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Madhya Pradesh Tigers History: भारत का टाइगर स्टेट और उसका गौरवपूर्ण इतिहास

Madhya Pradesh Tigers History: मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है आइये इसका इतिहास क्या है और बाघों की संख्या से जुड़े आँकड़े क्या कहते हैं?

Akshita Pidiha
Published on: 29 Jun 2025 3:58 PM IST
Madhya Pradesh Tigers State History
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Madhya Pradesh Tigers State History

India's Tiger State and Its Glorious History: मध्य प्रदेश, जिसे भारत का हृदय कहा जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहर और समृद्ध वन्यजीव संपदा के लिए जाना जाता है। इस राज्य को भारत का टाइगर स्टेट कहा जाता है, क्योंकि यहाँ बाघों की सबसे बड़ी आबादी पाई जाती है। यह खिताब मध्य प्रदेश को अपने घने जंगलों, टाइगर रिजर्व्स और संरक्षण के प्रति समर्पण के कारण मिला है। लेकिन यह दर्जा कैसे मिला, इसका इतिहास क्या है और बाघों की संख्या से जुड़े आँकड़े क्या कहते हैं? आइए, इस विषय को विस्तार से समझें और मध्य प्रदेश के टाइगर स्टेट बनने की कहानी को रोचक ढंग से जानें।

मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट बनने का इतिहास

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा पहली बार 2008 में मिला, जब राष्ट्रीय बाघ गणना में यहाँ सबसे अधिक बाघ पाए गए। उस समय राज्य में बाघों की संख्या लगभग 300 थी। इसके बाद 2018 और 2022 की बाघ गणना में भी मध्य प्रदेश ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी। 2022 की बाघ गणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं, जो भारत के कुल बाघों का लगभग 26 प्रतिशत है। यह आँकड़ा मध्य प्रदेश को देश का अग्रणी टाइगर स्टेट बनाता है।


इस उपलब्धि का श्रेय मध्य प्रदेश के घने जंगलों, प्रभावी संरक्षण नीतियों और स्थानीय समुदायों के सहयोग को जाता है। 1970 के दशक में जब भारत में बाघों की संख्या तेजी से घट रही थी, तब प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई। मध्य प्रदेश के कान्हा और बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान इस परियोजना के पहले चरण में शामिल थे। इन रिजर्व्स ने बाघों की आबादी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2008 से पहले यह खिताब कर्नाटक के पास था, लेकिन मध्य प्रदेश ने अपनी संरक्षण रणनीतियों के दम पर इसे हासिल किया। 2014 में मध्य प्रदेश ने यह दर्जा खो दिया था, जब कर्नाटक में बाघों की संख्या 406 हो गई, जबकि मध्य प्रदेश में 308 बाघ थे। लेकिन 2018 में मध्य प्रदेश ने 526 बाघों के साथ फिर से यह खिताब अपने नाम किया। 2022 में 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश ने अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया।

मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या

2022 की अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार, भारत में कुल 3,167 बाघ हैं, जिनमें से 785 मध्य प्रदेश में हैं। यह संख्या मध्य प्रदेश को न केवल भारत का, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा टाइगर स्टेट बनाती है, क्योंकि भारत में विश्व के 75 प्रतिशत बाघ पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश के बाद कर्नाटक (524 बाघ) और उत्तराखंड (442 बाघ) का स्थान आता है।


मध्य प्रदेश के प्रमुख टाइगर रिजर्व्स में बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और रातापानी शामिल हैं। हाल ही में माधव नेशनल पार्क और रातापानी अभयारण्य को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला है, जिससे राज्य में टाइगर रिजर्व्स की संख्या 9 हो गई है। इन रिजर्व्स में बाघों की संख्या निम्नलिखित है:

  • बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: लगभग 150 बाघ। यहाँ की बाघिन सिता और उसका शावक बमेरा देश भर में प्रसिद्ध हैं।
  • कान्हा टाइगर रिजर्व: करीब 100 बाघ। यहाँ की घास की घाटियाँ और बांस के जंगल बाघों के लिए आदर्श हैं।
  • पेंच टाइगर रिजर्व: लगभग 60 बाघ। यहाँ की बाघिन कॉलर वाली मशहूर है, जिसने 29 शावकों को जन्म दिया।
  • पन्ना टाइगर रिजर्व: करीब 70 बाघ। यहाँ 2009 में बाघों की संख्या शून्य हो गई थी, लेकिन संरक्षण प्रयासों से यहाँ फिर से बाघों की आबादी बढ़ी।
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व: लगभग 50 बाघ। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य बाघों के लिए अनुकूल है।
  • इन रिजर्व्स के अलावा, मध्य प्रदेश के अन्य वन क्षेत्रों में भी बाघ पाए जाते हैं, जो इसकी जैव-विविधता को और समृद्ध करते हैं।

टाइगर स्टेट बनने के कारण

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के कई कारण हैं:

घने जंगल और अनुकूल पर्यावरण: मध्य प्रदेश में विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियाँ, घने जंगल और नदियाँ बाघों के लिए आदर्श निवास स्थान प्रदान करती हैं। सागौन, बाँस और सल के जंगल बाघों के शिकार जैसे हिरण, सांभर और चीतल की बहुतायत सुनिश्चित करते हैं।

प्रोजेक्ट टाइगर: 1973 में शुरू हुए प्रोजेक्ट टाइगर ने मध्य प्रदेश को बाघ संरक्षण का केंद्र बनाया। कान्हा और बांधवगढ़ इस परियोजना के पहले रिजर्व्स थे। इन रिजर्व्स में सख्त निगरानी और अवैध शिकार पर रोक ने बाघों की संख्या बढ़ाने में मदद की।

स्थानीय समुदाय का सहयोग: मध्य प्रदेश सरकार ने स्थानीय समुदायों को संरक्षण में शामिल किया। वनवासी समुदायों को रोजगार और लाभ देकर उन्हें बाघ संरक्षण का हिस्सा बनाया गया। यह सहयोग बाघों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण रहा।

सख्त कानून और निगरानी: मध्य प्रदेश में अवैध शिकार और वन्यजीव तस्करी पर सख्त कार्रवाई की जाती है। ड्रोन, कैमरा ट्रैप और वन रक्षकों की तैनाती ने बाघों की सुरक्षा को मजबूत किया है।

पुनर्वास और प्रजनन: पन्ना टाइगर रिजर्व इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। 2009 में यहाँ बाघों की संख्या शून्य हो गई थी, लेकिन अन्य रिजर्व्स से बाघों को लाकर और प्रजनन कार्यक्रमों के जरिए यहाँ अब 70 से अधिक बाघ हैं।

बाघों के संरक्षण में चुनौतियाँ


हालाँकि मध्य प्रदेश ने बाघ संरक्षण में बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। 2020-2022 के बीच मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व्स में 72 बाघों और 43 तेंदुओं की मौत हुई। इनमें से 10 बाघों का शिकार हुआ, जबकि अन्य प्राकृतिक कारणों या क्षेत्रीय संघर्ष के कारण मरे। इसके अलावा, मानव-वन्यजीव संघर्ष, अवैध शिकार और जंगल कटाई जैसी समस्याएँ बाघों के लिए खतरा बनी हुई हैं।

कई बार गाँवों के पास बाघों का आना स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन जाता है। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मुआवजा योजनाएँ शुरू की हैं, ताकि पशुधन नुकसान की भरपाई हो सके। साथ ही, जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को बाघों के महत्व के बारे में बताया जा रहा है।

पर्यटन और आर्थिक महत्व

मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व्स न केवल बाघ संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटन के लिए भी बड़े केंद्र हैं। हर साल लाखों पर्यटक बांधवगढ़, कान्हा और पेंच जैसे रिजर्व्स में जंगल सफारी के लिए आते हैं। यह पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है। गाइड, ड्राइवर, होटल और रेस्तराँ के जरिए हजारों लोगों को रोजगार मिलता है।

