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Balrampur News: बिना सरकारी आदेश 82 बीघा फसल नष्ट, राजस्व व पुलिस विभाग पर सवाल
Balrampur News: खड़ी फसल को राजस्व और पुलिस विभाग की मौजूदगी में ट्रैक्टरों से नष्ट कर दिया गया।
बिना सरकारी आदेश 82 बीघा फसल नष्ट, राजस्व व पुलिस विभाग पर सवाल (Photo- Newstrack)
Balrampur News: बलरामपुर जनपद में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक भ्रष्टाचार और मनमानी की परतें खोलकर रख दी हैं। थाना हरैया क्षेत्र के ग्राम गौरा माफी में 82 बीघा जमीन पर लगी धान, अरहर और उड़द की खड़ी फसल को राजस्व और पुलिस विभाग की मौजूदगी में ट्रैक्टरों से नष्ट कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि इस कार्रवाई के लिए न तो कोई लिखित आदेश मौजूद था और न ही संबंधित अधिकारियों ने कोई दस्तावेज प्रस्तुत किया। मामला सामने आने के बाद अब राजस्व और पुलिस विभाग पर भ्रष्टाचार और साजिश के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
किसान की मेहनत पर चला ट्रैक्टर
पीड़ित किसान बृजेश सिंह ने बताया कि उनकी 82 बीघा जमीन पर महीनों की मेहनत और लाखों रुपये की लागत से धान, अरहर और उड़द की फसल तैयार थी। लेकिन रविवार को अचानक सात ट्रैक्टरों के साथ लेखपाल, कानूनगो और थाना हरैया पुलिस मौके पर पहुंचे और पूरी फसल नष्ट कर दी। जब किसान ने आपत्ति जताई तो पुलिसकर्मियों ने उसे धमकी दी और कहा कि यहां से चले जाओ, नहीं तो ठीक नहीं होगा।यह घटना केवल एक किसान की जमीन की बर्बादी नहीं है, बल्कि प्रशासनिक मिलीभगत और भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें दिखाती है।
आदेश का हवाला लेकिन आदेश गायब
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब स्थानीय लेखपाल और कानूनगो ने दावा किया कि उनके पास लिखित आदेश है। लेकिन आदेश पत्र मांगने पर वे चुप्पी साध गए। किसी भी अधिकारी ने दस्तावेज नहीं दिखाया। यह वही स्थिति है, जिसे ग्रामीण “भ्रष्टाचार का खेल” कह रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों ने किसी दबाव या स्वार्थवश फसल बर्बाद करवाई है।
मामले पर जब तहसील तुलसीपुर के एसडीएम राकेश कुमार जयंत से सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके स्तर से कोई आदेश जारी नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की कार्रवाई की गई है तो यह गंभीर मामला है। साथ ही उन्होंने लेखपाल और कानूनगो को निलंबित करने की घोषणा भी की। यह स्वीकारोक्ति साफ दर्शाती है कि फसल की बर्बादी मनमानी और भ्रष्टाचार का परिणाम है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना
कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए हैं कि खड़ी फसल को बिना सक्षम आदेश और प्रक्रिया के नष्ट नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके बलरामपुर में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया गया। यह न केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, बल्कि किसान अधिकारों का खुला हनन भी है। सवाल यह उठता है कि जब सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा सकती हैं, तो फिर आम किसान के साथ किस हद तक अन्याय हो सकता है।
भ्रष्टाचार और मिलीभगत की बू
ग्राम गौरा माफी के ग्रामीणों का आरोप है कि पूरी कार्रवाई एक सुनियोजित साजिश और भ्रष्टाचार का हिस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारियों ने जानबूझकर बिना आदेश के फसल बर्बाद की, ताकि कुछ लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके। ग्रामीण इस घटना को “पैसे और सत्ता के खेल” से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि यदि जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई तो किसान सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
पीड़ित किसान बृजेश सिंह ने जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा, “मेरी मेहनत को एक झटके में बर्बाद कर दिया गया। प्रशासन के लोग खुद कानून तोड़ रहे हैं। मुझे न्याय चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।”यह बयान प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर सीधे सवाल खड़ा करता है जब कानून की रखवाली करने वाले ही कानून तोड़ने लगें तो फिर आम जनता किस पर भरोसा करे?
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