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Ganesh Chaturthi in Lucknow: लखनऊ में 26 अगस्त में चढ़ेगा आस्था का रंग, गणेश उत्सव Eco Friendly पंडालों के संग
Ganesh Chaturthi in Lucknow: इस वर्ष गणेश उत्सव 26 अगस्त मंगलवार को मनाया जाएगा और लगभग 10 दिनों तक समापन के स्वरूप में गणेश विसर्जन तक चलेगा।
Festivals Ganesh Chaturthi 2025 Lucknow Famous Pandals Celebrations
Ganesh Chaturthi in Lucknow: हर वर्ष की भांति इस साल भी गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आस्था और उत्साह की बौछार लेकर लखनऊ की गलियों में दस्तक देने को तैयार है। इस वर्ष 2025 में यह पर्व 26 अगस्त मंगलवार को मनाया जाएगा और लगभग 10 दिनों तक समापन के स्वरूप में गणेश विसर्जन तक चलेगा। इस बार शहर के मशहूर गणेशोत्सव पंडालों में पर्यावरण अनुकूल तैयारी ने एक नई ऊर्जा और संदेश को जन्म दिया है। जहां आध्यात्मिकता, संस्कृति, सामाजिक जिम्मेदारी और उत्सव की विशालता एक साथ नजर आएगी। लखनऊ में कई मशहूर गणेश पंडाल अपनी कलाकृति और अपनी विशेषताओं के कारण जाने जाते हैं। जहां गणेश प्रतिमा विसर्जन तक उत्सव सा माहौल छाया रहता है।
झूलेलाल वाटिका, गोमतीतट -हनुमान सेतु
झूलेलाल वाटिका के 'मनौतियों के राजा' लखनऊ का सबसे विशाल पंडाल माना जाता है। यहां 10 दिनों तक थीमबेस्ड पंडाल में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, झूले, मेले में देश भर की हस्तनिर्मित वस्तुएं और खाने पीने की अनगिनत स्टॉल इस यहां का आकर्षण का केंद्र होती हैं। पिछले कई वर्षों में यहां सिद्धिविनायक शैली की प्रतिमा, दक्षिण भारतीय मंदिर शैली, विशाल पंडाल और बप्पा को मनौतियां लिखकर देने (लेटर टू बप्पा) की परंपरा विशेष पहचान रही है। यहां इस अवसर पर हर साल बप्पा के नाम पर हजारों पत्र आते हैं। शाम को आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भीड़ चरम पर रहती है। इस दौरान हनुमान सेतु से या मनकामेश्वर मार्ग से यहां भारी भीड़ और पार्किंग की समस्या से बचने के लिए पैदल आना ज्यादा सुविधाजनक रहता है।
पत्रकार पुरम गोमती नगर गणेश पंडाल
पत्रकार पुरम मार्केट इलाके में गणेश उत्सव पिछले कुछ वर्षों से लगातार बड़े पैमाने पर होता आ रहा है। जहां सांस्कृतिक मंच पर शाम के कार्यक्रम में शिव तांडव जैसे मंचन, नृत्य भजन संध्या का आनंद उठाने के लिए भारी भीड़ एकत्र होती है। यहां खासतौर से दूसरी और तीसरी रात से भीड़ तेज हो जाती है। यहां गोमती नगर विकासखंड या पटवर्धन पार्क की ओर से पैदल पहुंचना आसान रहता है।
अमीनाबाद गणेश पंडाल
शहर के मुख्य बाजार 'अमीनाबाद के राजा' लखनऊ को सबसे पुरानी सार्वजनिक गणेश पूजा में गिना जाता है। महाराष्ट्रीयन समाज द्वारा 1921 से परंपरा निभाई जा रही है। यहां प्रतिवर्ष पर्यावरण अनुकूल मूर्ति स्थापित करने पर जोर रहता है। यहां खासतौर से मराठी व्यंजनों की विविधता देखने को मिलती है। जिसमें पूरन पोली, श्रीखंड, भाकरवाडी जैसे व्यंजनों के साथ पारंपरिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम का उत्साही माहौल देखने को मिलता है। यहां शाम को 7 से 10 के बीच भारी भीड़ हो जाती है। इसलिए यहां मेट्रो या ऑटो या पैदल चलना ज्यादा सुविधाजनक होता है।
रामाधीन सिंह इंटर कॉलेज, गणेश उत्सव
रामाधीन सिंह इंटर कॉलेज में लगने वाले भव्य पंडाल की गूंज डालीगंज से लेकर आई टी चौराहे के इलाकों को उल्लास में सराबोर कर देती है। इस पंडाल में 10 दिनों तक बप्पा के विविध श्रृंगार से लेकर उनके भोग प्रसाद और सांस्कृतिक गतिविधियों का सिलसिला विसर्जन तक अनवरत जारी रहता है। जहां शहर की सम्मानित हस्तियां बप्पा के दर्शन करने आती हैं। साथ ही यहां स्थलों पर विभिन्न फूड आइटम के साथ खरीदारी का माहौल भी जोरों पर रहता है। यहां पहुंचना निराला नगर से फैजाबाद रोड या बाबूगंज सहज है।
पेपर मिल कॉलोनी निशातगंज, गणेशोत्सव
यह पंडाल लखनऊ के सबसे ज्यादा थीम बेस्ड और ऊंचे पंडाल के लिए जाना जाता है। पिछले सालों से केदारनाथ और जगन्नाथ मंदिर थीम पर 50 फीट ऊंचे पंडाल, लगभग 11 से 12 फीट की प्रतिमा, कोलकाता व पश्चिम बंगाल के कारीगरों का काम और मेले में उल्लास का माहौल यहां की खूबियों का बखान करता है। इस साल पंडाल सोशल अपडेट के अनुसार विशाल शिवलिंग थीम पर बेस्ड होने की तैयारी की चर्चा है। शाम 7:00 से 10:00 बजे तक यहां सर्वाधिक भीड़ रहती है। निशातगंज पुल या एवरग्रीन चौराहा से यहां पहुंचना आसान है।
आशियाना गणेश उत्सव
आशियाना सेक्टर K/ L ग्राउंड्स और स्थानीय पार्क में समितियां मध्यम आकार के पंडाल व सांस्कृतिक बाल कार्यक्रम आयोजित करती हैं। यहां भीड़ अपेक्षाकृत बाहरी से ज्यादा परिवार केंद्रित रहती है। इस पंडाल में स्थानीय लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं पूजा पाठ के अलावा यहां भी बच्चों से जुड़ी हुई सांस्कृतिक गतिविधियों का खास माहौल रहता है।
ऐशबाग गणेश उत्सव
ऐशबाग में रामलीला मैदान के आसपास स्थानीय गणेश सेवा मंडल, सुदर्शन गणेश सेवा मंडल द्वारा पंडाल लगते हैं। यहां शाम की भजन-संध्या और सामुदायिक कार्यक्रम प्रमुख रहते हैं। इस पंडाल में भी चहल पहल और रौनकों का जबरदस्त माहौल रहता हैं। खासकर विसर्जन के दिन ढोल नगाड़ों के संग जब गणेश जी की सवारी निकलती है तो बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं। ऐशबाग चौराहे के आसपास जाम की स्थिति भी आ जाती है। इन सभी पंडालों की खूबी है कि यह पूरी तरह से पर्यावरण पर केंद्रित हैं। जहां पर्यावरण हितैषी मिट्टी और कपड़े की मूर्तियां, कागज की सजावट, प्लास्टिक फ्री प्रसाद, जल संरक्षण को बढ़ावा, इको फ्रेंडली मूर्तियों पर जोर दिया जाता है।
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