Chandauli News: जन सुनवाई: नौगढ़ में समाधान दिवस,102 में से सिर्फ 3 समस्याओं का हल

Chandauli News: समाधान दिवस कार्यक्रम में कुल 102 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए, लेकिन मौके पर सिर्फ 3 समस्याओं का ही निस्तारण हो सका।

Sunil Kumar
Published on: 18 Aug 2025 6:33 PM IST
Public hearing: Solution day in Naugarh,only 3 out of 102 problems solved
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जन सुनवाई: नौगढ़ में समाधान दिवस,102 में से सिर्फ 3 समस्याओं का हल ( Photo- Newstrack)

Chandauli News: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में, जहां प्रशासन अक्सर चौपाल लगाकर जनता की समस्याओं को सुलझाने का दावा करता है, वहीं आज नौगढ़ तहसील सभागार में आयोजित जिलास्तरीय संपूर्ण समाधान दिवस की तस्वीर कुछ और ही बयां करती है। जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में कुल 102 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए, लेकिन मौके पर सिर्फ 3 समस्याओं का ही निस्तारण हो सका। यह आंकड़ा प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करता है, खासकर जब दूर-दराज के इलाकों से लोग अपनी उम्मीदें लेकर आते हैं।

लंबित मामले और प्रमुख मुद्दे

समाधान दिवस में प्राप्त शिकायतों में सबसे अधिक मामले वन विभाग की भूमि, जलाशयों और राजस्व से संबंधित थे। इसके अलावा, कई तरह की अन्य विविध समस्याएं भी सामने आईं। यह दिखाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि संबंधी विवाद और प्राकृतिक संसाधनों पर अतिक्रमण जैसी समस्याएं कितनी गहरी हैं। जिलाधिकारी ने शेष सभी 99 प्रार्थना पत्रों को संबंधित विभागों को सौंप दिया है और उन्हें एक सप्ताह के भीतर समस्याओं का समाधान करके रिपोर्ट देने का सख्त निर्देश दिया है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या यह निर्देश जमीन पर उतर पाएगा।

सड़क और बिजली की आस

इस समाधान दिवस में एक मार्मिक दृश्य भी देखने को मिला, जब नौगढ़ के चिरवाटाड़ गांव के ग्रामीणों ने सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। यह घटना ग्रामीण भारत की उन मूलभूत जरूरतों को उजागर करती है, जो आज भी कई गांवों के लिए एक दूर का सपना हैं। प्रशासन के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि वह इन वंचित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा पहुंचाए।

विभागीय अधिकारियों की मौजूदगी

समाधान दिवस में वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग और पशुपालन विभाग सहित कई प्रमुख विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। उनकी मौजूदगी के बावजूद मौके पर कम संख्या में समस्याओं का समाधान होना दर्शाता है कि विभागों के बीच समन्वय की कमी हो सकती है, या फिर शिकायतों का स्वरूप इतना जटिल था कि उनका तत्काल समाधान संभव नहीं था। यह घटना एक महत्वपूर्ण सीख देती है कि केवल चौपाल या समाधान दिवस का आयोजन ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके बाद की कार्रवाई और प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई भी उतनी ही जरूरी है।

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