Chandauli News: लोक आस्था के महापर्व छठ की अनुपम छटा: चंदौली में खरना अनुष्ठान

Chandauli News: चंदौली में छठ महापर्व का द्वितीय सोपान 'खरना' उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। व्रती महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा, खीर और प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित किया और लोक आस्था का अनुपम दर्शन कराया।

Sunil Kumar
Published on: 26 Oct 2025 6:31 PM IST
Chandauli News: लोक आस्था के महापर्व छठ की अनुपम छटा: चंदौली में खरना अनुष्ठान
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Chandauli News: कार्तिक मास की पवित्रता में, सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ अपनी दिव्यता और लोक आस्था के साथ आरंभ हो चुका है। इसी क्रम में, आज पर्व के द्वितीय सोपान 'खरना' पर, चंदौली जिले के घाट और सरोवर आस्था के केंद्र बन गए। बलुआ घाट सहित नौगढ़ के सरोवरों पर व्रती महिलाओं ने भक्ति भाव से वेदी का निर्माण किया और कठोर निर्जला व्रत का संकल्प लेते हुए छठी मैया की आराधना की। यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना का अद्वितीय संगम है, जहाँ व्रती स्त्रियाँ संतान के सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना के साथ 36 घंटे के कठिन व्रत का सूत्रपात करती हैं।

छठी मैया के गीतों से गुंजायमान सरोवर

आज संध्याकाल में, व्रती महिलाएं घर से छठ मैया के पारंपरिक और मधुर गीत गाते हुए सरोवरों की ओर चलीं। उनकी पदचाप और गीतों की धुन ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। बलुआ घाट और नौगढ़ के मनोरम सरोवर तट पर पहुंचकर, उन्होंने अत्यंत पवित्रता के साथ पूजा के लिए वेदी का निर्माण किया।ग्राम पंचायत बाघी, नौगढ़ के ग्राम प्रधान नीलम ओहरी द्वारा महिलाओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। इस पावन अवसर पर उप जिलाधिकारी विकास मित्तल, इंस्पेक्टर सुरेंद्र यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि आशीष कुमार उर्फ दीपक गुप्ता, राजू पाण्डेय और पंकज मदेशिया सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी मौजूद रहे, जिन्होंने व्रतियों को शुभकामनाएं दीं।

खरना अनुष्ठान: शुद्धता और संयम का प्रतीक

खरना का यह दिन व्रत की शुद्धता और संयम का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। आज व्रती महिलाओं ने दिनभर का निर्जल उपवास रखा। शाम होते ही, उन्होंने अत्यंत सावधानी और पवित्रता के साथ खरना का प्रसाद तैयार किया।पवित्र चूल्हे पर पाक: प्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के नए चूल्हे का उपयोग किया गया, जिसे शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।आम की लकड़ी के ईंधन पर गुड़ की खीर (चावल, गुड़ और दूध का मिश्रण) तैयार की गई। खीर बनाने में पीतल के बर्तन का उपयोग शुभ माना जाता है, जो शुद्धता को दर्शाता है। प्रसाद तैयार होने के बाद, व्रती ने विधिवत सूर्य देव की पूजा की और खीर का नैवेद्य अर्पित किया।

पूजा-अर्चना के उपरांत, व्रती ने पहले स्वयं यह प्रसाद ग्रहण किया। इस प्रसाद को ग्रहण करने के साथ ही व्रती का 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है, जिसका पारण अगले दिन प्रातः अर्घ्य के बाद होगा।खरना के प्रसाद में लहसुन और प्याज का प्रयोग पूर्णतः वर्जित होता है, जो व्रत की सात्विकता को बनाए रखता है।इस प्रकार, खरना अनुष्ठान के साथ ही लोक आस्था का यह महान पर्व अपने चरम की ओर अग्रसर हुआ है, जहां अब व्रती अगले दो दिनों तक कठिन साधना में लीन रहेंगी और अस्ताचलगामी एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करेंगी।

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