चंदौली में ऑपरेशन कन्विक्शन: 7 केसों में 11 अपराधियों को सजा

चंदौली पुलिस के ऑपरेशन कन्विक्शन की बड़ी सफलता, 25 साल पुराने केस समेत सात मामलों में 11 अपराधियों को अदालत ने सजा सुनाई।

Sunil Kumar
Published on: 22 Aug 2025 9:02 PM IST
Chandauli Operation Conviction
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Chandauli Operation Conviction: 11 Criminals Punished in 7 Cases

Chandauli News: उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर चलाए जा रहे 'ऑपरेशन कन्विक्शन' अभियान के तहत, चंदौली पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस अभियान का मकसद अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलवाना है। इसके लिए पुलिस वैज्ञानिक तरीके से जांच करती है, पुख्ता सबूत जुटाती है और लोक अभियोजक के साथ मिलकर मामलों की प्रभावी पैरवी करती है। इसी कड़ी में, 22 अगस्त 2025 को, चंदौली जिले की विभिन्न अदालतों ने कुल सात मामलों में 11 अपराधियों को सजा सुनाई है। इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि चंदौली में अपराध के खिलाफ पुलिस की लड़ाई लगातार जारी है और अपराधियों के लिए कानून के शिकंजे से बचना मुश्किल है।

चकिया थाना: 25 साल पुराने मामले में चार दोषियों को सजा

यह मामला करीब 25 साल पुराना है, जो 16 जनवरी 2000 को चकिया थाने में दर्ज किया गया था। इसमें चार आरोपी थे: हातुल, मुस्ताक, बच्ची और शौकत अली। इन पर मारपीट, धमकी देने और जबरन घर में घुसने जैसे गंभीर आरोप थे। इतने लंबे समय के बाद भी, पुलिस और अभियोजन पक्ष ने हार नहीं मानी।

इस मामले में चकिया के सिविल जज/जेएम कुंवर जितेंद्र प्रताप सिंह की अदालत में मुकदमा चला। पुलिस के मॉनिटरिंग सेल प्रभारी निरीक्षक मुकेश तिवारी, सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ) विपिन कुमार, और थाने के पैरवीकार दुर्गेश कुमार यादव ने ठोस सबूत पेश किए और प्रभावी तरीके से पैरवी की। नतीजतन, 22 अगस्त 2025 को अदालत ने चारों दोषियों- हातुल, मुस्ताक, बच्ची और शौकत अली को तीन साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा, उन सभी पर 16-16 हजार रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने साफ कहा है कि यदि वे जुर्माना नहीं भरते हैं, तो उन्हें सात-सात दिन की अतिरिक्त जेल काटनी पड़ेगी।

यह फैसला इस बात का सबूत है कि भले ही किसी मामले में कितना भी समय लग जाए, अगर पुलिस और न्यायपालिका मिलकर काम करें तो अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है।

मुगलसराय थाना: जाली नोट और सड़क दुर्घटना के मामले में सजा

मुगलसराय थाने से जुड़े दो मामलों में भी अदालत ने अपराधियों को दोषी ठहराया है। पहला मामला 7 जनवरी 2002 का है, जब रमेश सिंह नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ जाली नोट रखने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इशरत परवीन फारूखी की अदालत में हुई।

जाली नोट के इस मामले में, मॉनिटरिंग सेल प्रभारी मुकेश तिवारी, एपीओ विजय कुमार पाण्डेय और हेड कांस्टेबल राजेश राय की मेहनत रंग लाई। 22 अगस्त 2025 को अदालत ने रमेश सिंह को "न्यायालय उठने तक की सजा" और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न भरने पर उसे एक दिन की अतिरिक्त जेल होगी।

दूसरा मामला 22 अगस्त 1996 का है, जो सड़क दुर्घटना से जुड़ा था। आरोपी उपेंद्र सिंह पर लापरवाही से गाड़ी चलाने और किसी जानवर की मौत का कारण बनने का आरोप था। यह मामला भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट इशरत परवीन फारूखी की अदालत में चला। पुलिस और अभियोजन की प्रभावी पैरवी के बाद, अदालत ने उपेंद्र सिंह को "न्यायालय उठने तक की सजा" और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना न भरने पर तीन दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

सैयदराजा थाना: गोवध निवारण अधिनियम के तहत दो मामलों में कार्रवाई

सैयदराजा थाने से जुड़े दो अलग-अलग मामलों में भी गोवध और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत अपराधियों को सजा मिली है। दोनों मामलों की सुनवाई सिविल जज/एफटीसी-2 शिवानी की अदालत में हुई।

पहले मामले में, 26 अक्टूबर 1999 को बाबू लाल नाम के एक आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। दूसरे मामले में, 16 जून 1998 को दो आरोपियों रफीक उर्फ रफी और छोटे उर्फ इकबाल के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इन दोनों ही मामलों में आरोपी गोवध निवारण अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाए गए।

इन मामलों में पुलिस की प्रभावी पैरवी के बाद अदालत ने फैसला सुनाया। बाबू लाल को "जेल में बिताई गई अवधि" के कारावास और 1000 रुपये के जुर्माने की सजा दी गई। जुर्माना न भरने पर उसे चार दिन की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। इसी तरह, रफीक और छोटे को भी "जेल में बिताई गई अवधि" की सजा और 1000-1000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना न देने पर उन्हें भी चार दिन की अतिरिक्त जेल होगी।

यह निर्णय दर्शाता है कि कानून जानवरों के प्रति क्रूरता को कितना गंभीरता से लेता है और पुलिस ऐसे अपराधों को रोकने के लिए लगातार काम कर रही है।

इलिया थाना: चिन्हित माफिया को मिली ढाई साल की सजा

चंदौली पुलिस ने एक बड़े अपराधी, राकेश जायसवाल, को भी सजा दिलाने में सफलता पाई है। यह अपराधी पशु तस्करी और अवैध शस्त्र रखने जैसे अपराधों में शामिल था और इसे पुलिस ने माफिया के रूप में चिन्हित किया था।

यह मामला 13 दिसंबर 2023 को इलिया थाने में आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे के निर्देश और अपर पुलिस अधीक्षक सदर के मार्गदर्शन में, इस मामले की प्रभावी पैरवी की गई। मॉनिटरिंग सेल प्रभारी मुकेश तिवारी, एपीओ विपिन कुमार और पैरोकार कांस्टेबल जगन्नाथ सोनकर की टीम ने मिलकर पुख्ता सबूत पेश किए।

इस मामले की सुनवाई भी सिविल जज/जेएम कुंवर जितेंद्र प्रताप सिंह की अदालत में हुई। 22 अगस्त 2025 को अदालत ने राकेश जायसवाल को दोषी ठहराया और उसे ढाई साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही, उस पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। यदि वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 15 दिन की अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी।

यह फैसला दिखाता है कि पुलिस बड़े और आदतन अपराधियों को भी सजा दिलाने में सक्षम है और 'ऑपरेशन कन्विक्शन' का मकसद सिर्फ छोटे-मोटे मामलों तक सीमित नहीं है, बल्कि गंभीर अपराधों में शामिल माफियाओं पर भी शिकंजा कसना है।

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