Kanpur News: डीएम ने मीना मंच में पढ़ाया “समानता” का पाठ, खुद बने शिक्षक

Kanpur News: डीएम ने उदाहरण देकर समझाया कि आज की लड़कियाँ भी वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासक बन रही हैं।

Avanish Kumar
Published on: 26 July 2025 7:24 PM IST
Kanpur News:  डीएम ने मीना मंच में पढ़ाया “समानता” का पाठ, खुद बने शिक्षक
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जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह   (photo: social media )

Kanpur News: कानपुर में शनिवार को जब बेनाझाबर स्थित कंपोजिट विद्यालय में मीना मंच की गतिविधियाँ चल रही थीं, तभी वहाँ कुछ खास हुआ। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह निरीक्षण को पहुंचे और अचानक अध्यापक की भूमिका निभाते हुए बच्चों को “जेंडर इक्वालिटी” यानी लैंगिक समानता का पाठ पढ़ाने लगे। बच्चों को सहज और सरल भाषा में उन्होंने बताया कि लड़का और लड़की में कोई भेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, “जो मेहनत करेगा, वही आगे बढ़ेगा। प्रतिभा का कोई लिंग नहीं होता।”

डीएम ने उदाहरण देकर समझाया कि आज की लड़कियाँ भी वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासक बन रही हैं। देश की वर्तमान राष्ट्रपति भी एक महिला हैं – यह इस बात का प्रमाण है कि अब कोई भी क्षेत्र महिलाओं के लिए वर्जित नहीं रहा। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे किसी भेदभाव को न माने और घर-समाज में भी इस सोच को फैलाएं।

निरीक्षण के दौरान डीएम ने स्कूल की व्यवस्था का भी जायज़ा लिया। प्रधानाध्यापक सीमा साहू से बातचीत में उन्हें बताया गया कि स्कूल में कुल 132 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें से 88 आज उपस्थित थे। 8 शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें 3 शिक्षामित्र और 5 सहायक अध्यापक हैं। मिड-डे मील की व्यवस्था अक्षय पात्र फाउंडेशन के माध्यम से होती है। बच्चों ने बताया कि आज छोले-चावल मिले और वे भोजन से संतुष्ट हैं।

डीएम ने स्कूल में साफ-सफाई, शौचालय, रैंप और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की भी समीक्षा की। उन्होंने एक छात्र के अभिभावक सागर अवस्थी से संवाद कर विद्यालय की गुणवत्ता पर फीडबैक लिया। सागर ने बताया कि इस विद्यालय का अनुशासन और पढ़ाई निजी स्कूलों से भी बेहतर है।

क्या है मीना मंच?

मीना मंच उत्तर प्रदेश सरकार और यूनिसेफ की साझेदारी से संचालित एक सशक्त पहल है, जो बालिकाओं के आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को निखारने का मंच है। इसका आयोजन हर शनिवार परिषदीय विद्यालयों में होता है। मीना नामक पात्र के माध्यम से यह मंच बालिकाओं को शिक्षा, स्वच्छता, पोषण, स्वास्थ्य और लैंगिक समानता पर खुलकर बोलने और सोचने की आज़ादी देता है। यह मंच विद्यालयों को एक समावेशी, संवेदनशील और सहयोगात्मक माहौल प्रदान करता है।

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Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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