रेप मामले में जांच अफसर को खिलाए 6 समोसे! पलट दिया पूरा मामला... हिल गयी न्याय व्यवस्था

Etah Rape Case: पीड़िता के पिता का आरोप है कि पुलिस का रवैया शुरू से ही एकतरफा ही था।

Priya Singh Bisen
Published on: 1 July 2025 2:30 PM IST
Etah Rape Case
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Etah Rape Case

Etah Rape Case: उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक 14 साल लड़की से दुष्कर्म के मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली कई बड़े गंभीर सवालों से अब घिर गई है। आरोप है कि जांच अधिकारी (विवेचक) ने केवल 6 समोसों की रिश्वत लेकर मामले में आखिरी रिपोर्ट (FIR ) दर्ज कर दी, जिसे खास न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट नरेंद्र पाल राणा ने रद्द कर दिया है। यह घटना जलेसर थाने से जुड़ा हुआ है।

जानकारी के मुताबिक, यह घटना साल 2019, 1 अप्रैल की है जब 14 साल की किशोरी स्कूल से घर लौट रही थी। गांव का वीरेश उसे गेहूं के खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। जब दो लोग मौके पर पहुंचे, तो आरोपी वीरेश जातिसूचक गन्दी गालियां देने लगा और जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग निकला। पीड़िता के पिता का आरोप है कि पुलिस का रवैया शुरू से ही एकतरफा ही था। पुलिस ने पहले तो FIR दर्ज करने से मना कर दिया, जिसके बाद पीड़िता के पिता को अदालत के आदेश पर केस दर्ज कराना पड़ा।

पुलिस की जांच में निरंतर लापरवाही

पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज होने के नाद भी, विवेचक ने 30 दिसंबर 2024 को अदालत में यह कहते हुए FIR दर्ज कर दी कि मामले में कोई सबूत नहीं मिला है। इसके विरोध में, पीड़िता के पिता ने 27 जून 2025 को एक विरोध याचिका (प्रोटेस्ट पिटीशन) दायर की। याचिका में साफतौर से आरोप लगाया गया कि विवेचक ने मौके पर मौजूद चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए और पीड़िता ने खुद अपने बयान में दुष्कर्म की बात कही थी। इसके बाद, इतने गंभीर मामले की जांच त्रुटिपूर्ण तरीके से की गई।

6 समोसों की रिश्वत का आरोप

पीड़िता के पिता ने अदालत को बताया कि आरोपी की एक समोसे की दुकान है और विवेचक ने वहां जाकर केवल 6 समोसे लिए और केस की जांच में लापरवाही दिखाते हुए गलत रिपोर्ट बनाई। हैरान कर देने वाली बात यह है कि विवेचक ने अपनी FIR में लिखा था कि किशोरी ने वीरेश से उधार में समोसे मांगे थे और जब उसने मना कर दिया तो ये विवाद खड़ा हुआ, जिसके बाद द्वेषवश ज़बरदस्ती आरोप लगाकर केस दर्ज कराया गया।

बता दे, इस मामले की सुनवाई के बाद अब अदालत ने पुलिस द्वारा दाखिल की गई FIR को रद्द कर दिया है। अब इस मामले को परिवाद (शिकायत) के रूप में दर्ज कर लिया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि अदालत अब मामले की सीधे सुनवाई करेगी और आगे की कार्रवाई का फैसला करेगी। अब यह फैसला पुलिस की जांच पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। इससे पहले भी, पीड़िता के पिता की अर्जी पर अदालत ने 31 अगस्त 2024 को पुन: विवेचना का आदेश दिया था, लेकिन तब भी जांच में FIR ही लगाई गई थी।

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