OMG! एक ऐसा परिवार जो सुबह नाश्ता भारत में करता है और रात का भोजन म्यांमार में, लेकिन कैसे?

Unique Village Longwa: लोंगवा गाँव की यात्रा के लिए मोन फेस्टिवल (अप्रैल में) या सर्दियों का मौसम बे

Shivani Jawanjal
Published on: 30 Aug 2025 11:03 AM IST
OMG! एक ऐसा परिवार जो सुबह नाश्ता भारत में करता है और रात का भोजन म्यांमार में, लेकिन कैसे?
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Longwa Village Travel Guide: भारत एक विविधताओं से भरा देश है। यहाँ की संस्कृति, परंपराएँ, भाषाएँ और भौगोलिक परिस्थितियाँ इतनी अलग-अलग हैं कि हर राज्य और हर क्षेत्र अपने आप में एक अद्वितीय पहचान रखता है। पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की तो खासियत ही यह है कि वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, जनजातीय जीवन और सीमावर्ती परिस्थितियाँ मिलकर एक रहस्यमयी और रोमांचक दुनिया रचती हैं। इन्हीं में से एक है नागालैंड का मोन जिला, जहाँ स्थित है लोंगवा गाँव।

इस गाँव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ एक ऐसा घर है जिसके बीच से होकर भारत और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा गुजरती है। यानी एक ही घर का आधा हिस्सा भारत में है और आधा हिस्सा म्यांमार में। यह सुनने में जितना अजीब लगता है लेकिन यह उतना ही रोचक भी है। आइए विस्तार से जानते हैं इस गाँव और उसकी अनोखी विशेषताओं के बारे में।

लोंगवा गाँव कहाँ स्थित है?


लोंगवा गाँव (Longwa Village)नागालैंड(Nagaland) के मोन जिले में स्थित है जो राज्य के सबसे उत्तरी और उत्तर-पूर्वी हिस्से में है। यह मोन जिला वास्तव में नागालैंड का 'लास्ट फ्रंटियर' कहा जाता है क्योंकि यह क्षेत्र सीधे म्यांमार(Myanmar) की सीमा से जुड़ा हुआ है। लोंगवा गाँव भारत-म्यांमार की सीमा पर बसा हुआ है और खोन्‍याक जनजाति के लोग यहाँ रहते हैं, जो नागालैंड की प्रमुख और प्राचीन जनजातियों में से एक हैं।

लोंगवा गाँव मोन शहर से लगभग 40 - 42 किलोमीटर दूर है और यहाँ के लोग दोनों देशों की दोहरी नागरिकता रखते हैं। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति और सीमावर्ती आसपास के वातावरण के कारण मोन जिला संवेदनशील माना जाता है।

सीमा के बीच बसा हुआ अनोखा घर


लोंगवा गाँव में मुखिया जिन्हें अंग (Angh) कहा जाता है का घर सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण है और इस घर के बीच से भारत और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा गुजरती है। घर का एक हिस्सा भारत में है और दूसरा म्यांमार में। इस घर का किचन म्यांमार में है तो घर के अन्य हिस्से भारत में स्थित है। इस वजह से कहा जाता है कि अंग मुखिया सुबह भारत में नाश्ता करते हैं और शाम को म्यांमार में भोजन। यह अनोखी स्थिति इस घर और पूरे गाँव को पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बनाती है। यह अनोखा घर गांव के मुखिया और कोन्याक जनजाति के राजा का है । बताया जाता है की इस राजा की 60 रानिया थी । साथ ही लोंगवा गाँव के लोगों के पास दोनों देशों की नागरिकता है और वे बिना पासपोर्ट या वीजा के दोनों देशों में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं। इसके अलावा गांव के लोगों के पास भारत तथा म्यांमार दोनों देशो की नागरिकता होने के कारण वे दोनों देशों में मतदान भी कर सकते है।

गाँव की आत्मा खोन्‍याक जनजाति


लोंगवा गाँव में रहने वाली खोन्‍याक जनजाति अपने इतिहास और परंपराओं के लिए जानी जाती है। प्राचीन समय में खोन्‍याक योद्धाओं को 'हेडहंटर' कहा जाता था क्योंकि वे युद्ध में दुश्मनों का सिर काटकर लाते थे। यह सिर वीरता और विजय का प्रतीक माना जाता था। हालांकि यह प्रथा अब समाप्त हो चुकी है लेकिन उनकी सांस्कृतिक विरासत में पारंपरिक पहनावा, टैटू और त्योहार आज भी जीवित हैं, जो उनकी पहचान को बनाए रखते हैं।

इसके अलावा टैटू उनके इतिहास, कुल और सामाजिक स्थान को दर्शाते हैं और यह परंपरा हेडहंटिंग से जुड़ी हुई थी। कोन्याक जनजाति नागालैंड की सबसे बड़ी नागा जनजातियों में से एक है जो मुख्यतः मोन जिले में रहती है।

