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Komark Sun Temple: कोणार्क के सूर्य मंदिर का भूल-भूलैया राज़

Komark Sun Temple: सूर्य मंदिर ऐसा ही एक जगह है, जहां की हर दीवार, हर नक्काशी और हर गलियारा कोई न कोई कहानी सुनाता, आइये ऐसी ही अनसुनी कहानी जानते हैं।

Akshita Pidiha
Published on: 26 Jun 2025 8:34 PM IST
Komark Sun Temple
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Komark Sun Temple (Image Credit-Social Media)

Komark Sun Temple: क्या आपने कभी सुना है किसी मंदिर के बारे में जो दिन में तो दुनिया का अजूबा है, लेकिन रात के अंधेरे में अपने साथ अनगिनत रहस्य लिए चुपके से जाग उठता है? ओडिशा के कोणार्क में बसा सूर्य मंदिर ऐसा ही एक जगह है, जहां की हर दीवार, हर नक्काशी और हर गलियारा कोई न कोई कहानी सुनाता. मगर इन सबके बीच एक राज़ ऐसा है, जो आज भी लोगों के दिल में खौफ और कौतूहल पैदा करता है - मंदिर के नीचे छिपी भूल-भूलैया की गहराई. ये गलियारे कब बने, क्यों बने, और रात को इनमें क्या होता है, ये सवाल न सिर्फ गाँववालों को, बल्कि इतिहासकारों और सैलानियों को भी हैरान करते हैं. तो चलिए, इस रहस्यमयी दुनिया में एक सफर पर, जहां इतिहास और लोक कथाएँ एक साथ साँस लेते हैं.

सूर्य मंदिर का इतिहास


कोणार्क का सूर्य मंदिर 13वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था. ये मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसका डिज़ाइन एक विशाल रथ की तरह है, जिसके 12 पहिए और सात घोड़े हैं. ये पहिए समय के प्रतीक माने जाते हैं, जो सूर्य की यात्रा को दर्शाते. मंदिर की नक्काशी इतनी बारीक है कि हर पत्थर पर नाचते हुए अप्सराएँ, युद्ध के दृश्य और रोज़मर्रा की ज़िंदगी की झलकियाँ उकेरी गई हैं. यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया है, और इसे देखने हर साल लाखों लोग आते हैं. मंदिर का निर्माण 1238 से 1250 ईस्वी के बीच हुआ, जिसमें हजारों कारीगरों ने दिन-रात मेहनत की. इसका रथ डिज़ाइन इतना अनोखा है कि पहिए असल में सूर्य घड़ी का काम करते हैं, जो समय बताते. मंदिर का मुख्य गर्भगृह आज खंडहर है, मगर पहले इसमें सूर्य की मूर्ति थी, जो सोने और रत्नों से सजी थी.

कहा जाता है कि मंदिर के नीचे कई गुप्त गलियारे और कमरे हैं, जो भूल-भूलैया की तरह फैले हुए. ये गलियारे सिर्फ मंदिर की रक्षा के लिए नहीं बने, बल्कि इनमें कुछ ऐसा छिपा है, जो आज तक सामने नहीं आया. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि ये रास्ते खज़ाने या गुप्त पूजा के लिए बनाए गए, तो कुछ का कहना है कि ये पुजारियों को हमलावरों से बचाने के लिए थे.

भूल-भूलैया का रहस्य

कोणार्क के भूल-भूलैया गलियारों का ज़िक्र सबसे पहले तब हुआ, जब 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश पुरातत्वविदों ने मंदिर की खुदाई शुरू की. उन्होंने पाया कि मंदिर के नीचे कई बंद रास्ते और कमरे हैं, जो पत्थरों से ढके. मगर जैसे ही खुदाई गहरी हुई, अजीब घटनाएँ होने लगीं. मजदूरों ने रात को गलियारों में कदमों की आहट सुनी, और कुछ ने तो दीवारों पर हिलती परछाइयाँ देखीं. खुदाई जल्दी ही रोक दी गई, और तब से इन गलियारों को खोलने की हिम्मत कोई नहीं कर पाया. स्थानीय लोग मानते हैं कि भूल-भूलैया में एक शापित खज़ाना छिपा है, जिसकी रक्षा कोई अलौकिक शक्ति करती. कुछ का कहना है कि ये गलियारे मंदिर के पुजारियों के लिए गुप्त रास्ते थे, जो युद्ध के समय भागने के काम आते. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने कुछ हिस्सों की जाँच की, मगर गलियारों की पूरी गहराई आज भी अछूती.

