Jhansi News: साहब, अब शरीर साथ नहीं दे रहा है, मैं जुर्म स्वीकार करता हूं, 49 साल पहले चुराए थे 150 रुपए

Jhansi News: मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त को जेल में बिताई गई अवधि व 900 रुपये जुर्माना से दंडित किया है। हालांकि उक्त मामले में अभियुक्त के दो साथियों की मौत हो चुकी है।

Gaurav kushwaha
Published on: 4 Aug 2025 8:14 PM IST
Jhansi News: साहब, अब शरीर साथ नहीं दे रहा है, मैं जुर्म स्वीकार करता हूं, 49 साल पहले चुराए थे 150 रुपए
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49 years old case  (photo: social media ) 

Jhansi News: साहब, अब शरीर साथ नहीं दे रहा है, न ताकत बची हैं, मैं जुर्म स्वीकार करता हूं। 75 साल के अभियुक्त ने 49 साल पहले 150 रुपए चुराए थे। अब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 1976 में हुई चोरी के मामले में फैसला सुनाया है। मजिस्ट्रेट ने अभियुक्त को जेल में बिताई गई अवधि व 900 रुपये जुर्माना से दंडित किया है। हालांकि उक्त मामले में अभियुक्त के दो साथियों की मौत हो चुकी है।

मालूम हो कि टहरौली थाना क्षेत्र के ग्राम बमनुआ में एलएसएस सहकारी समिति है। इस समिति में 1976 में सचिव के पद पर बिहारीलाल गौतम तैनात थे। समिति के तत्कालीन सचिव बिहारीलाल गौतम ने 27 मार्च 1976 में टहरौली थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि समिति में तीन कर्मचारी कन्हैयालाल, लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ तैनात थे। समिति से एक घड़ी और कुछ रसीदें चोरी हो गई थी। इसकी कीमत 150 रुपए आंकी गई थी। जब गहराई से जांच हुई तो बड़ा घोटाला सामने आया था।

आरोप था कि तीनों कर्मचारियों ने रसीद बुक पर फर्जी हस्ताक्षर कर 14,472 रुपए की अवैध वसूली की। इसमें से लक्ष्मी प्रसाद ने 3887.40 रुपए की फर्जी रसीद काटी और गबन किया था। पुलिस ने कन्हैयालाल, लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ के खिलाफ दफा 457, 380, 409, 467, 468, 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। समय के साथ-साथ सह आरोपी लक्ष्मी प्रसाद और रघुनाथ की मौत हो गई, लेकिन कन्हैयालाल मुकदमे का सामना करता रहा। पुलिस ने गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया था। कुछ समय बाद उसकी जमानत हो गई थी। इस मामले में विवेचक ने 19 सितंबर 1984 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।

कन्हैयालाल ने एक भी तारीख मिस नहीं की

बताते हैं कि करीब 75 साल की उम्र तक पहुंच चुके कन्हैयालाल ने एक भी तारीख मिस नहीं की। स्वास्थ्य कमजोर होने के बावजूद वह हर पेशी पर ट्रॉली से सफर कर अदालत पहुंचता रहा। 23 सितंबर 2023 को अदालत ने उस पर आरोप तय किए, लेकिन फैसले के लिए उसे तीन साल इंतजार करना पड़ा। 2 अगस्त 2025 को वह अपनी थकी-हारी में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत पहुंचा। उसने कहा कि अब न शरीर साथ दे रहा है, न ताकत बची है। मैं जुर्म स्वीकार करता हूं। बस अब यह मामला खत्म कर दें। अदालत ने भी आरोपी की उम्र औऱ परिस्थितियों को देखते हुए नरमी बरती और जेल में बिताई अवधि को ही सजा मानकर रिहा कर दिया। हालांकि अदालत ने इस मामले में 900 रुपए का जुर्माना लगाया है।

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Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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