UP News: योगी राज में महिला संबंधी अपराधों को लेकर आईटीएसएसओ की क्या कहती है रिपोर्ट !

ITSSO Report : चार्जशीट दाखिल करने की दर यानी कंप्लायंस रेट के मामले में भी उत्तर प्रदेश ने बड़ी छलांग लगाई है। यूपी का कंप्लायंस रेट 80.60 प्रतिशत है, जो बड़े राज्यों में सबसे अधिक है।

Virat Sharma
Published on: 16 Jun 2025 7:11 PM IST
CM Yogi Aditya Nath
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Lucknow News: Photo-Social Media

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महिला सुरक्षा के क्षेत्र में एक बार फिर ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। भारत सरकार के इन्वेस्टिगेशन ट्रैकिंग सिस्टम फॉर सेक्सुअल ऑफेंस की जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों के निपटारे में उत्तर प्रदेश बड़े राज्यों में पहले स्थान पर पहुंच गया है। केंद्र शासित राज्यों को छोड़ दें तो महिला सुरक्षा के मामले में यूपी ने पूरे देश को पीछे छोड़ दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस उपलब्धि को देखते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की पेंडेंसी को पूरी तरह खत्म किया जाए। गौरतलब है कि योगी सरकार बीते कई वर्षों से महिला अपराधों के त्वरित निस्तारण और कानून व्यवस्था को लेकर लगातार पहले स्थान पर बनी हुई है।

महिला अपराधों में यूपी का निस्तारण रेश्यो 98.60

महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की नोडल पद्मजा चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। इसी का परिणाम है कि 21 अप्रैल 2018 से 3 जून 2025 तक की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश का निस्तारण रेश्यो 98.60% दर्ज किया गया है, जो देशभर में सबसे अधिक है। वहीं इस अवधि में उत्तर प्रदेश में कुल 1,22,130 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें सबसे अधिक मामलों का निस्तारण किया गया।

बड़े राज्यों में यूपी अव्वल

बड़े राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश महिलाओं और बच्चियों से जुड़े अपराधों के निपटारे में पहले स्थान पर है। दिल्ली 97.60% के साथ दूसरे और हरियाणा 97.20% के साथ तीसरे स्थान पर है। दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2018 में यूपी इस रैंकिंग में सातवें स्थान पर था और उस समय उसका निस्तारण रेट 95% था।

कंप्लायंस रेट में भी यूपी शीर्ष पर

चार्जशीट दाखिल करने की दर यानी कंप्लायंस रेट के मामले में भी उत्तर प्रदेश ने बड़ी छलांग लगाई है। यूपी का कंप्लायंस रेट 80.60 प्रतिशत है, जो बड़े राज्यों में सबसे अधिक है। उत्तराखंड 80% के साथ दूसरे और मध्य प्रदेश 77% के साथ तीसरे स्थान पर है। 2018 में यूपी इस रैंकिंग में 10वें स्थान पर था। हालांकि, पूरे देश की बात करें तो गोवा (88.50%) और दादरा एवं नगर हवेली व दमन एवं दीव (88.30%) पहले और दूसरे स्थान पर हैं।

केवल 0.20% पेंडेंसी, यूपी पूरे देश में सबसे आगे

नोडल पद्मजा चौहान ने बताया कि उत्तर प्रदेश में यौन उत्पीड़न के मामलों की पेंडेंसी दर सिर्फ 0.20% है, जो देश में सबसे कम है। इसकी तुलना में मणिपुर का पेंडेंसी रेट 65.7%, तमिलनाडु का 58% और बिहार का 34.5% है। 2018 में यूपी इस मापदंड में सातवें स्थान पर था। मौजूदा आंकड़े सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति और सख्त नीति को दर्शाते हैं।

WCSO की सतत निगरानी और कठोर अनुशासन का असर

महिला मामलों के निस्तारण को लेकर वूमेन एंड चाइल्ड सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (WCSO) द्वारा हर महीने केसों की समीक्षा की जाती है। जिलों और कमिश्नरेट स्तर पर एएसपी रैंक के अधिकारी पॉक्सो मामलों की निगरानी करते हैं। दो माह से अधिक लंबित केसों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा, लापरवाह IO को मुख्यालय बुलाकर व्यक्तिगत पूछताछ, नियमित ट्रेनिंग और कानूनी कार्यशालाएं, समय पर जांच पूरी करने वाले अफसरों को प्रशंसा पत्र और लापरवाही पर विभागीय कार्रवाई जैसे कदमों का सीधा असर प्रदेश के प्रदर्शन पर पड़ा है।

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