Gorakhpur News: ‘योगी बाबा’ के नाते जंगल में मंगल मना रहे हैं वनटांगिया, दो दशक से है अटूट रिश्ता

Gorakhpur News: कुसम्ही जंगल के वनटांगिया गांव में हर दीपावली योगी आदित्यनाथ संग ‘जंगल में मंगल’, दो दशक से जारी परंपरा ने बदली सैकड़ों परिवारों की तस्वीर।

Purnima Srivastava
Published on: 18 Oct 2025 4:19 PM IST
Chief Minister Yogi Adityanath with Vantangia
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वनटांगिया के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो) (Photo- Newstrack)

Gorakhpur News: गोरखपुर। गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर कुसम्ही जंगल के बीच बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन के लोग बीते एक सप्ताह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन के इंतजार में बेकरार हैं। यह बेकरारी उल्लास और उमंग की है। कारण, सीएम योगी इस वनटांगिया गांव में दीपोत्सव मनाने आते हैं। यहां हर घर दीप वनटांगियों के अपने ‘योगी बाबा’ के नाम पर प्रज्वलित होते हैं। वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में प्रशासन अपनी तैयारियों में जुटा है तो गांव के लोग मुख्यमंत्री की अगवानी के लिए अपने-अपने घर-द्वार को साफ सुथरा बनाने, रंग रोगन करने और सजाने-संवारने में। तैयारी ऐसी मानों उनके घर उनका आराध्य आने वाला हो। सब कुछ स्वतः स्फूर्त और मिलजुलकर। मुख्यमंत्री इस गांव में सोमवार (20 अक्टूबर) को एक बार बार फिर आकर दीपोत्सव मनाएंगे।

वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में बतौर सांसद एवं गोरक्षपीठ उत्तराधिकारी के रूप योगी आदित्यनाथ ने वंचितों में भी वंचित रहे वनटांगियों के साथ दीपावली मनाने की जो परंपरा शुरू की, वह उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी है। उनकी दीपावली की शुरूआत ही इसी गांव से होती है। इस बार भी उनके आगमन के दिवाली पर सीएम योगी का गांव के हर किसी को शिद्दत से इंतजार है। इसके मद्देनजर तैयारियां जोरों पर हैं। प्रशासन तो लगा ही है, गांव के लोग भी अपने बाबा के स्वागत को घर-आंगन को सजाने-संवारने में जुटे है। ऐसा होना लाजिमी भी है, सौ साल तक उपेक्षित और बदहाल रहे वनटांगिया समुदाय को नागरिक का दर्जा देने से लेकर समाज व विकास की मुख्य धारा में लाने का श्रेय योगी आदित्यनाथ को ही तो जाता है।

वनटांगियों ने बसाया जंगल, पर था बेदखली का भय

ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई। इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया। साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की ‘टांगिया विधि’ का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए। कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं। इसी के आसपास महराजगंज के जंगलों में अलग अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे। 1947 में देश भले आजाद हुआ लेकिन वनटांगियों का जीवन गुलामी काल जैसा ही बना रहा। जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी। नागरिक के रूप में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की कौड़ी थीं। जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी। पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं। समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से।

महाराज जी नहीं आते तो बदहाली में ही मर-खप जाते

वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने। उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में रहने वालों की जिंदगी काफी बदतर हाल में है। उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी। इस काम में लगाया गया उनके नेतृत्व वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं एमपी कृषक इंटर कालेज व एमपीपीजी कालेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को। जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन वनटांगिया गांव में 2003 से शुरू ये प्रयास 2007 तक आते आते मूर्त रूप लेने लगे। इस गांव के रामगणेश कहते है कि वनटांगिया बिलकुल उपेक्षित थे।

महराज जी (योगी आदित्यनाथ को वनटांगिया समुदाय के लोग इसी संबोधन से बुलाते हैं) नहीं आते बदहाली में ही मर-खप जाते।

