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Shubhanshu Shukla new message: अंतरिक्ष से नमस्कार: शुभांशु शुक्ला बने भारत के 'स्टार', 41 साल बाद फिर गूंजा हिंदुस्तानी नाम
Shubhanshu Shukla new message: शुभांशु जब स्पेसक्राफ्ट 'ड्रैगन' से पहली बार अंतरिक्ष से बोले — "नमस्कार फ्रॉम स्पेस", तो जैसे पूरे देश की धड़कन एक पल को थम गई। उनके शब्दों में गर्व था, थ्रिल था और एक बच्चा-सा उत्साह था, जिसने लाखों दिलों को छू लिया।
Shubhanshu Shukla new message: एक भारतीय युवक, आंखों में चमक, सीने में जज़्बा और दिल में देश का नाम लिए, पृथ्वी से सीधा अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरता है। वह न कोई फिल्मी सीन था, न कोई साइंस फिक्शन। वह हकीकत थी, जिसे पूरी दुनिया ने देखा — और जिसने इतिहास रच दिया! शुभांशु शुक्ला — एक नाम, जो अब भारत के अंतरिक्षीय गौरव का दूसरा अध्याय बन गया है। 1984 में राकेश शर्मा ने जो शुरुआत की थी, 41 साल बाद उसे एक युवा भारतीय ने फिर से जी लिया... और वह भी एक बेहद भावुक ‘नमस्कार’ के साथ!
'नमस्कार फ्रॉम स्पेस' – जब पूरा भारत थम गया...
शुभांशु जब स्पेसक्राफ्ट 'ड्रैगन' से पहली बार अंतरिक्ष से बोले — "नमस्कार फ्रॉम स्पेस", तो जैसे पूरे देश की धड़कन एक पल को थम गई। उनके शब्दों में गर्व था, थ्रिल था और एक बच्चा-सा उत्साह था, जिसने लाखों दिलों को छू लिया। उन्होंने बताया, “कैप्सूल में बैठा था तो बस एक ही ख्याल था — चलो निकलते हैं! और फिर... अचानक शून्यता। चारों ओर सन्नाटा। मैं अंतरिक्ष में तैर रहा था।”
‘ये मेरी नहीं, हमारी जीत है’ – वो आवाज जो सिर्फ अंतरिक्ष नहीं, दिलों तक पहुंची
शुक्ला ने इस मिशन को सिर्फ अपनी उपलब्धि नहीं बताया, बल्कि इसे ‘कलेक्टिव अचीवमेंट’ कहकर पूरे भारत को शुक्रिया कहा। उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस सफर को संभव बनाया। अपनी मुस्कान में उन्होंने जोड़ा, “थोड़ी शुरुआत में तकलीफ थी, लेकिन अब मजा आ रहा है। आराम भी मिल रहा है, और नजारे तो क्या कहने! एक बच्चे की तरह सब सीख रहा हूं।”
तीन देशों के साथ भारत, लेकिन सबकी नजरें सिर्फ एक पर — शुभांशु!
Axion-4 मिशन में अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के एस्ट्रोनॉट्स के साथ भारत के शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं। इस चार सदस्यीय दल में शुभांशु को पायलट की जिम्मेदारी दी गई है — जो बताता है कि भारत सिर्फ गेस्ट नहीं, गेमचेंजर है। नासा ने बताया कि यह क्रू 'हार्मनी मॉड्यूल' के स्पेस-फेसिंग पोर्ट पर डॉक करेगा, जो इस ऐतिहासिक मिशन की अगली बड़ी उपलब्धि होगी।
41 साल बाद अंतरिक्ष में ‘भारत’ का परचम
1984 में जब राकेश शर्मा ने "सारे जहाँ से अच्छा" गाकर पूरे देश को रुलाया था, तब से हर भारतीय की आंखों में एक सपना पल रहा था — फिर कोई हमारा अंतरिक्ष में जाए। चार दशक बीत गए, लेकिन उम्मीदें मरी नहीं। और आज, जब शुभांशु ने अंतरिक्ष से आवाज दी, तो वह केवल एक 'एस्ट्रोनॉट' की नहीं, करोड़ों भारतीयों की भावनाओं की आवाज थी।
‘स्टार’ नहीं, अब ‘एस्ट्रोनॉट’ है इंडिया का नया हीरो!
शुभांशु शुक्ला अब सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन चुके हैं — उन लाखों युवाओं के लिए जो आकाश नहीं, ब्रह्मांड को छूने का सपना देखते हैं। वह साबित कर चुके हैं कि भारत अब सिर्फ टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता नहीं, निर्माता है — और अंतरिक्ष अब हमारी सीमा नहीं, हमारा अगला पड़ाव है। जब अंतरिक्ष से ‘जय हिंद’ की गूंज आए... तो समझिए, भारत सिर्फ देख नहीं रहा — भारत उड़ान भर रहा है!
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