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Auraiya Yamuna Flood: यमुना उफनाई, बाढ़ प्रभावित गांवों के लिए पुनर्वास शिविर
Auraiya Yamuna Flood: यमुना नदी की बाढ़ से प्रभावित औरैया के 12 गांवों में शिविर लगा, ग्रामीणों ने पेयजल व आवारा पशु समस्या रखी, समाधान का आश्वासन मिला।
Relief Camp for Yamuna Flood Affected Villages in Auraiya (Image from Social Media)
Auraiya Yamuna Flood: यमुना नदी की बाढ़ से प्रभावित औरैया के गांवों में प्रशासन पुनर्वास प्रयासों में जुटा है। ग्रामीणों ने पेयजल और आवारा पशुओं के मुद्दों को उठाया, जिनका समाधान करने का आश्वासन मिला। यमुना नदी की बाढ़ से प्रभावित गांवों में पुनर्वास प्रयास, पेयजल व आवारा पशुओं की समस्या ग्रामीणों ने उठाई है।
औरैया के बीहड़ पट्टी के करीब 12 गांवों में प्रशासन पुनर्वास और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की कवायद में जुट गया है। जिसको लेकर शनिवार को जुहीखा गांव में एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों की समस्याएं सुनने और समाधान करने का प्रयास किया गया। बाढ़ से प्रभावित परिवारों को गांव में ही राहत और सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में यह शिविर अहम साबित हुआ।
शिविर में ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को बताया कि गांव में पानी की बड़ी समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्थापित टंकी में 600 फीट गहरा बोर किया गया है, जिससे खारा पानी निकल रहा है, जबकि गांव में 250 फीट की गहराई पर ही मीठा पानी उपलब्ध है। इस समस्या से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
शिविर में स्वास्थ्य विभाग, श्रम, सहकारिता, कृषि, समाज कल्याण और बाल विकास पुष्टाहार समेत विभिन्न विभागों के काउंटर लगाए गए। इन काउंटरों पर ग्रामीणों के आधार कार्ड, पेंशन और अन्य जरूरी दस्तावेज बनाए गए, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल सके।
जिलाधिकारी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी और सीडीओ संत कुमार ने शिविर का निरीक्षण किया। इस दौरान ग्रामीणों ने एक और समस्या रखी कि जालौन सीमा से लगे पुल के रास्ते आवारा पशु गांव में आकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पहले गांव में गौशाला संचालित थी, लेकिन अब वह बंद हो चुकी है।
जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि पेयजल समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा। साथ ही बंद पड़ी गौशाला को पुनः संचालित कर आवारा पशुओं को वहीं संरक्षित करने की योजना पर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों को उनके गांव में ही सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि उन्हें कहीं और भटकना न पड़े और उनकी दिक्कतें कम हों।
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