जंगल सफारी के दौरान पर्यटक बाघों के साथ-साथ तेंदुआ, भालू, बारहसिंगा और विभिन्न पक्षियों को भी देख सकते हैं। कान्हा का बारहसिंगा और पेंच की कॉलर वाली बाघिन पर्यटकों के बीच खास आकर्षण हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन बुकिंग और आधुनिक सुविधाएँ भी शुरू की हैं।

सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व

बाघ को भारत का राष्ट्रीय पशु माना जाता है, जो शक्ति, साहस और लावण्य का प्रतीक है। मध्य प्रदेश में बाघों की बड़ी आबादी इस राज्य को सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक रूप से भी महत्वपूर्ण बनाती है। वन्यजीव संरक्षण के प्रति मध्य प्रदेश की प्रतिबद्धता देश के लिए एक मिसाल है।

स्थानीय लोककथाओं और कहानियों में भी बाघ का विशेष स्थान है। आदिवासी समुदाय बाघ को प्रकृति का रक्षक मानते हैं। कई गाँवों में बाघों से जुड़े उत्सव और पूजा की परंपराएँ भी हैं। यह सांस्कृतिक जुड़ाव बाघ संरक्षण को और मजबूत करता है।

हाल की प्रगति


हाल ही में मध्य प्रदेश ने दो नए टाइगर रिजर्व्स - माधव और रातापानी - को शामिल किया है। यह कदम बाघों की बढ़ती आबादी को संरक्षित करने और उनके लिए नए निवास स्थान प्रदान करने के लिए उठाया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसे राज्य के लिए गर्व का विषय बताया है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश अब चीता संरक्षण में भी अग्रणी है, क्योंकि कूनो नेशनल पार्क में चीतों का पुनर्वास किया गया है।

भविष्य की योजनाएँ

मध्य प्रदेश सरकार और वन विभाग बाघ संरक्षण को और मजबूत करने के लिए कई योजनाएँ बना रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

नए रिजर्व्स का विस्तार: और अधिक वन क्षेत्रों को टाइगर रिजर्व्स में शामिल करना।

जागरूकता अभियान: स्थानीय लोगों को बाघों के महत्व और उनके संरक्षण के बारे में जागरूक करना।

आधुनिक तकनीक: ड्रोन और सैटेलाइट निगरानी के जरिए अवैध शिकार को रोकना।

पर्यावरण संतुलन: जंगल कटाई को रोककर और पुनरोपण के जरिए बाघों के निवास स्थान को बढ़ाना।

यात्रा के लिए सुझाव


सर्वश्रेष्ठ समय: टाइगर रिजर्व्स घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है, जब मौसम सुहावना होता है।

जंगल सफारी: बांधवगढ़ और कान्हा में सुबह की सफारी बाघ देखने के लिए सबसे अच्छी होती है।

स्थानीय गाइड: अनुभवी गाइड की मदद लें, जो आपको बाघों और जंगल के बारे में रोचक जानकारी दे सकते हैं।

नियमों का पालन: रिजर्व्स में प्लास्टिक का उपयोग न करें और जंगल की शांति भंग न करें।

स्थानीय व्यंजन: मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थानीय भोजन जैसे भोपाली गोश्त और बिरयानी का स्वाद लें।

मध्य प्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा केवल बाघों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राज्य के संरक्षण प्रयासों, प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है। बांधवगढ़ की बाघिन सिता से लेकर पेंच की कॉलर वाली तक, मध्य प्रदेश के बाघ देश की शान हैं। यह राज्य न केवल बाघों का घर है, बल्कि पर्यटकों, प्रकृति प्रेमियों और संरक्षणवादियों के लिए भी एक अनमोल खजाना है। यदि आप प्रकृति और वन्यजीवों के शौकीन हैं, तो मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व्स की सैर आपके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी। यहाँ की हर झाड़ी, हर पेड़ और हर बाघ की दहाड़ आपको प्रकृति के करीब ले जाएगी।

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