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Lucknow News: हिमालयन सहकारी आवास समिति पर कसा शिकंजा, समिति भंग, अपर आवास आयुक्त ने लगाया 7 करोड़ का जुर्माना
Lucknow News: एक पर आखिरकार प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाया है। हिमालयन सहकारी आवास समिति से जुड़े करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में पहली बार आरोपी बाफिला गैंग के खिलाफ सीधी और लिखित कार्रवाई की गई है।
Lucknow land scam
Lucknow News: राजधानी लखनऊ के सबसे बड़े ज़मीन घोटालों में से एक पर आखिरकार प्रशासन ने निर्णायक कदम उठाया है। हिमालयन सहकारी आवास समिति से जुड़े करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में पहली बार आरोपी बाफिला गैंग के खिलाफ सीधी और लिखित कार्रवाई की गई है। प्रशासन ने समिति की संचालन समिति को भंग कर दिया है और 7.09 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही समिति पर सरकारी पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर दी गई है, ताकि आगे कोई गड़बड़ी न हो पाएं।
सहकारिता समायोजन घोटाला
इस मामले में समिति के संचालक समता सिंह बाफिला, प्रवीण सिंह बाफिला और वीरेन्द्र कुमार सिंह प्रमुख आरोपियों के रूप में सामने आए हैं। इन पर वर्षों से फर्जी सदस्य बनाकर और जाली दस्तावेजों के जरिए करोड़ों की जमीनें हड़पने के आरोप हैं। समिति का गठन कागजों पर किया गया और असली मकसद सरकारी जमीन पर कब्जा जमाकर मनचाहे लोगों में बांटना था। 2014 से 2022 के बीच लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) और सहकारिता विभाग के बीच समायोजन के नाम पर एक बड़ा फर्जीवाड़ा चला।
नकली सदस्यता प्रमाणपत्र
समायोजन का तात्पर्य यह था कि सहकारी समितियों और प्राधिकरण के बीच भूखंडों का लेन-देन पारदर्शी तरीके से हो जाएं, लेकिन व्यवस्था का दुरुपयोग करते हुए बाफिला गैंग ने कागजों में फर्जी सदस्य जोड़े, नकली सदस्यता प्रमाणपत्र बनाए व करोड़ों के भूखंड चहेतों को आवंटित कर दिए। इस दौरान न केवल सरकारी जमीन बंदरबांट हुई, बल्कि कई निर्दोष लोगों को भी झूठे कागजात में फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूली गई। पिछले कुछ वर्षों में लगातार शिकायतें सामने आती रहीं है। कुछ पीड़ितों ने दस्तावेजों के जरिए एलडीए और सहकारिता विभाग में पोल खोली।
प्रशासन ने सख्त कदम उठाए
उसकी जांच में पाया गया कि समिति के कई सदस्य ऐसे थे जो वास्तव में मौजूद ही नहीं थे या जिनकी सदस्यता अवैध रूप से बनाई गई थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। संचालन समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया और 7.09 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश पारित किया गया है। इसके साथ ही सरकारी पर्यवेक्षक को समिति की देखरेख में नियुक्त किया गया है, ताकि आगे की सभी गतिविधियां पारदर्शी रहें। यह मामला लखनऊ में जमीन से जुड़े माफियाओं और भ्रष्ट नेटवर्क की गहरी जड़ों को उजागर करता है।
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