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Bulandshahr News: पीएम मोदी से गरीब दलित की गुहार.. 17 करोड़ का इंजेक्शन लगवा दो सरकार
Bulandshahr News: ऑस्टेओगेनेसीसी इम्पेरफेक्ट टाइप-बी" नमक रोग है। जिसका इलाज भारत में नहीं है। विदेश से 17 करोड़ के इंजेक्शन ही डुग्गू को जीवन दान दे सकता है।
पीएम मोदी से गरीब दलित की गुहार (photo: social media )
Bulandshahr News: गरीबों को 5 लाख रुपए तक की इलाज के लिए सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराने की सुविधा सुलभ करा रखी है। बड़े इलाज के लिए सीएम और पीएम राहत कोष से सांसद विधायक की संस्तुति पर इलाज की सुविधा है। मगर ला इलाज बीमारींका इलाज कैसे हो, 17 करोड़ के इंजेक्शन की व्यवस्था स्याना के मासूम डुग्गू को कैसे हो जिससे वो ठीक हो सके, खुद खड़ा हो चल सके, हाथ से पढ़ लिख सके। डुग्गू के माता पिता की दावा है कि उसके मासूम बेटे को
"ऑस्टेओगेनेसीसी इम्पेरफेक्ट टाइप-बी" नमक रोग है। जिसका इलाज भारत में नहीं है। विदेश से 17 करोड़ के इंजेक्शन ही डुग्गू को जीवन दान दे सकता है। इसीलिए अब डुग्गू के दलित माता पिता ने पीएम मोदी और सीएम योगी से गुहार लगाई है कि उसके बेटे का भी इलाज करा दो सरकार।
ऑस्टेओगेनेसीसी इम्पेरफेक्ट टाइप-बी का भारत में नहीं इलाज?
दरअसल बुलंदशहर जनपद के स्याना में रहने वाले ऑटो चालक आकाश गौतम के दो पुत्र हैं छोटा पुत्र डुग्गू 3 साल 10 महीने का है। जो एक घातक बीमारी ऑस्टेओगेनेसीसी इम्पेरफेक्ट टाइप-बी (Osteogenesis Imperfecta type B) से जूझ रहा है। बताया जाता है कि इस बीमारी में बच्चे की हड्डियों का विकास नहीं होता, और तो और इस बीमारी के चलते बालक की हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं इसीलिए डुग्गू ना तो बैठ सकता है और ना ही खड़ा हो सकता है। हाथ पैर मानो जोड़ो से लटक रहे हो।
मासूम डुग्गु मानसिक रूप से स्वस्थ प्रतीत होता है,सवालों को समझकर ठीक से जवाब देता है। मगर वह अपने बल पर खड़ा नहीं हो सकता। डुग्गु अपनी बीमारी के चलते स्कूल तो जा ही नहीं सकता । मग़र उसे फिर भी देश के प्रधानमंत्री, यूपी के सीएम, संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और महिलाओं के शिक्षा की ज्योति जलाने वाली सावित्री बाई फुले के नाम बखूबी ज्ञान हैं। इतना ही नहीं मासूम डुग्गू ने पीएम मोदी से गुहार लगाई है कि उसे भी ठीक करा दे सरकार, ताकि वह भी अपने बल पर खड़ा हो सके और बड़ा होकर समाज और राष्ट्र की सेवा कर सके।
डुग्गु के पिता ने बेटे के इलाज को टेस्टिंग करने के लिए अपना ऑटो तक बेच दिया, अब परिवार के समक्ष डुग्गू के इलाज के साथ साथ वो जून की रोटी का भी संकट खड़ा होने लगा है। हालांकि मुकेश ई रिक्शा चलाकर दो वक्त की रोटी का तो बंदोबस्त कर लेता है, मगर बेटे के इलाज को लेकर निराश है। आकाश के मुताबिक डुग्गु जब पैदा हुआ तो सांस लेने में दिक्कतें हुई, तकरीबन 2 घंटों तक लगातार ऑक्सीजन पर रखने के बाद डुग्गु में सांस लौटी। परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। पिता ने बताया कि वह उस दौरान सामान्य नवजातों से कुछ ज़्यादा रो रहा था। तीन दिन बाद परिवार ने डुग्गु को देखा तो उसके शरीर चोट के निशान दिखाई पड़े। डेढ़ साल से ज़्यादा उम्र होने पर डुग्गु बोलने लगा मगर वह तब भी बैठने में सक्षम नहीं था। तब से आज तक वह ना तो बैठ पाता है और ना है खड़ा हो पाता है।
माता-पिता दोनों ही अशिक्षित हैं, लिहाज़ा दुनिया का कोई डॉटकर न तो डुग्गु की बीमारी के बारे में इन्हें बताता है और ना ही उसका इलाज़। हालांकि कई ऐसे लोग इन्हें ज़रूर मिले हैं जिन्होंने दावा किया कि डुग्गु का इलाज तो संभव है मगर उसका खर्च करोड़ों में है। अब आप समझ सकते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के एक कमरे मकान में रहने वाले ऑटो चालक आकाश कैसे बेटे का इलाज करा पाएंगे।
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