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गढ़मुक्तेश्वर टोल विवाद से लोग हो रहे परेशान, दो हिस्सों में बंटी नगर पालिका
Hapur News: एक ही नगर पालिका क्षेत्र में आने वाले इन दोनों कस्बों के बीच कम दूरी है, लेकिन टोल के कारण रोजाना हजारों लोगों को आवागमन के लिए शुल्क देना पड़ रहा है।
Hapur News: दिल्ली–लखनऊ नेशनल हाईवे पर गढ़मुक्तेश्वर और ब्रजघाट के बीच बना टोल प्लाजा स्थानीय निवासियों के लिए लगातार सिरदर्द बनता जा रहा है। एक ही नगर पालिका क्षेत्र में आने वाले इन दोनों कस्बों के बीच मात्र छह किलोमीटर की दूरी है, लेकिन टोल के कारण रोजाना हजारों लोगों को आवागमन के लिए शुल्क देना पड़ रहा है। आपको बता दे कि,गढ़मुक्तेश्वर नगर पालिका में कुल 25 वार्ड हैं, जिनमें 23 वार्ड गढ़ में और 2 वार्ड ब्रजघाट में आते हैं। ब्रजघाट की आबादी लगभग 50 हजार है और यहां के करीब 80 प्रतिशत लोग गढ़ में रहकर रोजाना आवागमन करते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, करीब 15 हजार लोग प्रतिदिन इस मार्ग से गुजरते हैं। एनएचएआई द्वारा लगाए गए टोल के चलते आमजन को हर महीने 300 रुपये का पास बनवाना मजबूरी बन गई है, जो मध्यम व निम्न आय वर्ग के लिए बोझ है।
नियमों के विपरीत टोल?
स्थानीय लोगों का कहना है कि एनएचएआई के गाइडलाइन के मुताबिक, एक ही नगर पालिका या पंचायत क्षेत्र के बीच टोल प्लाजा नहीं बनाया जा सकता। इसके अलावा, दो टोल प्लाजा के बीच न्यूनतम दूरी 60 किलोमीटर होनी चाहिए, जबकि गढ़ का टोल पिलखुवा टोल से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर है।एनएचएआई की ओर से गंगा नदी के पुल का हवाला देकर टोल को सही ठहराया जा रहा है, लेकिन गढ़ और ब्रजघाट दोनों गंगा के एक ही किनारे पर बसे हुए हैं। ऐसे में स्थानीय लोगों का सवाल है कि जब वे पुल का इस्तेमाल ही नहीं कर रहे, तो टोल क्यों दें? उनका कहना है कि टोल अमरोहा की ओर लगाया जाना चाहिए था।
जनप्रतिनिधियों ने उठाई आवाज
गढ़ विधायक हरेंद्र तेवतिया ने भी टोल को अवैध करार दिया। उन्होंने कहा, “गढ़मुक्तेश्वर में टोल होना ही नहीं चाहिए। अगर है भी, तो नगर पालिका के निवासियों को फ्री पास दिया जाना चाहिए। मैं लंबे समय से इस मुद्दे को उठाता रहा हूं और जनता के साथ मिलकर समाधान के लिए संघर्ष करूंगा।”
समाधान के लिए अभियान की तैयारी
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों में इस मुद्दे को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। टोल हटाने या नगर के निवासियों को फ्री पास देने की मांग तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि इसे लेकर सड़क से लेकर संसद तक आवाज उठाई जाएगी।
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