योगी के संघर्षों का साक्षी है गोरक्षनाथ हिंदू विद्यापीठ

वनटांगिया लोगों को शिक्षा के जरिये समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने मुकदमा तक झेला है। 2009 में जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में योगी के सहयोगी वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण कर रहे थे। वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर केस दर्ज करा दिया। योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका। गोरक्षनाथ हिंदू विद्यापीठ नाम से यब विद्यालय आज भी योगी के संघर्षों का साक्षी है।

सीएम बनने के बाद भी वनटांगियों संग दीपोत्सव का सिलसिला जारी

वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दिवाली मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ। फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं। इस दौरान बच्चों को मिठाई, कापी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात। इस बार भी दिवाली पर सीएम योगी के आगमन के मद्देनजर ग्रामीण उत्साह से उनकी अगवानी की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

मिटा दी सौ साल की कसक

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बीते आठ दीपावली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल की कसक मिटा दी है। लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया। राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है। सिर्फ तिकोनिया नम्बर तीन ही नहीं, उसके समेत गोरखपुर-महराजगंज के 23 वनटांगिया गांवों में कायाकल्प सा परिवर्तन दिखता है

योगी के कार्यकाल में वनटांगिया हुए खुशहाल

अपने कार्यकाल में सीएम योगी ने वनटांगिया गांवों को आवास, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, स्ट्रीट लाइट, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है। वनटांगिया गांवो में आज सभी के पास अपना सीएम योजना का पक्का आवास, कृषि योग्य भूमि, आधारकार्ड, राशनकार्ड, रसोई गैस है। बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे हैं, पात्रों को वृद्धा, विधवा, दिव्यांग आदि पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। अकेले तिकोनिया नम्बर तीन की ही बात करें तो यहां लक्ष्य के सापेक्ष हर योजना की उपलब्धि शत प्रतिशत है।

बाबा के गोड़ पड़ल त उदयार हो गइल

जंगल तिकोनिया नम्बर तीन के बुजुर्ग मोहन बताते हैं, ‘गांव में जवन भी काम लउकत बा, सब बाबा के ही करावल है। नाइ त के पूछे वाला रहल। बाबा के गोड़ (पैर) पड़ल त समझा कि उदयार हो गइल।’ गांव में सबके लिए पक्का मकान, शौचालय, बिजली, रसोई गैस, खेती के लिए जमीन का पट्टा, बच्चों के लिए स्कूल समेत सीएम योगी से मिले कई सौगातों का जिक्र करते हुए मोहन दिवाली पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने की खुद ही चर्चा कर उत्साहित हो जाते हैं। ‘अब त बाबा के बिना तिउहार (त्योहार) अधूरा लगेला।’

बाबा जवन ठान लेवलें वोके हरहाल में पूरा कइके रहेलें

वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन के मुखिया रहे चंद्रजीत निषाद की आंखों की रोशनी उनके उम्र की विलोमानुपाती होने लगी है लेकिन इन आंखों में योगी आदित्यनाथ के संघर्ष की तस्वीर जीवंत लगती है। ‘बाबा जी (योगी) के नजर नाही पड़त त हम्मन के कई पीढ़ी अउर अइसहीं बीत जात।’ चंद्रजीत का यही एक वाक्य ही वनटांगियों की जिंदगी के सौ साल और अब साढ़े आठ साल के अंतर को स्पष्ट कर देता है। चंद्रजीत उस घटनाक्रम के भी साक्षी हैं जब वनटांगिया समुदाय के बच्चों के लिए एक अस्थायी स्कूल खोलने को लेकर वन विभाग ने योगी पर मुकदमा करा दिया था। योगी तब सांसद थे। चन्द्रजीत निषाद के मुताबिक, ‘बाबा जवन ठान लेवलें वोके हरहाल में पूरा कइके रहेलें। स्कूल बनवले से रोकल जात रहल। आज गांवें में दू गो स्कूल ही नाही बा बल्कि ऊ सब सुबिधा-बेवस्था भी बा जवन शहर में होला। ई सब बाबा जी के ही देन है।’

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