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Jaunpur News: स्कूली बसों पर चला प्रशासन का डंडा, चेकिंग में मिले दर्जन से अधिक बसों के कागजात अधूरे
Jaunpur News: यातायात विभाग ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि "यदि अगली बार ऐसी चूक पाई गई तो संबंधित बस को सीज कर दिया जाएगा।
यातायात प्रभारी निरीक्षक सुशील मिश्रा ने चलाया स्कूली बसों की चेकिंग अभियान (Photo- Newstrack)
Jaunpur News: जौनपुर में जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर स्कूली वाहनों के खिलाफ विशेष चेकिंग अभियान चलाया गया। इस अभियान का नेतृत्व यातायात प्रभारी निरीक्षक सुशील मिश्रा ने किया। उनके साथ टीम ने जिले के विभिन्न स्कूलों की बसों की गहन जांच की। इस दौरान एक दर्जन से अधिक बसों के आवश्यक कागजात अधूरे पाए गए, जिस पर संबंधित बस संचालकों के खिलाफ चालान की कार्रवाई की गई। जांच में यह भी सामने आया कि अधिकांश स्कूली बसों में न तो अग्निशमन यंत्र (फायर सिलेंडर) मौजूद थे और न ही प्राथमिक उपचार (फर्स्ट एड बॉक्स) की व्यवस्था की गई थी।
इस लापरवाही पर यातायात विभाग ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि "यदि अगली बार ऐसी चूक पाई गई तो संबंधित बस को सीज कर दिया जाएगा। यातायात प्रभारी ने बसों में सवार बच्चों को भी सड़क सुरक्षा व यातायात नियमों की जानकारी दी और उन्हें जागरूक रहने का संदेश दिया।" बच्चों ने भी पूरी रुचि के साथ बातें सुनीं और नियमों का पालन करने की बात कही। यातायात विभाग ने स्पष्ट किया है कि जब तक सभी जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं होंगे, ऐसी बसों को सड़क पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह चेकिंग अभियान आगे भी जारी रहेगा।
क्या मानक हैं स्कूली बसों के
स्कूली बसों के लिए कुछ विशेष मानक और नियम निर्धारित किए गए हैं ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ये मानक मुख्य रूप से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों पर आधारित होते हैं। इन मानकों में बस का रंग पीला होना चाहिए। बस के आगे और पीछे “SCHOOL BUS” बड़े अक्षरों में लिखा होना चाहिए। अगर बस किसी स्कूल की न होकर कॉन्ट्रैक्ट पर हो, तो “On School Duty” लिखा होना चाहिए।
इसके साथ ही बस में फर्स्ट एड बॉक्स होना अनिवार्य है। बस में फायर एक्सटिंग्विशर (अग्निशामक यंत्र) उपलब्ध होना चाहिए। ड्राइवर के पास कम से कम 5 साल का भारी वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। ड्राइवर का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य है। हर बस में एक महिला अटेंडेंट/हेल्पर होना चाहिए। खिड़कियों में मेटल ग्रिल/ग्रिल्स होना चाहिए ताकि बच्चे बाहर हाथ न निकाल सकें। बस के अंदर और बाहर एक एमरजेंसी एग्ज़िट होना चाहिए।
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