गाँव का जीवन और परंपराएँ


लोंगवा गाँव में लोग अभी भी पारंपरिक जनजातीय जीवनशैली को बनाए हुए हैं। वे जंगल से मिलने वाली बाँस और लकड़ी से बने घरों में रहते हैं। पुरुष पारंपरिक पोशाक पहनते हैं जिसमें पंख और हड्डियों से बने आभूषण शामिल होते हैं। और महिलाएं रंग-बिरंगे धागों और मनकों से सजी पोशाक पहनती हैं। त्योहारों के समय पूरा गाँव उत्सव में डूब जाता है जिनमें सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध है अप्रैल में मनाया जाने वाला आओलांग महोत्सव, जो नए वर्ष की शुरुआत और अच्छी फसल की कामना के लिए आयोजित किया जाता है। इस त्योहार में पारंपरिक नृत्य, गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जो गाँव की जीवंत सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।

पर्यटकों के लिए आकर्षण

लोंगवा गाँव अपनी अनोखी भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। यहाँ के पर्यटक अंग के घर को देख सकते हैं जहां घर के बीच से भारत-म्यांमार सीमा गुजरती है । और एक ही समय में दोनों देशों में खड़े होने का अनुभव कर सकते हैं।

इसके अलावा कोंयाक जनजाति के पारंपरिक नृत्य, गीत, आभूषण और टैटू पर्यटकों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हैं। गाँव प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है जिसमें हरे-भरे जंगल और दूर म्यांमार की पहाड़ियाँ भी साफ दिखाई देती हैं। इसके साथ ही यहाँ के हेडहंटिंग की पुरानी परंपराओं के बारे में जानकारी लेना और जनजातीय संग्रहालय देखना भी बड़े आकर्षण हैं। ये सभी कारण लोंगवा गाँव को एक अद्वितीय पर्यटन स्थल बनाते हैं।

सीमावर्ती समस्याएँ

लोंगवा गाँव अपनी खास पहचान और संस्कृति के लिए तो जाना जाता है लेकिन सीमा पर स्थित होने की वजह से यहाँ कई चुनौतियाँ भी हैं। भारत और म्यांमार की नीतियों में फर्क होने के कारण प्रशासनिक दिक्कतें सामने आती हैं, खासकर तब से जब मुक्त आवागमन की व्यवस्था खत्म कर दी गई है और सीमा पर बाड़ लगाई जा रही है। इससे गाँव के लोगों की आवाजाही और रोज़मर्रा की गतिविधियों पर असर पड़ा है। शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ सीमित हैं स्कूल तो हैं लेकिन उनमें पर्याप्त संसाधन और सुविधाएँ नहीं हैं। रोजगार के अवसर कम होने के कारण गाँव के कई युवा बेहतर जीवन की तलाश में शहरों का रुख कर रहे हैं। इसके अलावा, कभी-कभी सीमा पार से अवैध गतिविधियाँ भी होती रहती हैं, जिससे सुरक्षा बलों को हमेशा सतर्क रहना पड़ता है। इस तरह लोंगवा गाँव जितना अपनी अनोखी पहचान के लिए मशहूर है, उतना ही यहाँ की सीमांत स्थिति से जुड़ी परेशानियाँ भी वास्तविक हैं।

लोंगवा गाँव कैसे पहुँचे?


हवाई मार्ग - लोंगवा गाँव का सबसे नज़दीकी प्रमुख हवाई अड्डा असम का डिब्रूगढ़ है जो लगभग 150-170 किलोमीटर दूर है। डिब्रूगढ़ से सड़क मार्ग से नागालैंड के मोन जिले के मुख्य शहर मोन तक जाना होता है, और वहां से स्थानीय टैक्सी या जीप से लोंगवा पहुँचा जा सकता है। दूसरा विकल्प असम का जोरहाट हवाई अड्डा है, लेकिन यह दूरी में थोड़ा ज्यादा है।

रेल मार्ग - सबसे पास का बड़ा रेलवे स्टेशन असम का सिवसागर (Sibsagar) या डिब्रूगढ़ रेलवे स्टेशन है। वहां से बस या टैक्सी लेकर मोन जिले तक पहुँचना संभव है।

सड़क मार्ग - नागालैंड का मोन जिला असम के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। मोन जिला मुख्यालय से लोंगवा गाँव लगभग 42 किलोमीटर दूर है। सड़कें ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ी हैं जिसकारण यात्रा चुनौतीपूर्ण लेकिन खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से भरी होती है। मोन से स्थानीय टैक्सी या जीप लेकर आसानी से लोंगवा पहुँचा जा सकता है।

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