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UP News: गोरखपुर 'महिला आरक्षी विवाद' पर भड़के पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर, बोले- सरकार और पुलिस कर रही पक्षपात, चाहिए हाईकोर्ट जज से जांच
UP News: गुरुवार को इसे लेकर आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया है।
UP News : गोरखपुर में महिला आरक्षी प्रशिक्षुओं द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों से शुरू हुआ विवाद अब सियासी रूप ले चुका है। गुरुवार को इसे लेकर आज़ाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैये का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस जांच के ही PAC के IG द्वारा आरोपों को बेबुनियाद बता दिया गया और महिला आरक्षियों को अनुशासन के नाम पर धमकाया गया। अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति गठित करने की मांग की है।
मामला सामने आते ही खारिज कर दिए गए आरोप
गोरखपुर ट्रेनिंग सेंटर में महिला आरक्षी प्रशिक्षुओं ने बाथरूम में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए थे। इस आरोपों पर लगातार हो रही बस्यानबाजी व सरकार और अधिकारियों पर खड़े हक रहे सवालों के बीच अमिताभ ठाकुर ने आरोप लगाया कि बिना किसी स्वतंत्र या गहन जांच के PAC के आईजी ने इन आरोपों को 'निराधार' बताकर महिला आरक्षियों को अनुशासन का हवाला देकर चुप कराने की कोशिश की।
अमिताभ ठाकुर बोले- 'दबाव में कई गई कार्रवाई'
अमिताभ ठाकुर ने स्पष्ट रूप से कहा कि प्रशासन और पुलिस ने इस पूरे मामले में जो भी कदम उठाए, वे सिर्फ मामला मीडिया में आने और जनदबाव बनने के बाद उठाए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक बाथरूम में कैमरे लगाए जाने के मामले की कोई स्वतंत्र जांच नहीं हुई है। अमिताभ ठाकुर का कहना है कि पुलिस विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच करने की स्थिति में नहीं है। चूंकि आरोप सीधे पुलिस प्रशासन और ट्रेनिंग सेंटर की व्यवस्थाओं से जुड़े हैं, इसलिए विभागीय जांच पूरी तरह पक्षपातपूर्ण साबित हो सकती है।
अमिताभ ठाकुर की मांग- रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में टीम गठित कर हो जांच
इसी मामले में अब अमिताभ ठाकुर ने एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच समिति गठित करने की मांग की है, ताकि पीड़ित महिला आरक्षियों को न्याय मिल सके और जो भी दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
आपको बता दें कि यह मामला सिर्फ एक ट्रेनिंग सेंटर का नहीं है, बल्कि यह पूरे पुलिस महकमे में महिलाओं की गरिमा, गोपनीयता और अधिकारों के सवाल को उठाता है। अगर इन आरोपों की सही और पारदर्शी जांच नहीं होती है तो इससे महिला आरक्षियों में असुरक्षा की भावना और गहरी हो सकती है।
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