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Gorakhpur : स्वास्थ्य देखभाल को अधिक समग्र और प्रभावी बनाती है एकीकृत चिकित्सा, बोलीं डॉ. रजनी नायर
Gorakhpur News : गोरखपुर में आरोग्य संगम-2025 की शुरुआत, डॉ. रजनी नायर ने एकीकृत चिकित्सा की भूमिका को बताया प्रभावी
Gorakhpur Arogya Sangam 2025 ( Image From Social Media )
Gorakhpur News : महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में एकीकृत चिकित्सा की दिशा में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ‘आरोग्य संगम-2025’ का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। उद्घाटन समारोह की मुख्य अतिथि बोर्ड ऑफ एथिक्स एंड रजिस्ट्रेशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (बेरिस्म) की अध्यक्ष डॉ. रजनी ए. नायर ने एकीकृत चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह चिकित्सा पद्धति पारंपरिक और आधुनिक उपचार प्रणालियों के समन्वय से रोगों की रोकथाम, उपचार एवं समग्र स्वास्थ्य संवर्धन का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटिव मेडिसिन (एकीकृत चिकित्सा) का भविष्य उज्ज्वल है, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल को अधिक समग्र, सुरक्षित और प्रभावी बनाने की दिशा में अग्रसर है।
डॉ. नायर ने राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग (एनसीआईएसएम) के दृष्टि और लक्ष्य की जानकारी देते हुए कहा कि आयोग का उद्देश्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना तथा वैद्यकीय शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। उन्होंने आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अधिकारों, उनके व्यावसायिक दायित्वों और वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला। डॉ. रजनी ने कहा कि एनसीआईएसएम भारतीय चिकित्सा प्रणाली के सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर है, जो आयुर्वेद को विश्व स्वास्थ्य प्रणाली में सशक्त स्थान दिलाने के लिए कार्यरत है।
उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमजीयूजी के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह ने कहा कि आयुर्वेद भारतीय ज्ञान परंपरा का ऐसा अमूल्य अंग है जो विज्ञान, दर्शन और जीवन पद्धति तीनों को एक सूत्र में पिरोता है। एकीकृत चिकित्सा की दिशा में यह सेमिनार भारत के नेतृत्व की नई भूमिका को सशक्त करेगा। इस अवसर पर गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम ने कहा कि आयुर्वेद केवल उपचार की पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। आरोग्य संगम-2025 पारंपरिक चिकित्सा और आधुनिक विज्ञान के समन्वय का एक प्रेरक मंच है।
कार्यक्रम के दौरान आरोग्य संगम सेमिनार की स्मारिका का विमोचन तथा भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र एवं वेबसाइट का उद्घाटन भी किया गया। साथ ही स्पार्क एवं हैकथन रिसर्च वर्क के लिए ईश्वर चंद्र गुप्ता, राम गोपाल तिवारी, सुरभि द्विवेदी, अंकिता सहानी, नितेश दूबे को सम्मानित किया गया। अतिथियों ने डॉ. शांति भूषण की पुस्तक ‘आयुर्वेदा टू प्वाइंट जीरो’ का विमोचन भी किया। इसके पहले अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ डॉ. सुरिंदर सिंह, डॉ. रजनी ए. नायर, आईसीएमआर एनआइटीएम के निदेशक डॉ. सुबर्णा रॉय, पतंजलि आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान केंद्र नेपाल के प्रोफेसर डॉ. संजय पोखरेल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के साउथ ईस्ट एशिया रीजनल ऑफिस के टेक्निकल ऑफिसर डॉ. पवन गोडटवार, प्रतिष्ठित आयुष विज्ञानी डॉ. अरविंद चोपड़ा ने दीप प्रज्वलित कर किया। विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना एवं धन्वंतरी वंदना ने कार्यक्रम को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा प्रदान की। आभार ज्ञापन उप प्राचार्य डॉ. सुमित कुमार ने किया। आयोजन सचिव डॉ. श्रीधर ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय सेमिनार 18 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें पांच देशों सहित भारत के बारह राज्यों से प्रतिष्ठित विशेषज्ञ, चिकित्सक
एकीकृत चिकित्सा की संभावनाओं, शोध दिशा और वैश्विक योगदान पर अपने विचार साझा करने आए हैं।उद्घाटन समारोह में प्रमुख रूप से बिरला ग्रुप आफ हॉस्पिटल्स के निदेशक डॉ. संजय माहेश्वरी, विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष डॉ. जीएस तोमर, यूनाइटेड किंगडम से आए डॉ. एलेक्स हैंकी, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अशोक वार्ष्णेय, विश्वविद्यालय व आयुर्वेद कालेज के डीन, चिकित्सक, प्राध्यापक और देश विदेश से प्रतिभागी शोधार्थी उपस्थित रहे।
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