‘जयप्रकाश नगर लोकतांत्रिक चेतना का केंद्र…’, बोले-पूर्व मंत्री यशवंत सिंह, जेपी-चंद्रशेखर की विरासत को बनाए रखने का लिया गया संकल्प

पूर्व मंत्री यशवंत सिंह ने जयप्रकाश नगर को लोकतांत्रिक चेतना का केंद्र बताते हुए कहा कि यह स्थान लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राष्ट्रपुरुष चंद्रशेखर की महान विरासत को संजोए हुए है। उन्होंने इस विरासत को संरक्षित करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का संकल्प लिया।

Shivam Srivastava
Published on: 17 July 2025 7:29 PM IST
‘जयप्रकाश नगर लोकतांत्रिक चेतना का केंद्र…’, बोले-पूर्व मंत्री यशवंत सिंह, जेपी-चंद्रशेखर की विरासत को बनाए रखने का लिया गया संकल्प
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लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति उत्तर प्रदेश के संरक्षक और पूर्व मंत्री यशवंत सिंह ने बलिया स्थित जयप्रकाश नगर को स्वतंत्रता और लोकतंत्र के प्रतीक स्थल के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने कहा कि यह स्थान ना केवल आजादी की लड़ाई की प्रेरणा देता है। साथ ही लोकनायक जयप्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी की ऐतिहासिक स्मृतियों को भी संजोए हुए है। उन्होंने बताया कि यहां बने स्मारक की हर ईंट में चंद्रशेखर जी के संघर्ष की छाप आज भी महसूस की जा सकती है।

उन्होंने अपील की कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता के सभी चाहने वालों को जीवन में कम से कम एक बार इस पवित्र स्थल पर आकर इन दो महान विभूतियों को नमन अवश्य करना चाहिए रविवार को जयप्रकाश नगर से लौटने के बाद चंद्रशेखर चबूतरा पर लोकतंत्र सेनानियों और चंद्रशेखर समर्थकों की एक बैठक हुई, जिसमें यशवंत सिंह ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ और लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिस तरह संघर्ष किया वह प्रेरणादायक है। उन्होंने यह भी बताया कि जयप्रकाश नगर में स्थित स्मारक की देखरेख की जिम्मेदारी वर्तमान में विप सदस्य रविशंकर सिंह निभा रहे हैं और वहां की स्थिति अब पहले से काफी बेहतर है। उन्होंने कहा कि जैसे ही कोई वहां पहुंचता है। दिल से आवाज उठती है 'जेपी बाबू जिंदाबाद, चंद्रशेखर जिंदाबाद'।


पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने संजोई जेपी की विरासत

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विरासत को संरक्षित और जीवंत रखने का श्रेय अगर किसी को दिया जाए तो वह निःसंदेह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर हैं। उन्होंने न केवल जेपी के मूल गांव सिताबदियारा स्थित जयप्रकाशनगर को लोकतांत्रिक चेतना का तीर्थस्थल माना बल्कि वर्ष 1986 में उनके पैतृक निवास के समीप जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान की स्थापना कर उस विरासत को मूर्त रूप दिया।

सिर्फ इतना ही नहीं, जेपी के गांव तक पहुंचने के लिए जिस बीएसटी बांध वाली सड़क का निर्माण आज गांव को मुख्य मार्गों से जोड़ता है, उसका काम भी चंद्रशेखर ने वर्ष 1982 में पूरा करवाया। इससे पहले यहां आने-जाने के लिए कोई पक्की व्यवस्था नहीं थी। लोग पैदल शिवनराय टोला तक जाकर वहां से बैरिया या बलिया के लिए गाड़ी पकड़ते थे या फिर नावों से घाघरा-गंगा पार कर छपरा और आरा पहुंचते थे।

आज तस्वीर बदल चुकी है। गांव से रोजाना लगभग 150 वाहन बैरिया, छपरा, बकुल्हा और पटना जैसे स्थानों के लिए चलने लगे हैं, जिससे आवागमन बेहद आसान हो गया है। चंद्रशेखर के निधन के बाद भी जयप्रकाश नारायण स्मारक और परिसर की हालत बेहतर होती गई है। इसके पीछे रविशंकर सिंह की मेहनत और संवेदनशीलता छिपी है। स्मारक परिसर की हरियाली, और उसमें लगे दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ हर आगंतुक को आकर्षित करते हैं।

स्मारक के पास ही जेपी नारायण ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित है। जहां युवाओं को विभिन्न प्रकार के तकनीकी व व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा, प्रभावती पुस्तकालय में पाँच हज़ार से अधिक किताबें संग्रहित हैं। जिनमें देश-विदेश के महान विचारकों और नेताओं की रचनाएँ मौजूद हैं।

वहीं, इस बैठक की अध्यक्षता समिति के संयोजक धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने की। बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता राघवेंद्र त्रिपाठी, चंद्रशेखर ट्रस्ट के प्रबंधक ब्रजेश कांडू, कोषाध्यक्ष लालबहादुर सिंह, कन्हैया टंडन, रामादय राम, जगदीश राय, संजय गुप्ता, राहुल पाल और अजमल अंसारी समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

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Shivam Srivastava is a multimedia journalist with over 4 years of experience, having worked with ANI (Asian News International) and India Today Group. He holds a strong interest in politics, sports and Indian history.

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