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Barabanki News: यूपी की इकलौती छात्रा बाल वैज्ञानिक पूजा टोक्यो के विश्वविद्यालयों और विज्ञान प्रयोगशालाओं का करेंगी दौरा
Barabanki News: बाराबंकी में विकास खंड सिरौलीगौसपुर के यूपीएस अगेहरा की पूर्व छात्रा व बाल वैज्ञानिक पूजा भारत सरकार द्वारा सकूरा हाई स्कूल प्रोग्राम के अंतर्गत एक सप्ताह के विजिट पर जापान जा रही है।
Barabanki News (Social Media)
Barabanki News: बाराबंकी में विकास खंड सिरौलीगौसपुर के यूपीएस अगेहरा की पूर्व छात्रा व बाल वैज्ञानिक पूजा भारत सरकार द्वारा सकूरा हाई स्कूल प्रोग्राम के अंतर्गत एक सप्ताह के विजिट पर जापान जा रही है। कल दिल्ली से पूजा की जापान के लिये फ्लाइट है। वहां वह अन्य भारतीय छात्रों के साथ टोक्यो के विश्वविद्यालयों और विज्ञान प्रयोगशालाओं का दौरा करेंगी। इसी क्रम में आज दिल्ली जाने से पहले जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला पुस्ताकालाध्यक्ष पूनम सिंह व अन्य लोगों ने पूजा का सम्मान किया। कपड़े, खाने पीने का सामान समेत अन्य जरूरत की चीजों को पूजा को देकर सम्मान के साथ उसे दिल्ली के लिये भेजा गया और जापान के विजिट के लिये शुभकामनाएं दीं। इसके साथ ही गाइड टीचर राजीव श्रीवास्तव के नेतृत्व में बेसिक शिक्षा परिषद के तमाम शिक्षक फूल मालाओं से लादकर धूमधाम से बाराबंकी से लखनऊ तक लेकर गये। लखनऊ से दिल्ली तक पूजा जगदीशचंद्र फतेहराय इंटर कॉलेज के शिक्षक बृजेंद्र सरोज के साथ जाएगी।
आपको बता दें कि बाराबंकी में विकास खंड सिरौलीगौसपुर के छोटे से गाँव अगेहरा में, परिवार के साथ झोपड़ी में रहने वाली पूजा ने अपनी प्रतिभा से नई मिसाल कायम की है। कक्षा 8 में पढ़ते हुए उन्होंने गाइड टीचर राजीव श्रीवास्तव के गाइडेंस में धूल रहित थ्रेशर का मॉडल बनाया, जो ना केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि जापान तक में सराहा गया है। पूजा ने यह मॉडल स्कूल में एक समस्या को देखकर बनाया। स्कूल के पास थ्रेशर से गेहूं की मढ़ाई के दौरान उड़ने वाली धूल से बच्चों को परेशानी होती थी। वे दिन भर खाँसते थे। तो पूजा ने टिन और पंखे से एक ऐसा मॉडल बना डाला, जो धूल को बाहर उड़ने देने के बजाय एक थैले में जमा कर लेता है। इस मॉडल को बनाने में उन्होंने लगभग तीन हजार रुपए खर्च किए। उनके पास ना कोई लैब था, ना ज़्यादा रिसोर्स, लेकिन जज़्बा था कि कुछ तो करना है!
दिसंबर 2020 में पूजा का मॉडल जिला और मंडल स्तर पर चुना गया। फिर लखनऊ की राज्यस्तरीय प्रदर्शनी में इसे राष्ट्रीय स्तर के लिए चयनित किया गया। दिल्ली में आयोजित प्रदर्शनी में भी इस मॉडल को सराहना मिली। 2024 में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय विज्ञान मेले में भी इसका चयन हुआ; और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली। अब वह जगदीशचंद्र फतेहराय इंटर कॉलेज में कक्षा 12 में पढ़ रही हैं, और कल जापान जाने वाली हैं। पूजा के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। उनके पिता पुत्तीलाल मजदूरी करते हैं। माँ सुनीला उसी सरकारी स्कूल में रसोईया हैं, जहां पूजा पढ़ती थीं। पांच भाई-बहनों में पूजा दूसरे नंबर पर हैं। उनकी उपलब्धि पर आज केवल परिवार ही नहीं, पूरा गाँव गर्व कर रहा है!
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