गाँववालों की कहानियाँ


कोणार्क के आसपास के गाँवों में भूल-भूलैया की कहानियाँ हर घर में सुनाई देती. एक बूढ़े चायवाले रामू काका बताते हैं कि उनके दादाजी ने एक बार रात को मंदिर के पास अजीब सी रोशनी देखी थी, जैसे कोई दीया गलियारों में जल रहा हो. जब वो पास गए, तो उन्हें लगा कि कोई फुसफुसा रहा है. डर के मारे वो भाग खड़े हुए. ऐसी ही एक और कहानी है एक सैलानी की, जो 1990 के दशक में मंदिर में रात को रुक गया था. उसने बताया कि उसे लगा कि कोई उसे गलियारों की तरफ खींच रहा है, और उसकी जेब में रखा सिक्का गायब हो गया. गाँववाले मानते हैं कि भूल-भूलैया में सूर्य मंदिर के आखिरी पुजारी का भूत भटकता है, जो खज़ाने की रक्षा करता. कुछ कहानियों में ज़िक्र है कि गलियारों में सूर्य देव की गुप्त मूर्ति छिपी है, जो रात को चमकती. रात को मंदिर के आसपास जाने से लोग डरते हैं, क्योंकि वहाँ अक्सर बिना हवा के पेड़ हिलते देखे गए.

क्या है सच?

इतिहासकारों और वैज्ञानिकों का मानना है कि भूल-भूलैया का रहस्य शायद मंदिर के निर्माण से जुड़ा. कुछ का कहना है कि ये गलियारे मंदिर की नींव को मज़बूत करने के लिए बनाए गए, ताकि समुद्र के किनारे बना मंदिर टिका रहे. मगर फिर सवाल उठता है कि इन्हें इतना गुप्त क्यों रखा गया? और वो अजीब घटनाएँ, जो खुदाई के दौरान हुईं, उनका क्या? ASI के एक पुराने रिकॉर्ड में ज़िक्र है कि गलियारों में कुछ प्राचीन शिलालेख मिले, मगर वो टूटे हुए थे. कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि गलियारों में हवा के दबाव की वजह से अजीब आवाज़ें आती, जो लोगों को भूतिया लगती. मगर गाँववालों का कहना है कि वैज्ञानिक सिर्फ़ बहाने बनाते हैं, क्योंकि वो अलौकिक शक्ति को नहीं मानते.


आज भी कोणार्क का सूर्य मंदिर अपने रहस्यों से भरा. दिन में ये एक खूबसूरत खंडहर है, जहां सैलानी फोटो खींचते हैं और गाइड से इतिहास सुनते. मगर रात होते ही मंदिर का माहौल बदल जाता. गलियारों की सैर करने की हिम्मत कोई नहीं करता, और जो करते हैं, वो अक्सर ऐसी कहानियाँ लेकर लौटते हैं, जो सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर दे.

कुछ अनसुलझे सवाल

कोणार्क के भूल-भूलैया का राज़ आज भी अनसुलझा. क्या सच में वहाँ कोई शापित खज़ाना है? या फिर ये गलियारे सिर्फ़ मंदिर की नींव का हिस्सा? और वो अजीब आवाज़ें, परछाइयाँ, और रोशनी - क्या ये सिर्फ़ दिमाग का वहम, या कुछ ऐसा जो हमारी समझ से परे? क्यों ASI ने गलियारों की पूरी जाँच नहीं की? क्या उन्हें कुछ ऐसा मिला, जिसे उन्होंने छिपाया? क्या भूल-भूलैया का राज़ मंदिर के खंडहर होने से जुड़ा, जैसे कि मंदिर को जानबूझकर तोड़ा गया और सबसे बड़ा सवाल - क्या रात को सूर्य मंदिर सच में ज़िंदा हो उठता है?

कोणार्क का सूर्य मंदिर सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि एक ज़िंदा इतिहास. इसकी दीवारें, नक्काशियाँ और गलियारे न जाने कितनी कहानियाँ छिपाए बैठे. भूल-भूलैया का रहस्य शायद कभी सुलझे, शायद न सुलझे, मगर यही तो इसकी खूबी. ये आपको सोचने पर मजबूर करता, कि कहीं सच में कोई ऐसी दुनिया है, जो हमारी आँखों से छिपी. अगली बार जब आप कोणार्क जाएँ, तो मंदिर की खूबसूरती तो देखिए, मगर ज़रा गलियारों की तरफ भी कान लगाइए. कौन जानता है, शायद आपको भी कोई फुसफुसाहट सुनाई दे, या कोई परछाईं दिख जाए.

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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