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Hapur News: मान्यता 8वीं तक… पढ़ाई इंटर तक! हापुड़ के डमी स्कूलों में भविष्य का सौदा
Hapur News: वे बच्चों के नामांकन किसी और मान्यता प्राप्त स्कूल में करवाते और वहीं से फर्जी रिज़ल्ट बनवाकर उन्हें सौंप देते थे।
हापुड़ के डमी स्कूलों में भविष्य का सौदा (photo: social media )
Hapur News: शिक्षा के नाम पर हापुड़ में चल रहा सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा अब सामने आ गया है। जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। ऐसे दर्जनों संस्थान पकड़े गए हैं जिन्हें सिर्फ कक्षा 8 तक की मान्यता मिली थी, लेकिन पर्दे के पीछे ये इंटर तक की कक्षाएं चला रहे थे। वे बच्चों के नामांकन किसी और मान्यता प्राप्त स्कूल में करवाते और वहीं से फर्जी रिज़ल्ट बनवाकर उन्हें सौंप देते थे।
कैसे चल रहा था यह ‘डमी’ खेल
शासन के संज्ञान में मामला आने के बाद जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय के आदेश पर हुई जांच में पता चला कि “नॉन-स्कूलिंग” या “डमी स्कूल” छात्रों का नामांकन तो किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में दिखाते हैं, लेकिन पढ़ाई अपने अवैध संस्थानों में करवाते हैं। इससे न केवल सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ रही थीं बल्कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी नहीं मिल रही थी।रिपोर्ट के मुताबिक, दर्जनों स्कूल ऐसे हैं जिनके पास केवल कक्षा 8 तक की मान्यता है, लेकिन वे अवैध रूप से 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं चला रहे हैं। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों का पंजीकरण नियम विरुद्ध किसी अन्य मान्यता प्राप्त विद्यालय में किया जाता था।
बच्चों के भविष्य के साथ खेल
शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के “डमी” और “नॉन-स्कूलिंग” मॉडल से सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों को होता है।बिना मान्यता और बिना प्रशिक्षित शिक्षकों वाले संस्थानों में पढ़ने से बच्चों को सही शिक्षा और गाइडेंस नहीं मिल पाती।फर्जी रिज़ल्ट के कारण बच्चों का आगे कॉलेज या नौकरी में एडमिशन/कैरियर खतरे में पड़ सकता है।भविष्य में डिग्री या सर्टिफिकेट की वैधता पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।अभिभावक भी अब प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि ऐसे संस्थानों पर तुरंत कार्रवाई हो, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
प्रशासन सख्त, सूची तैयार
डीएम अभिषेक पांडेय ने कहा कि जिले में बिना मान्यता वाले विद्यालयों के खिलाफ जांच कराई गई। दर्जनों ऐसे संस्थान पाए गए हैं जो अवैध रूप से कक्षाएं संचालित कर रहे थे। अब इन पर कार्रवाई की तैयारी है, ताकि बच्चों के भविष्य के साथ और खिलवाड़ न हो।”
सवाल खड़े हुए
यह खुलासा न सिर्फ स्कूल संचालकों पर बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र पर बड़ा सवाल खड़ा करता है
सरकारी मान्यता के बिना इतनी बड़ी संख्या में संस्थान कैसे चल रहे थे?
इन डमी स्कूलों की निगरानी क्यों नहीं हुई?
जिन बच्चों ने यहां पढ़ाई की, उनका आगे क्या होगा?
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