Ghazipur News: बिना मान्यता के संचालित हो रहा मदरसा! 'चश्मे रहमत ओरिएंटल कॉलेज' मदरसा नहीं, एक सोसाइटी — शिकायतकर्ता का आरोप

Ghazipur News: जनपद में एक ऐसा मदरसा वर्षों से संचालित हो रहा है, जिसे मान्यता प्राप्त नहीं है। 'चश्मे रहमत ओरिएंटल कॉलेज' नामक यह संस्थान वास्तव में एक सोसाइटी है, परंतु इसके माध्यम से शिक्षण कार्य जारी है।

Rajnish Mishra
Published on: 10 July 2025 1:16 PM IST
Ghazipur News: बिना मान्यता के संचालित हो रहा मदरसा! चश्मे रहमत ओरिएंटल कॉलेज मदरसा नहीं, एक सोसाइटी — शिकायतकर्ता का आरोप
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Ghazipur News: गाजीपुर जनपद में एक ऐसा मदरसा वर्षों से संचालित हो रहा है, जिसे मान्यता प्राप्त नहीं है। 'चश्मे रहमत ओरिएंटल कॉलेज' नामक यह संस्थान वास्तव में एक सोसाइटी है, परंतु इसके माध्यम से शिक्षण कार्य जारी है। हैरानी की बात यह है कि इस मदरसे में शासनादेश की अवहेलना करते हुए शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है।

वर्तमान में इस संस्थान में 32 शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनका वेतन जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जारी किया जा रहा है। शिकायतों के बावजूद अब तक इस मदरसे के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। शिकायतकर्ता लगातार दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर विभाग से गुहार लगा रहा है।

सूचना छिपाने पर अधिकारियों पर अर्थदंड, फिर भी नहीं दी जानकारी

सूचना के अधिकार के तहत जवाब न देने पर जनसूचना आयोग द्वारा कई बार संबंधित अधिकारियों पर ₹25,000 तक का जुर्माना लगाया गया, बावजूद इसके कोई स्पष्ट सूचना नहीं दी गई। वहीं मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने के बावजूद गोलमोल उत्तर देकर मामले को दबाने की कोशिश की गई।

शिकायतकर्ता हिदायतुल्लाह अंसारी ने लगाए गंभीर आरोप

सदर कोतवाली क्षेत्र के रजदेपुर शहरी मोहल्ला निवासी हिदायतुल्लाह अंसारी ने 19 मार्च को मुख्यमंत्री को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजकर आरोप लगाया कि 'चश्मे रहमत ओरिएंटल कॉलेज' कोई मदरसा नहीं, बल्कि एक सोसाइटी है।

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सच्चिदानंद तिवारी ने अपने पत्र में बताया कि "चश्मे रहमत ओरिएंटल कॉलेज गाजीपुर अरबी-फारसी मदरसा है, जिसे प्रमाणपत्र संख्या 1964/1985-86 के तहत दिनांक 5-11-1985 को मान्यता प्रदान की गई थी और जिसका नवीनीकरण 9-10-2016 को हुआ था।"

सोसाइटी में प्रधानाचार्य का पद नहीं होता — शिकायतकर्ता

हिदायतुल्लाह ने आरोप लगाया कि सोसाइटी में न तो प्रधानाचार्य का पद होता है और न ही शिक्षकों की नियुक्ति की व्यवस्था। इसके बावजूद कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर प्रधानाचार्य, शिक्षक और कर्मचारी नियुक्त कर दिए गए हैं और उन्हें नियमित वेतन भुगतान भी किया जा रहा है। इससे हर वर्ष करोड़ों रुपए के सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, जिसे रोकना आवश्यक है।

विभाग ने स्वीकारा: मान्यता की प्रति उपलब्ध नहीं

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सच्चिदानंद तिवारी ने बताया कि शिक्षकों के वेतन का भुगतान एडी बेसिक से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मान्यता को लेकर शिकायत आई थी, जिसकी जांच की गई और एक कमेटी भी गठित की गई। मामला निदेशालय तक पहुंच चुका है। तिवारी ने यह भी स्वीकार किया कि कॉलेज की मान्यता की प्रति विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।उन्होंने यह भी कहा कि यह मदरसा काफी पुराना है और वेतन भुगतान काफी पहले से किया जा रहा है। विभाग वर्तमान में एडी बेसिक से प्राप्त कागजातों के आधार पर शासनादेश के तहत भुगतान कर रहा है।

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