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Auraiya News: टीबी नियंत्रण को लेकर कोर समिति की पहली बैठक संपन्न, इलाज के नए विकल्पों पर चर्चा
Auraiya News: टीबी की पहचान को लेकर डॉ. सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि एक्स-रे में दिखाई देने वाला हर धब्बा टीबी नहीं होता। यह बीमारी आमतौर पर भीड़भाड़ वाले और सूरज की रोशनी से वंचित स्थानों में अधिक फैलती है।
टीबी नियंत्रण को लेकर कोर समिति की पहली बैठक संपन्न, इलाज के नए विकल्पों पर चर्चा (Photo- Social Media)
Auraiya News: औरेया के स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय में टीबी नियंत्रण को लेकर कोर समिति की पहली बैठक आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सूर्यकांत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
टीबी को लेकर डॉक्टर सूर्यकांत ने दी जानकारी
बैठक के दौरान डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि अब मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) के मरीजों का इलाज नई बीपाल एम तकनीक के माध्यम से सिर्फ छह महीने में संभव हो गया है, जबकि पहले इसमें दो साल का समय लगता था। उन्होंने चिंता जताते हुए बताया कि दुनिया के हर चौथे टीबी मरीज भारत में पाए जाते हैं और टीबी से होने वाली हर तीसरी मौत भी भारत में होती है।
टीबी की पहचान को लेकर डॉ. सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि एक्स-रे में दिखाई देने वाला हर धब्बा टीबी नहीं होता। यह बीमारी आमतौर पर भीड़भाड़ वाले और सूरज की रोशनी से वंचित स्थानों में अधिक फैलती है।
सरकार टीबी मरीजों को मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा दे रही है। इसके साथ ही प्रत्येक मरीज को हर महीने 1000 रुपये की पोषण सहायता भी दी जा रही है। ‘निक्षय मित्र’ योजना के तहत समाजसेवी और संस्थानों को मरीजों की सहायता के लिए जोड़ा जा रहा है।
बैठक में ये लोग रहे मौजूद
बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए तय किया गया कि मेडिकल कॉलेज एक गांव को गोद लेकर उसे टीबी मुक्त बनाएगा। इस निर्णय को कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मुकेश वीर सिंह और जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. संत कुमार के सहयोग से लागू किया जाएगा।
इस अवसर पर कॉलेज के उप-प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार मेघवानी, वरिष्ठ चिकित्सक एवं अन्य संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे। बैठक में टीबी नियंत्रण को लेकर जागरूकता, निदान और उपचार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की गई।
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