UP News: लखनऊ और कानपुर में 2030 तक बनेगी एआई सिटी, 20 यूनिकॉर्न स्टार्टअप भी होंगे तैयार

यूपी बीते साढ़े आठ वर्षों में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए क्षेत्रों में लगातार

Virat Sharma
Published on: 7 Sept 2025 6:21 PM IST
Lucknow News
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Lucknow News: CM, Yogi Aditya Nath 

Uttar Pradesh News: यूपी बीते साढ़े आठ वर्षों में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए क्षेत्रों में लगातार प्रगति दर्ज कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश ने 2017 से पहले की चुनौतियों को पीछे छोड़ते हुए एक नया टेक्नोलॉजी हब बनने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाए हैं। सीएम योगी का विजन है कि 2047 तक यूपी में 10 अरब यूएस डॉलर मूल्यांकन वाली 15-20 डेकाकॉर्न कंपनियां स्थापित हो सकें। इसके लिए एक तरफ आईटी, एआई, डीपटेक जैसे भविष्योन्मुखी तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही 4 करोड़ से अधिक युवाओं को ग्लोबल स्किल्ड वर्कफोर्स के रूप में तैयार किया जाएगा।

बीते साढ़े आठ साल में हुए अहम बदलाव

2017 से पहले प्रदेश में आईटी और डिजिटल क्षेत्र को लेकर न तो कोई ठोस नीतिगत प्रयास हुए थे और न ही कोई बड़ा विजन था। सॉफ्टवेयर निर्यात और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहद सीमित थे। डाटा सेंटर जैसी अवधारणाएं केवल कागजों में थीं और प्रदेश तकनीकी दौड़ में पीछे छूट रहा था। वहीं 2017 के बाद योगी सरकार के प्रयासों से आज उत्तर भारत का पहला डाटा सेंटर गौतमबुद्ध नगर में स्थापित हो चुका है। कई और डाटा सेंटरों की स्थापना पर काम चल रहा है। सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट में भी प्रदेश ने रिकॉर्ड कायम किए हैं। इससे यूपी तेजी से राष्ट्रीय और वैश्विक आईटी मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है।

2030 तक का रोडमैप

लघु अवधि के लक्ष्यों के तहत 2030 तक लखनऊ और कानपुर में एआई सिटी विकसित होगी। एनसीआर, लखनऊ और नोएडा को ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) हब बनाया जाएगा। हर मंडल में इनक्यूबेटर स्थापित होंगे और नए यूनिकॉर्न स्टार्टअप (1 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य) को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार का लक्ष्य 2030 तक कम से कम 20 यूनिकॉर्न स्टार्टअप तैयार करने पर है। इसके साथ ही इसरो के सहयोग से सैटेलाइट लॉन्चिंग कर आपदा प्रबंधन और मौसम पूर्वानुमान में क्रांति लाने का प्रयास होगा। वहीं सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट को भी 5 गुना बढ़ाया जाएगा।

2047 तक का दीर्घकालिक विजन

मध्य और दीर्घ अवधि में 2047 तक उत्तर प्रदेश को एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्लॉकचेन का वैश्विक लीडर बनाने का लक्ष्य है। राज्य को एक विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी कॉरिडोर के रूप में स्थापित किया जाएगा। इस दौरान 15 से 20 डेकाकॉर्न (10 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य) स्टार्टअप तैयार होंगे और यूपी भारत के आईटी निर्यात में सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य बनेगा।

चार स्ट्रैटेजिक स्तंभ और फोकस एरिया

सरकार की रणनीति चार प्रमुख स्तंभों पर आधारित है, इसमें एआई सिटी, ग्रीन आईटी व सस्टेनेबल टेक, जीसीसी और स्पेस टेक्नोलॉजी शामिल है। इन मुख्य फोकस क्षेत्रों में एआई और डीप-टेक इनोवेशन, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार टियर- 2 और 3 शहरों तक, सैटेलाइट इकोसिस्टम, ग्लोबल स्टार्टअप कनेक्ट, साइबर सिक्योरिटी और डाटा प्रोटेक्शन, यूनिवर्सिटी स्टार्टअप इनोवेशन फंड और रिसर्च हब शामिल हैं।

यूपी बनेगा स्किल कैपिटल

आईटी विजन को गति देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्किल डेवलपमेंट को केंद्र में रखा है। लक्ष्य है कि प्रदेश के शत प्रतिशत युवाओं को इंडस्ट्री-बेस्ड स्किल्स में प्रशिक्षित किया जाए और चार करोड़ से अधिक ग्लोबल स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार की जाए। प्रदेश के पांच शैक्षणिक संस्थानों को दुनिया के 200 सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में शामिल करने की भी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इंडस्ट्री 4.0 के अनुरूप युवाओं को तैयार किया जाएगा और विश्वस्तरीय यूनिवर्सिटीज एवं आरएंडडी सेंटर्स की स्थापना होगी।

6 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का है लक्ष्य

‘विकसित यूपी @2047’ का लक्ष्य है कि 2047 तक उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था 6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे, जो भारत की अनुमानित जीडीपी का 20% होगा। इसके लिए प्रदेश को वित्तीय वर्ष 2025 -26 से वित्तीय वर्ष 2047-48 तक 16 प्रतिशत का कम्पाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) बनाए रखना होगा। बता दें कि इस वित्तीय वर्ष में योगी सरकार 353 बिलियन डॉलर इकॉनमी का लक्ष्य रखा है, जिसे 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाना है। वहीं 2036 तक 2 ट्रिलियन डॉलर और 2047 तक 6 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने का बड़ा संकल्प मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया है। इस दौरान प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 26 लाख रुपये तक पहुंचाने का भी लक्ष्य है।

सीएम योगी आदित्यनाथ का विजन स्पष्ट है कि आईटी और स्किल डेवलपमेंट की ताकत से यूपी को न सिर्फ भारत का डिजिटल पावरहाउस, बल्कि वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी डेस्टिनेशन बनाया जा सकता है। यह प्रयास न केवल युवाओं को रोजगार देगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को विश्व मानचित्र पर नई पहचान भी दिलाएगा।

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