। यह मिनी नियाग्रा आपको एक ऐसी याद देगा जो जिंदगी भर साथ रहेगी।
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