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Gonda News: कर्नलगंज तहसील में समाधान दिवस पर शिकायती आंकड़ों में फर्जीवाड़ा उजागर , पारदर्शिता पर उठे सवाल
Gonda News: शासन द्वारा जनता की समस्याओं के त्वरित और प्रभावी निस्तारण हेतु हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की विश्वसनीयता अब सवालों के घेरे में है।
कर्नलगंज तहसील में समाधान दिवस पर शिकायती आंकड़ों में फर्जीवाड़ा उजागर (photo: social media )
Gonda News: यूपी के गोंडा जनपद अन्तर्गत तहसील कर्नलगंज में आयोजित होने वाले संपूर्ण समाधान दिवस को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। शासन द्वारा जनता की समस्याओं के त्वरित और प्रभावी निस्तारण हेतु हर महीने के पहले और तीसरे शनिवार को आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की विश्वसनीयता अब सवालों के घेरे में है। मिली जानकारी के मुताबिक, समाधान दिवस पर आने वाले फरियादियों की शिकायतों का सही तरीके से पंजीकरण नहीं किया जा रहा है।
शिकायतकर्ताओं को डिजिटल संख्या युक्त रसीद देने के बजाय उनके प्रार्थना पत्रों पर चार अंकों का काल्पनिक नंबर डालकर और उस पर मुहर लगाकर वापस कर दिया जाता है। यह नंबर न तो किसी कंप्यूटर पर दर्ज होता है और न ही किसी आधिकारिक रजिस्टर में। ऐसे में शिकायतें आगे बढ़ने के बजाय कागज़ों में ही दबकर रह जाती हैं और उनका वास्तविक निस्तारण नहीं हो पाता। कई फरियादियों का कहना है कि वे महीनों से अपनी शिकायत लेकर समाधान दिवस में आ रहे हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ़ औपचारिकता पूरी करने जैसी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। शिकायतों की स्थिति जानने के लिए जब वे तहसील कार्यालय का रुख करते हैं तो उन्हें कोई जानकारी नहीं दी जाती। बार-बार चक्कर लगाने के बावजूद समाधान तो दूर, उन्हें अपनी शिकायत का कोई वैध प्रमाण तक उपलब्ध नहीं कराया जाता।
फर्जी आंकड़ों से बढ़ाई जा रही निस्तारण दर
सूत्रों का दावा है कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी जानबूझकर शिकायती आंकड़ों में हेराफेरी करते हैं। उनका मकसद शिकायतों की संख्या को कम दिखाना और निस्तारण दर को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना होता है। इस तरह शासन को यह दर्शाने की कोशिश की जाती है कि अधिकांश शिकायतों का तुरंत समाधान हो गया है। लेकिन हकीकत यह है कि ज़मीनी स्तर पर जनता को राहत नहीं मिल रही।
औपचारिकता बनकर रह गया समाधान दिवस
स्थानीय निवासियों का कहना है कि संपूर्ण समाधान दिवस अब जनता की समस्याओं को सुलझाने का मंच न होकर मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। शिकायतें निस्तारित दिखा दी जाती हैं, लेकिन वास्तविक कार्रवाई कहीं नज़र नहीं आती। ऐसे में लोगों का भरोसा इस व्यवस्था से उठता जा रहा है। प्रशासन से जुड़े जानकारों का मानना है कि इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। डिजिटल शिकायत पंजीकरण प्रणाली लागू करनी होगी, जिससे शिकायत दर्ज होते ही फरियादी को ऑनलाइन ट्रैकिंग नंबर उपलब्ध हो सके। साथ ही, शिकायतों की स्थिति और निस्तारण की वास्तविकता को ऑनलाइन सार्वजनिक किया जाना चाहिए और संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों पर कड़ी निगरानी रखते हुए दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
इस संबंध में कर्नलगंज के उपजिलाधिकारी यशवंत राव से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि “ऐसा होना नहीं चाहिए। संबंधित बाबू से बात करके जानकारी लेते हैं।"
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