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Hardoi News: अनदेखी से खो गई संडिला रेलवे स्टेशन की मिठास, अमृत स्टेशन में अब तक नहीं हुआ शामिल
Hardoi News: संडीला अपने लड्डुओं के लिए प्रदेश देश और विदेश में भी प्रसिद्ध है लेकिन इसके बाद भी रेल अधिकारियों ने संडीला रेलवे स्टेशन को विकसित करने पर कोई भी जोर नहीं दिया है।
Hardoi Sandila News (Social Media)
Hardoi News: भारतीय रेल अपने सभी रेलवे स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन योजना में जोड़कर उनके भवनों का नवनिर्माण करा रही है लेकिन इन सब के बीच मंडल रेल कार्यालय मुरादाबाद के अंतर्गत आने वाले संडीला रेलवे स्टेशन को अब तक अमृत भारत स्टेशन योजना में नहीं जोड़ा गया है। संडीला अपने लड्डुओं के लिए प्रदेश देश और विदेश में भी प्रसिद्ध है लेकिन इसके बाद भी रेल अधिकारियों ने संडीला रेलवे स्टेशन को विकसित करने पर कोई भी जोर नहीं दिया है।संडीला रेलवे स्टेशन पर वर्षों से यात्री सुविधाओं को लेकर कोई भी बड़ा कार्य नहीं हुआ है। जब से संडीला रेलवे स्टेशन का निर्माण हुआ तब से केवल छिटपुट जीर्णोद्धार का कार्य कर अधिकारियों ने कराया लेकिन संडीला स्टेशन को विकसित करने पर अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। हरदोई लखनऊ के मध्य पड़ने वाला संडीला रेलवे स्टेशन एक समय में अपने लड्डुओं के लिए जाना जाता था। संडीला रेलवे स्टेशन पर यात्री सुविधाओं का भारी अभाव है। प्लेटफार्म से लेकर स्टेशन परिसर तक अभाव से जूझ रहा है। मंडल रेल प्रबंधक कई बार हरदोई बालामऊ का निरीक्षण कर चुके हैं लेकिन संडीला का निरीक्षण तक करना मंडल रेल प्रबंधक मुनासिब नहीं समझते हैं। संडीला रेलवे स्टेशन को रेलवे बोर्ड से लेकर मंडल रेल कार्यालय के अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया है। रेल अधिकारियों ने देश के साथ विदेश में अपनी पहचान बनाने वाले संडीला के स्थान पर बालामऊ जंक्शन पर खास तवज्जो दी है।संडीला हरदोई जनपद का औद्योगिक क्षेत्र है।संडीला में बर्जर पेंट,वेब्ले स्कॉट समेत कई बड़े उद्योग लगे हुए है लेकिन इसके बाद भी संडीला स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव से लेकर यात्री सुविधाओं का अभाव है।
वर्षों से नहीं मिला ट्रेनों का ठहराव,स्टेशन से गायब हो गए लड्डू
संडीला रेलवे स्टेशन पर वर्षों से किसी भी नई ट्रेन का ठहराव नहीं हुआ है।संडीला के रेल यात्री जनप्रतिनिधियों के माध्यम से लगातार संडीला रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव की मांग कर रहे हैं लेकिन मंडल रेल कार्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड के अधिकारी तक इस बाबत ध्यान नहीं दे रहे हैं। संडीला रेलवे स्टेशन से दिल्ली जाने के लिए एकमात्र काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस का ठहराव है जबकि मेरठ जाने के लिए भी केवल नौचंदी एक्सप्रेस संडीला में रूकती है। जम्मू तवी के लिए सियालदह एक्सप्रेस का ठहराव है जबकि चंडीगढ़ और राजस्थान जाने के लिए किसी भी ट्रेन का ठहराव नहीं है। चंडीगढ़ और राजस्थान जाने के लिए संडीला के यात्रियों को हरदोई या फिर लखनऊ से यात्रा करनी पड़ती है। ऐसे में कहीं ना कहीं यात्रियों को भारी असुविधा का सामना भी करना पड़ रहा है।
लाइट जाने पर स्टेशन पर छा जाता अंधेरा
संडीला रेलवे स्टेशन पर रात होते ही प्लेटफार्म पर प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था न होने से यात्रियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।स्टेशन के प्लेटफार्म से लेकर स्टेशन परिसर तक में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। संडीला की लाइट जाने पर स्टेशन अंधकार में डूब जाता है। सोलर पैनल से स्टेशन के प्रमुख कक्ष और टीन शेड तक ही प्रकाश की व्यवस्था रहती है। ऐसे में यात्रियों को सुरक्षा को लेकर भी खतरा बना रहता है। संडीला रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आगमन पर ट्रेन में चढ़ने उतरने के दौरान प्रकाश की व्यवस्था न होने से हादसे की भी आशंका बढ़ जाती है।
एक ही खिड़की से हो रहे टिकट से यात्रियों को होती असुविधा
संडीला रेलवे स्टेशन पर आज भी यात्रियों के आरक्षण और अनारक्षित टिकट के लिए एक ही खिड़की है।ऐसे में आरक्षण के समय यात्रियों को अनारक्षित टिकट लेने में काफी समय लग जाता है। ऐसे में यात्री या तो बिना टिकट लेकर यात्रा करने पर विवश होता है या फिर यात्रियों को अपनी ट्रेन को छोड़ना पड़ता है। मंडल के रेल अधिकारी इस बाबत कोई भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। आज भी कई रेलवे स्टेशन ऐसे हैं जहां आरक्षित और अनारक्षित टिकट एक साथ वितरण किया जा रहे हैं। जिसका हर्जाना रेल यात्रियों को उठाना पड़ रहा है।संडीला रेलवे स्टेशन से दूध का बड़ा व्यापार होता है। संडीला रेलवे स्टेशन से दर्जनों दूध के कारोबारी और छात्र-छात्राएं लखनऊ की यात्रा करते हैं। ऐसे में संडीला रेलवे स्टेशन पर एक खिड़की से आरक्षित अनारक्षित टिकट मिलने पर यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
दिव्यांगों के लिए स्टेशन पर नहीं है कोई भी सुविधा,जर्जर पड़ा मार्ग
संडीला रेलवे स्टेशन पर दिव्यांगों के लिए भी कोई सुविधा नजर नहीं आती है।संडीला रेलवे स्टेशन पर बनी आरक्षित अनारक्षित टिकट खिड़की काफी ऊंची है। ऐसे में दिव्यांगों को टिकट लेने और आरक्षण कराने में काफी ज्यादा असुविधा उठानी पड़ती है। दिव्यांगों को स्टेशन परिसर से आरक्षण और अनारक्षित टिकट खिड़की तक पहुंचने के लिए काफी ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ती है। स्टेशन परिसर से टिकट घर को जाने वाले रास्ते पर सीढ़ियां हैं और एक मात्रा छोटी सी ढलान है ऐसे मे दिव्यांगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। प्लेटफार्म संख्या 1 से प्लेटफार्म संख्या दो व तीन पर दिव्यांगों के लिए बना रास्ता अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।इस बाबत संडीला के अधिकारी ने जिम्मेदार अधिकारी को पत्र लिखा लेकिन उसके बाद भी दिव्यांगों के लिए बना रास्ता दुरुस्त नहीं हो सका है। संडीला रेलवे स्टेशन पर दिव्यांगों के पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था नहीं है।
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